भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने शुक्रवार को दिल छू लेने वाली बात की. उन्होंने न्याय के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करते हुए कहा कि गरीब वादियों के लिए न्याय सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और वह उनके लिए आधी रात तक अदालत में बैठ सकते हैं.
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के साथ बैठे मुख्य न्यायाधीश ने ये टिप्पणी तिलक सिंह डांगी नामक व्यक्ति द्वारा केंद्र और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को खारिज करते हुए की. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मेरे न्यायालय में कोई विलासितापूर्ण मुकदमा नहीं चलेगा.' उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामले धनी वादीगण द्वारा लड़े जाते हैं.
उन्होंने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा, 'मैं आपको बता दूं... मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं. अगर जरूरत पड़ी तो मैं उनके लिए आधी रात तक यहां बैठूंगा.' बता दें कि हरियाणा के हिसार जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और वो लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे. वो 9 फरवरी, 2027 को 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पद छोड़ देंगे.
बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. उन्होंने कानून की पढ़ाई महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से की है. बाद में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2011 में एलएलएम (LLM) किया. उन्होंने 1984 से ही वकालत शुरू कर दी थी. शुरुआत उन्होंने हिसार जिला अदालत से की. फिर वो चंडीगढ़ जाकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे.
2019 में बने थे सुप्री्म कोर्ट के जज
2000 में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बन गए थे. मार्च 2001 में बार काउंसिल ने उन्हें उनकी कानूनी विशेषज्ञता के कारण सीनियर एडवोकेट घोषित कर दिया. जनवरी 2004 में वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने. मई 2019 में जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया.