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तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सक्रिय, छोटे दलों के साथ गठबंधन कर एनडीए को मजबूत करने की तैयारी

तमिलनाडु में चुनाव से पहले BJP नए राजनीतिक समीकरण साधने में जुट गई है. पार्टी का फोकस छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर एनडीए को मजबूत करना है. बीजेपी का आंतरिक आंकलन बताता है कि थलापथी विजय की पार्टी टीवीके का वोट शेयर करीब 20 प्रतिशत है, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत वोट एनडीए विरोधी हैं.

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अमित शाह, पीएम मोदी और जेपी नड्डा. (Photo: ITG)
अमित शाह, पीएम मोदी और जेपी नड्डा. (Photo: ITG)

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में नए राजनीतिक समीकरण साधने में जुट गई है. पार्टी का फोकस छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर एनडीए को मजबूत करना है.

चुनाव प्रभारी जय पांडा और सह‑प्रभारी मुरलीधर मोहोल ने हाल ही में तमिलनाडु का दौरा कर राज्य बीजेपी नेतृत्व और एआईएडीएमके नेताओं के साथ विस्तृत रणनीतिक चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, पार्टी का लक्ष्य राज्य में मौजूद एंटी‑डीएमके माहौल को एनडीए के पक्ष में मोड़ना है.

बीजेपी का आंतरिक आंकलन बताता है कि थलापथी विजय की पार्टी टीवीके का वोट शेयर करीब 20 प्रतिशत है, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत वोट एनडीए विरोधी हैं. इस परिस्थिति में बीजेपी विजय की बढ़ती लोकप्रियता को काउंटर करने की रणनीति पर काम कर रही है.

NDA घटकों में मतभेद

NDA के एक महत्वपूर्ण घटक पीएमके में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं. वरिष्ठ नेता एस. रामदॉस एनडीए के साथ बने रह सकते हैं, जबकि उनके बेटे ए. रामदॉस न्यूट्रल रहने या टीवीके का रुख अपनाने पर विचार कर रहे हैं.

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इसके अलावा, अगले महीने AIADMK के तीन गुट- ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस), वी.के. शशिकला और टीटीवी दिनाकरन- अपने भविष्य की रणनीति और रुख को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं.

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी की स्पष्ट रणनीति है- डीएमके विरोधी वोटों का बिखराव रोकना. इसके लिए छोटे दलों को एनडीए में शामिल करने की दिशा में सक्रियता बढ़ाई जा रही है. हालांकि, एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं को साथ लेने पर एनडीए में मतभेद बरकरार हैं.

सूत्रों के अनुसार, ई. पलनीस्वामी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान साफ किया था कि ऐसे नेताओं को शामिल करने से एनडीए की एकता पर असर पड़ सकता है.

अगले महीने से बीजेपी और AIADMK संयुक्त अभियान की शुरुआत करेंगे और राज्य की डीएमके सरकार के खिलाफ जनता के बीच मुद्दे उठाने की योजना बनाई जा रही है. रणनीतिकारों का मानना है कि छोटे दलों को साथ लाने से न केवल विरोधी वोटों का बिखराव रोका जा सकेगा, बल्कि एनडीए की राजनीतिक ताकत भी बढ़ेगी.

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