केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के कार्यान्वयन को कानूनी रूप से चुनौती देगा. हालांकि, बीजेपी ने सरकार के इस फैसला का विरोध किया है. ये फैसला मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित ऑनलाइन सर्वदलीय बैठक में लिया गया.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने सरकार के कदम का समर्थन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आने के कारण सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा एसआईआर पर सवाल उठाने के तरीके पर कानूनी सलाह ली जाएगी.
2002 की सूची पर सवाल
उन्होंने कहा कि 2002 की मतदाता सूची के आधार पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण करना, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव की अपडेट सूची पहले से ही लागू है, अब विशेष गहन संशोधन करना "अवैज्ञानिक" है और "दुष्प्रयोजन" से प्रेरित है.
कई राजनीतिक दलों ने चिंता व्यक्त की कि 2002 की मतदाता सूची को आधार मानने से कई समस्याएं पैदा होंगी और आरोप लगाया कि SIR को एक विशिष्ट गुप्त उद्देश्य से लागू किया जा रहा है.
विपक्ष ने किया सरकार का समर्थन
वहीं, केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने कहा कि वह मुख्यमंत्री द्वारा उठाई गई चिंताओं से पूरी तरह सहमत हैं और यदि मामला अदालत में पहुंचता है तो वे इसमें पक्ष बनने के लिए तैयार हैं.
सीपीआई(एम) के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने इस कदम को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया.
SIR की प्रक्रिया शुरू
राज्य में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा गणना फार्म वितरित करने और एकत्र करने के लिए घरों का दौरा शुरू करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दलों ने सर्वदलिय बैठक बुलाई थी.
सर्वदलीय बैठक में शामिल होने वालों में पीसी विष्णुनाथ (कांग्रेस), सत्यन मोकेरी (सीपीआई), पीके कुन्हालीकुट्टी (आईयूएमएल), स्टीफन जॉर्ज (केरल कांग्रेस एम), पीजे जोसेफ (केरल कांग्रेस), मैथ्यू टी थॉमस (जनता दल सेक्युलर), थॉमस के थॉमस (एनसीपी), उझावल्यक्कल वेणुगोपाल (कांग्रेस एस), केजी प्रेमजीत (केरल कांग्रेस बी), एडवोकेट शाजी जीएस पणिक्कर (आरएसपी लेनिनवादी), केआर गिरीजन (केरल कांग्रेस जैकब), के सुरेंद्रन (भाजपा), एनके प्रेमचंद्रन (आरएसपी), अहमद देवरकोविल (आईएनएल), और एंटनी राजू (डेमोक्रेटिक केरल कांग्रेस). शामिल थे.