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'हम 2 घंटे पहले ही निकले थे...' पहलगाम हमले में बाल-बाल बचे असम के परिवार ने सुनाई आपबीती, कहा- कश्मीर की धरती दुखी है

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया है. इस हमले में जहां 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, वहीं कई पर्यटक बाल-बाल बचे. ऐसा ही एक परिवार असम के बोंगाईगांव का है, जो हमले के ठीक दो घंटे पहले उस स्थान से निकल चुका था. अब घर लौटकर इस परिवार ने न सिर्फ राहत की सांस ली है, बल्कि उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे एक पल की दूरी ने उनकी जान बचा ली.

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अनुभव शेयर करते बिस्वजीत चटर्जी. (Screengrab)
अनुभव शेयर करते बिस्वजीत चटर्जी. (Screengrab)

असम के बोंगाईगांव से कश्मीर घूमने आए एक परिवार की छुट्टियां तब खौफनाक हो गईं, जब खूबसूरत पहलगाम घाटी में आतंकी हमला हो गया. घटना वाले दिन परिवार ठीक उसी जगह से दो घंटे पहले ही निकल चुका था. अब जब वे सुरक्षित हैं, तो उनके चेहरे पर राहत जरूर है, लेकिन आंखों में दर्द और आवाज में कश्मीरी लोगों के लिए सहानुभूति झलक रही है.

17 अप्रैल को बोंगाईगांव से गुवाहाटी होते हुए श्रीनगर पहुंचे बिस्वजीत चटर्जी और उनका परिवार कश्मीर की वादियों में घूमने निकला था. उन्होंने 17 से 19 अप्रैल तक गुलमर्ग जैसी खूबसूरत जगहों का दौरा किया और 20 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे. यहां 20 और 21 अप्रैल को उन्होंने काफी मस्ती की और स्थानीय टूरिस्ट प्लेस का आनंद लिया.

यहां देखें Video

इसके बाद 22 अप्रैल को उनका दिल दहल गया, जब उन्हें खबर मिली कि ठीक जहां पर वे कुछ घंटे पहले थे, वहीं आतंकियों ने हमला कर दिया है. बिस्वजीत ने एक वीडियो में बताया है कि हम दो घंटे पहले ही उस जगह से निकले थे, जैसे ही खबर मिली कि पहलगाम में टेरर अटैक हुआ है, हमारे होश उड़ गए.

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परिवार बच गया है, लेकिन इस घटना ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है. बिस्वजीत कहते हैं कि हमने जिन कश्मीरियों से बात की, वे भी इस हमले से गहरे आहत हैं. हमारे ड्राइवर ने बताया कि उनके पूरे परिवार ने उस रात खाना नहीं खाया, सब सदमे में थे.

बिस्वजीत ने आगे कहा कि हम मानते हैं कि ये हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की शांति और वहां के आम लोगों की रोजी-रोटी पर हमला है. अमन-शांति चाहने वाले कश्मीरियों को भी इस दर्द का सामना करना पड़ रहा है. पर्यटन ही उनका सहारा है, और ऐसी घटनाएं उनकी जिंदगी को भी झकझोर देती हैं.

बोंगाईगांव के इस परिवार की कहानी उन सैकड़ों कहानियों में से एक है, जो पहलगाम हमले के बाद सामने आ रही हैं. यह सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित करने वाली त्रासदी है, जो कश्मीर को फिर से मुस्कुराता हुआ देखना चाहता है.

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