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एक और अफ्रीकी देश में तख्तापलट! सेना ने सत्ता पर किया कब्जा, बॉर्डर सील, राष्ट्रपति लापता

गिनी-बिसाऊ में बुधवार को सेना ने अचानक सत्ता अपने हाथ में लेने का दावा करते हुए चुनावी प्रक्रिया रोक दी और सीमाएं बंद कर दीं. राजधानी बिसाऊ में राष्ट्रपति भवन के पास गोलीबारी हुई और नागरिकों में दहशत फैल गई. राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो का ठिकाना अज्ञात है. हाल ही में हुए विवादित चुनाव के बाद हालात और बिगड़ गए हैं.

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गिनी-बसाऊ की सेना ने सत्ता पर कंट्रोल जमा लिया है. (Photo- Screengrab)
गिनी-बसाऊ की सेना ने सत्ता पर कंट्रोल जमा लिया है. (Photo- Screengrab)

पश्चिम अफ्रीका के छोटे लेकिन राजनीतिक रूप से अस्थिर देश गिनी-बिसाऊ में बुधवार को अचानक बड़ा सत्ता संकट खड़ा हो गया. सैन्य अधिकारियों ने घोषणा की कि उन्होंने सरकार पर "पूर्ण नियंत्रण" स्थापित कर लिया है. सेना ने तत्काल प्रभाव से चुनावी प्रक्रिया को निलंबित कर दिया और देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद करने का आदेश जारी किया. आसान भाषा में कहें तो, एक और अफ्रीकी देश में तख्तापलट हो गया है.

यह घटनाक्रम उन चुनावों के सिर्फ तीन दिन बाद हुआ है, जिनमें राष्ट्रपति और संसद के लिए मतदान हुआ था. राजधानी बिसाऊ में राष्ट्रपति भवन के पास दोपहर के समय भारी गोलीबारी हुई, जिसके बाद सैन्यकर्मियों ने इलाके की घेराबंदी कर दी. कई नागरिक घबराकर पैदल और वाहनों से शहर छोड़ते देखे गए.

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घटनास्थल पर मौजूद पत्रकारों ने बताया कि सेना के जवानों ने मुख्य सड़कों पर बैरिकेड्स लगाकर आवाजाही रोक दी. राष्ट्रपति भवन और आसपास के इलाकों में सुरक्षाबल तैनात हैं. इस बीच, मौजूदा राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो कहां हैं, इसकी जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता और बढ़ गई है.

चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने किया जीत का दावा

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रविवार को हुए चुनाव के बाद दोनों प्रमुख उम्मीदवार एम्बालो और विपक्षी नेता फर्नांडो डायस ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया था, जबकि आधिकारिक नतीजे गुरुवार को आने थे. यह 2019 के चुनाव जैसी ही स्थिति बनी, जब विजेता को लेकर महीनों तक विवाद चल रहा था.

मुख्य विपक्षी पार्टी के चुनाव लड़ने पर लगी थी रोक

विश्लेषकों का कहना है कि देश में पहले से ही संस्थागत अविश्वास, सत्ता संघर्ष और चुनावी प्रक्रिया पर विवाद मौजूद था. मुख्य विपक्षी पार्टी PAIGC को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने से रोक दिया था, जिसे विपक्ष ने "राजनीतिक हेरफेर" बताया था. आलोचकों का आरोप है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल फरवरी में ही समाप्त हो चुका था, लेकिन उन्होंने शासन जारी रखा.

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गिनी-बिसाऊ में अब तक चार तख्तापलट हुए

1974 में पुर्तगाल से आजादी मिलने के बाद गिनी-बिसाऊ में अब तक चार सफल तख्तापलट हो चुके हैं. लगभग 20 लाख की आबादी वाला यह देश गरीबी, कमजोर शासन और अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के लिए भी जाना जाता है, जो अस्थिरता को और बढ़ाती है.

अभी तक क्षेत्रीय संगठन ECOWAS, अफ्रीकी संघ या संयुक्त राष्ट्र की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. नागरिक सहमे हुए हैं और देश एक बार फिर लोकतांत्रिक भविष्य सवालों के घेरे में है.

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