चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर अरुणाचल प्रदेश की महिला के साथ कथित दुर्व्यवहार और हिरासत में लिए जाने की घटना पर भारत ने आपत्ति जताई है. भारत ने चीन को किसी भी तरह के मनमाने कदम से बचने की चेतावनी दी है.
भारत सरकार ने कहा कि ऐसे कदम द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए आवश्यक आपसी विश्वास और समझ बनाने में बेहद नुकसानदेह साबित होंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और इसे दिल्ली और बीजिंग दोनों जगह चीन के अधिकारियों के समक्ष उठाया है. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सामान्य संबंध बहाल करने के लिए सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने बहुत जरूरी है. जायसवाल ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य अंग है, और यह तथ्य है. चीनी की ओर से चाहे जितना भी इनकार किया जाए, यह निर्विवाद वास्तविकता बदलने वाली नहीं है.
जायसवाल ने कहा कि अक्टूबर 2024 से दोनों देशों ने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नजदीकी सहयोग किया है. चीन की ओर से किसी भी तरह की मनमानी नहीं चलेगी.
बता दें कि चीन ने मंगलवार को यह आरोप खारिज कर दिया कि अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय महिला के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर दुर्व्यवहार किया गया. इसके साथ ही, चीनी विदेश मंत्रालय ने इस घटना का इस्तेमाल एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे के तौर पर किया, जिसे वह ‘जंगनान’ कहता है.
क्या है मामला?
21 नवंबर को लंदन से जापान जा रही भारतीय महिला पेमा वांग थोंगडोक ने कहा था कि उनका तीन घंटे का सफर 18 घंटे की मुश्किल समय में बदल गया, जब चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट को सिर्फ इसलिए अवैध घोषित कर दिया क्योंकि उसमें अरुणाचल प्रदेश उनका जन्मस्थान बताया गया था. उन्होंने कहा कि 21 नवंबर को शंघाई पुडोंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें करीब 18 घंटे तक बंधक बनाए रखा और प्रताड़ित किया.