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फरहान अख्तर की फिल्म '120 बहादुर' के नाम पर विवाद, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा- इतनी संवेदनशीलता क्यों?

फरहान अख्तर की फिल्म '120 बहादुर' के नाम पर विवाद को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. अहीर रेजिमेंट मोर्चा ने फिल्म का नाम बदलने और ऐतिहासिक तथ्यों को सही दिखाने की मांग की थी. कोर्ट ने कहा- 'नाम को लेकर इतनी संवेदनशीलता क्यों?' पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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फिल्म को लेकर दर्ज की गई याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी (फोटो-ITG)
फिल्म को लेकर दर्ज की गई याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी (फोटो-ITG)

Film '120 Bahadur' Controversy: फरहान अख्तर की आने वाली वॉर फिल्म '120 बहादुर' रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गई है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म का नाम बदलने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह नाम ऐतिहासिक तथ्यों और 1962 के रेज़ांग ला युद्ध में शहीद हुए वीरों के सम्मान के अनुरूप नहीं है. लेकिन सोमवार को कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए पूछा- 'आखिर नाम को लेकर इतनी संवेदनशीलता क्यों?'

हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से साफ कहा कि फिल्म का नाम बदलने जैसा मामला अदालत के दायरे में नहीं आता. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब फिल्म का ट्रेलर दो महीने से पब्लिक डोमेन में है तो इतने लंबे इंतजार के बाद अंतिम समय पर अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया गया?

याचिकाकर्ताओं की दलील
सयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा और कुछ शहीदों के परिजनों द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि फिल्म का नाम और इसका ट्रेलर अहीर कंपनी के इतिहास को कमजोर करता है. उनका दावा है कि 1962 के रेज़ांग ला युद्ध में ‘C कंपनी, 13 कुमाऊं रेजिमेंट’ के 120 सैनिकों ने अद्वितीय साहस दिखाया था, जिनमें से 114 सैनिक शहीद हो गए थे. याचिका का तर्क था कि फिल्म में मेजर शैतान सिंह को अकेले हीरो के रूप में दिखाया गया है, जबकि यह लड़ाई पूरी अहीर कंपनी के सामूहिक बलिदान की कहानी है.

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फिल्ममेकर्स का जवाब
फरहान अख्तर की प्रोडक्शन हाउस ‘एक्सेल एंटरटेनमेंट’ की ओर से वकील जय के. भारद्वाज ने अदालत में बताया कि याचिकाकर्ता पहले ही सेंसर बोर्ड के रिविजनल अथॉरिटी के पास जा चुके हैं, इसलिए यह याचिका सुनने योग्य नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फिल्म के प्रमोशन और टाइटल की जानकारी दो महीने से सोशल मीडिया पर उपलब्ध है, इसलिए अंतिम समय पर रिलीज रुकवाने की मांग उचित नहीं है.

अहीर रेजिमेंट मोर्चा का मिशन
सयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा एक रजिस्टर्ड ट्रस्ट है, जो अहीर समुदाय की सैन्य विरासत और 1962 के रेज़ांग ला युद्ध में शामिल सैनिकों की स्मृति को संरक्षित करने के लिए काम करता है. मोर्चा लंबे समय से भारतीय सेना में अलग अहीर रेजिमेंट की मांग कर रहा है. याचिका में कहा गया कि यह फिल्म यदि गलत तथ्यों के साथ रिलीज होती है तो समुदाय और शहीदों के परिवारों की भावना आहत होगी.

फिल्म का नाम '120 वीर अहीर’ करने की मांग
याचिका में मांग की गई थी कि सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट निलंबित किया जाए और फिल्म की रिलीज रोकी जाए. साथ ही फिल्म में '120 वीर अहीर' जैसा शीर्षक दिया जाए, सभी 120 सैनिकों के नाम शामिल किए जाएं और अहीर कंपनी की सामूहिक भूमिका को दिखाया जाए. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि फिल्म ट्रेलर में ऐतिहासिक तथ्यों का विकृतिकरण किया गया है.

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प्रोडक्शन हाउस की दलील
फरहान अख्तर की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया कि रक्षा मंत्रालय ने 7 नवंबर को फिल्म को हरी झंडी दे दी है, जो प्रीव्यू कमेटी की मंजूरी के बाद दी गई. प्रोडक्शन हाउस ने अदालत को बताया कि फिल्म में स्पष्ट डिस्क्लेमर दिया गया है कि यह फिल्म भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों के साहस को सलाम करती है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसी सैनिक की जाति, नाम या धर्म का उल्लेख करना सेना के नियमों के खिलाफ है. इसी कारण फिल्म का नाम '120 बहादुर' रखा गया है, न कि किसी समुदाय विशेष के नाम पर.

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