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किसान, कुर्मी और युवा... सरदार पटेल की 150वीं जयंती और बीजेपी का बिहार पर निशाना

सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर बीजेपी तीन चरणों में अभियान शुरू करने जा रही है. यह अभियान 150 युवाओं का स्पेशल कार्यक्रम होगा, जो 31 अक्टूबर से 6 दिसंबर तक चलेगा.

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सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर बीजेपी का देशव्यापी अभियान (Photo: Representational)
सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर बीजेपी का देशव्यापी अभियान (Photo: Representational)

देश के पहले उपप्रधानमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर बीजेपी सरदार@150 नाम से देशव्यापी अभियान शुरू करने जा रही है. यह कार्यक्रम तीन चरणों में 31 अक्टूबर से लेकर 6 दिसंबर तक चलेगा.

हालांकि यह अभियान बिहार में सीधे तौर पर नहीं चलाया जाएगा, क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन बीजेपी के रणनीतिकार इस पहल को बिहार की राजनीति और जातीय समीकरणों से जोड़कर देख रहे हैं.

इस अभियान की तैयारियों की समीक्षा के लिए आज दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में एक अहम बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने की. इसमें अभियान की थीम, कार्यक्रमों और जनसंपर्क रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई. इसअभियान की मुख्य थीम है- एक भारत, आत्मनिर्भर भारत, एकजुट भारत, विकसित भारत. इसका उद्देश्य सरदार पटेल की एकता और राष्ट्रनिर्माण की भावना को याद करना और युवाओं को उनके आदर्शों से जोड़ना है.

यह अभियान तीन चरणों में होगा. पहले चरण में हर लोकसभा क्षेत्र में तीन दिनों की पदयात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सांसद, विधायक, मंत्री और प्रबुद्ध वर्ग शामिल होंगे. दूसरे चरण में हर लोकसभा क्षेत्र से चुने गए पांच युवा गुजरात के कर्मसद (पटेल का जन्मस्थान) तक यात्रा करेंगे. तीसरे चरण में 26 नवंबर संविधान दिवस को कर्मसद से केवड़िया तक 150 किमी की पदयात्रा निकलेगी, जो 6 दिसंबर को संपन्न होगी.

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दिल्ली में 150 युवाओं का एक विशेष कार्यक्रम भी होगा. वे यमुना नदी का जल देश की 25 प्रमुख नदियों तक ले जाएंगे और फिर उन नदियों का जल वापस दिल्ली लाकर पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा को अर्पित करेंगे. इस पूरे अभियान पर एक विशेष डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की गई है.

बीजेपी के इस राष्ट्रीय एकता अभियान का राजनीतिक संदेश भी गहरा है. इसमें जहां किसानों और युवाओं को जोड़ने का प्रयास है, वहीं कुर्मी समाज को भी साधने की कोशिश नजर आ रही है, जो बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका रखता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी समुदाय से आते हैं, ऐसे में बीजेपी का यह अभियान बिहार चुनाव से पहले कुर्मी और किसान वोटरों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

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