अडानी ग्रुप में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे प्रणव अडानी ने अपने पहले टेलीविजन इंटरव्यू में ‘भविष्य के भारत’ को लेकर ग्रुप की बड़ी योजनाओं पर खुलकर बात की. ‘एजेंडा आजतक’ के मंच पर श्वेता सिंह से बातचीत में उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में अडानी ग्रुप किस दिशा में काम करेगा और देश की आर्थिक प्रगति में उनकी क्या भूमिका होगी.
उनसे पूछा गया कि 2026 में कदम रखते हुए आप क्या सोच रहे हैं. प्रणव अडानी ने जवाब दिया, '2026 की बात करें तो भविष्य को लेकर हमारे अंदर काफी उम्मीद नजर आती है. हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं और अगले पांच से सात साल में 10 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखते हैं. भारत की विकास यात्रा में इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत बड़ी भूमिका है. चाहे सड़कें हों, एयरपोर्ट हों, पोर्ट्स हों, ऊर्जा सेक्टर हो, यूटिलिटीज हों या फिर अर्बन सस्टेनेबल लिविंग- ये सभी बेहद महत्वपूर्ण हिस्से हैं. मुझे लगता है कि 2026-27 में सरकार का बड़ा फोकस इसी पर रहने वाला है.'
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अडानी ग्रुप का क्या रोल?
प्रणव अडानी से पूछा गया कि आखिर क्या वजह है कि अधिकांश कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्चर में नहीं उतरतीं? उन्होंने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा व्यवसाय नहीं है जिसे आसान कहा जाए. इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसका जेस्टेशन पीरियड बहुत लंबा होता है. यह कोई ऐसा बिजनेस नहीं है कि आज निवेश किया और एक या दो साल में रिटर्न मिल गया. शुरुआती कुछ वर्षों तक आपको लगातार पैसा लगाना पड़ता है और लंबे समय का निवेश सोचना पड़ता है. लेकिन इसके साथ ही कई बड़े अवसर भी मौजूद हैं. आज अगर आप 25 साल, 50 साल के नजरिए से व्यवसायों को देखें- तो उदाहरण के तौर पर एयरपोर्ट्स, जिन्हें हम आज विकसित कर रहे हैं, उनका दृष्टिकोण अगले 50 वर्षों का है. इसी तरह बिजली और ऊर्जा उत्पादन का व्यवसाय है, जिसमें हम 25-30 साल आगे की सोच रहे हैं. लंबी अवधि की इसी सोच के साथ, जैसा कि हमारे चेयरमैन गौतम भाई हमेशा 15-20 साल आगे की तैयारी रखते हैं. हम भी 2047 के विकसित भारत की कल्पना कर रहे हैं और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण से भी यह वही सेक्टर है, जिस पर ध्यान देना सबसे जरूरी है.
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प्रणव अडानी से पूछा गया कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अडानी ग्रुप का क्या रोल है और ऐसे कौन से ग्लोबल मॉडल्स हैं जो प्रेरित करते हैं? उन्होंने बताया, 'हमारे जिन व्यवसायों में हम काम कर रहे हैं, उनमें आज दुनिया के बड़े ग्लोबल लीडर्स मौजूद हैं. उदाहरण के लिए एयरपोर्ट्स को ही लें. आपने भी कई जगह यात्रा की होगी- अबू धाबी, दुबई, कतर या पहले के समय में यूरोप के एयरपोर्ट्स- ये सभी दुनिया के मानक माने जाते थे. लेकिन पिछले पांच से छह साल में भारत के एयरपोर्ट्स में भी बहुत तेजी से सुधार हुआ है. कई एयरपोर्ट्स प्राइवेटाइज हुए हैं और अब वे ग्लोबल बेंचमार्किंग के स्तर पर काम कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम हर साल यह भी आंकते हैं कि हमारे पास कितने पैसेंजर्स आए, कितने हैपी पैसेंजर्स, कितने संतुष्ट ग्राहक रहे, हमने क्या बदलाव किए और समय के साथ हम टेक्नोलॉजी के जरिए किस तरह सुधार ला रहे हैं. अगर पोर्ट्स की बात करें तो आज हमारे समूह के पास भारत और विदेश में मिलाकर 15 से ज्यादा पोर्ट्स हैं. लेकिन हमारा लक्ष्य हमेशा रॉटरडैम या सिंगापुर जैसे विश्व-स्तरीय पोर्ट्स के टर्नअराउंड टाइम से अपनी तुलना करना रहता है- चाहे वह कंटेनर की हैंडलिंग हो या किसी अन्य कार्गो का काम. अभी हाल ही में हमने विजिंजम पोर्ट का उद्घाटन किया है. यह आज भारत का सबसे बड़ा ट्रांसशिपमेंट हब है. पहले भारत का अधिकतर कार्गो या तो मिडिल ईस्ट के फुजैरा या मलक्का की ओर ट्रांसशिपमेंट के लिए जाता था. लेकिन सवाल यह है कि भारत का अपना बड़ा ट्रांसशिपमेंट हब क्यों न हो? विजिंजम पोर्ट, जो केरल में है, एक बहुत गहरा पोर्ट है और दुनिया के सबसे बड़े जहाज यहां आराम से किनारे लग सकते हैं. इसी क्षमता के कारण यह अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक मजबूत उदाहरण बन रहा है.'
'रेटिंग हमारे काम का बायप्रोडक्ट'
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के सवाल पर उन्होंने बताया, 'केवल Moody’s ही नहीं, बल्कि S&P Global Ratings और अन्य एजेंसियों ने भी हमारी रेटिंग्स में अहम सुधार किए हैं. वास्तव में, हम भारत की उन कुछ कंपनियों में से हैं जिनकी रेटिंग देश की सॉवरेन रेटिंग के बराबर है. भारत की जो रेटिंग होती है, वही हमारी रेटिंग के लिए भी एक तरह से कैप (सीमा) का काम करती है.'
प्रणव अडानी ने कहा, 'मेरा मानना है कि अगर आपका प्रदर्शन लगातार अच्छा हो, आप ऑपरेशंस पर फोकस रखें और कार्यान्वयन (execution) में मजबूत रहें, तो अच्छी रेटिंग अपने-आप मिलती है. रेटिंग असल में हमारे काम का एक ‘बायप्रोडक्ट’ है- आखिरी नतीजा. आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि आने वाले पांच साल में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 10 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर का लक्ष्य तय किया है. यानी हर साल हम लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगे, और वह भी केवल भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में. इस दृष्टि से देखें तो हम अभी पूरी तरह सही दिशा में हैं- खासकर एग्जीक्यूशन के मामले में.'
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'जहां निवेश की जरूरत होती है, हम वहां जाते हैं'
हर राज्य में निवेश और राजनीति से दूरी के सवाल पर उन्होंने कहा, 'आज की तारीख में हम भारत के लगभग 26 राज्यों में निवेश कर चुके हैं. इसके अलावा देशभर में हमारी लगभग 400 लोकेशन्स हैं, जहां किसी न किसी रूप में हमारे बिजनेस मौजूद हैं- चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर हो, पावर हो, सीमेंट हो या यूटिलिटी सर्विसेज हों. यानी हम पूरे देश में सक्रिय हैं. जब भी किसी राज्य को निवेश की आवश्यकता होती है, वे ‘इन्वेस्टर्स समिट’ आयोजित करते हैं, जहां निवेशकों का स्वागत किया जाता है. अब भारत में एक मॉडल बन चुका है कि हर राज्य दूसरे राज्य से प्रतिस्पर्धा कर रहा है- कितना निवेश वह अपने यहां ला पा रहा है. क्योंकि आज की युवा पीढ़ी सवाल पूछ रही है. बिहार का युवा वहां की लीडरशिप से पूछता है कि राज्य में निवेश क्यों नहीं आ रहा. केरल का युवा पूछता है कि निवेश केरल में क्यों नहीं आ रहा, उन्हें काम के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है. ऐसा ही असम में होता है, और यही सवाल पश्चिम बंगाल में भी उठता है- जहां हम भी निवेश कर रहे हैं.'
प्रणव अडानी ने कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि पिछले कुछ वर्षों में केरल में जिस तरह का निवेश हमने किया है- चाहे वह तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट हो या विजिंजम पोर्ट- वैसा निवेश बहुत कम प्राइवेट कंपनियों ने किया है. बिहार की ही बात करें तो मुझे नहीं पता कि कितनी निजी कंपनियों ने उतना निवेश किया है, जितना हमने किया है. हमें सम्मान और सौभाग्य मिला कि भागलपुर के पीरपैंती में हमें पावर प्लांट विकसित करने का मौका मिला. वहां हम 2400 मेगावाट का प्लांट लगा रहे हैं, जिसमें लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है. विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी होता है, और हर कोई जानता है कि किसी राज्य को आगे बढ़ाना है तो उद्योगों के लिए सबसे जरूरी ‘ईंधन’ ऊर्जा ही है और यह निवेश वहां पहुंच रहा है. इसलिए जब किसी राज्य को निवेश की जरूरत होती है, हम वहां जाते हैं, चाहे सत्ता में कोई भी राजनीतिक पार्टी क्यों न हो.'
राजनीतिक नजदीकियों के आरोपों पर प्रणव अडानी ने कहा, 'हम एक डेमोक्रेसी में हैं. तो अभी डेमोक्रेसी के अंदर अगर आप बोलोगे कि भई सब जवाबदेह हैं, सब बराबर हैं. अगर आज कोई आरोप लगा रहा है, तो आपको जांच की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. सब ग्रुपों के साथ होता है. तो अगर आप ईमानदार हैं, स्पष्ट हैं, पारदर्शी हैं और आपकी गवर्नेंस का मॉडल मजबूत है, तो फिर किसी तरह की जांच या आरोप से डरने की कोई जरूरत नहीं होती. जहां तक ‘सॉफ्ट टारगेट’ की बात है- मैं मानता हूं कि अगर किसी राज्य को किसी चीज की जरूरत है और वह राज्य के हित में है, तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि वहां की राजनीतिक पार्टियां आपको पसंद करती हैं या नहीं.'
धारावी प्रोजेक्ट को लेकर क्या बोले प्रणव अडानी?
धारावी प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा अर्बन रीजनरेशन प्रोजेक्ट है. लोग अभी भी मुंबई शहर में ही रहते हैं और उन्हें वहीं पुनर्वास दिया जाएगा.अगर आप धारावी का इतिहास देखें तो पिछले 40 साल से धारावी को दोबारा विकसित करने की कोशिश हो रही थी, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ पाया. अब सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला था और उसी प्रक्रिया में अडानी ग्रुप का चयन हुआ है.जहां तक पुनर्वास (rehabilitation) की बात है, हमारा मानना है कि यह प्रोजेक्ट लंबे समय में बहुत अच्छा काम करेगा, क्योंकि यह मुंबई शहर के बीच में एक बड़ा विकास प्रोजेक्ट है. इसमें करीब 2 लाख घर बनाने हैं. सरकार ने यह साफ कहा है कि जो लोग साल 2000 से पहले धारावी में रह रहे थे, उन्हें उसी जगह (in-situ) नया घर मिलेगा.
और जो लोग उसके बाद आए, उन्हें मुंबई रीजन में घर दिया जाएगा पर उन्हें मुंबई रीजन में ही पुनर्वास मिलेगा. अब बात लोगों के भरोसे की. मैं खुद धारावी के अंदर जाता हूं और लोगों से बात करता हूं. लोग अब पहले से बहुत ज्यादा आशावादी हैं. सोशल मीडिया की वजह से उन्हें पता है कि उनके आसपास क्या विकास हो रहा है. वे सोचते हैं कि जब मुंबई और देश में इतनी तरक्की हो रही है, तो उन्हें भी वही अवसर क्यों न मिले? अब बदलाव होना तय है, इसमें कोई शक नहीं. और आज धारावी के लोगों को 350 वर्ग फीट कारपेट एरिया का घर मिलने जा रहा है. मान लीजिए कि मुंबई में रेट लगभग ₹30,000 प्रति वर्ग फीट है, तो यह करीब 1 करोड़ रुपये की कीमत का घर बनता है और यह उन्हें बिल्कुल मुफ्त मिलेगा. तो वे बदलाव क्यों नहीं चाहेंगे? हर कोई सम्मान से भरी जिंदगी चाहता है. मैं आपको बताऊं कि आज भी धारावी में कई इलाके ऐसे हैं जहां हालात बेहद खराब और अमानवीय हैं.
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लोगों को घर अलॉट किए जाने की प्रक्रिया को समझाते हुए प्रणव अडानी ने कहा, 'इसमें सबसे बड़ी समस्या भरोसे की कमी (ट्रस्ट डेफिसिट) है. पहले जो भी स्लम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट हुए, उनमें लोगों को पहले ट्रांजिट हाउस में भेज दिया जाता था. कई बार ऐसा हुआ कि उन्हें अपने पुराने इलाके में वापस लाया ही नहीं गया. नतीजा यह हुआ कि कुछ लोग तो बेघर जैसी स्थिति में पहुंच गए. इसलिए उन्हें लगता है कि इससे तो बेहतर था कि वे अपने स्लम में ही रहते. इसी बात को समझते हुए हमने पूरी प्रक्रिया को बदल दिया है. हमने साफ कहा है कि पहले हम आपका नया घर बनाएंगे, फिर आपको उसकी चाबी देंगे. आप सीधे अपने फाइनल घर में शिफ्ट होंगे. उसके बाद ही आपका पुराना स्लम हटाया जाएगा और वहां रीडेवलपमेंट होगा. इससे लोगों में भरोसा आता है कि उन्हें पहले घर मिल रहा है, और यही तरीका पुराने ट्रांजिट हाउस वाले मॉडल से बिल्कुल अलग है.'
उन्होंने आगे कहा, 'हम धारावी को एक पूरी तरह मल्टीमोडल कॉरिडोर की तरह विकसित करना चाहते हैं. वहां पर बसें आएंगी, मेट्रो आएगी, लोकल ट्रेनें आएंगी, और सबसे अच्छी सड़कों का निर्माण होगा, क्योंकि हम वहां एक नई सिटी तैयार कर रहे हैं. धारावी मुंबई के बिलकुल बीच में है, इसलिए यह जगह वैसे भी बेहद अहम है. अगर यहां लॉजिस्टिक्स को अच्छी तरह प्लान किया जाए, तो पूरे मुंबई में आवाजाही बहुत आसान हो जाएगी. हमारा लक्ष्य है कि यह इलाका बिल्कुल वैसे मल्टीमोडल नेटवर्क की तरह बने जैसा आपने हांगकांग जैसे देशों में देखा होगा, जहां बेसमेंट लेवल से लेकर ऊपरी लेवल तक हर चीज़ आपस में कनेक्ट होती है. वहां की तरह यहाँ भी मेट्रो से सीधे एयरपोर्ट कनेक्शन, लोकल ट्रेनों से दूसरी ट्रेनों तक आसान ट्रांसफर, और हर दिशा में स्मूद मूवमेंट का इंतजाम होगा. हमने पूरा प्लान इसी तरह तैयार किया है.'
'मुंबई में कम से कम दो से तीन एयरपोर्ट होने चाहिए'
नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रणव अडानी ने कहा, 'अगर हम एयरपोर्ट की बात करें, तो आप सभी जानते हैं कि दुनिया के कई बड़े शहरों में कई एयरपोर्ट होते हैं. उदाहरण के लिए लंदन में चार एयरपोर्ट हैं- हीथ्रो, लंदन सिटी, गेटवे और स्टैंडस्टेड एयरपोर्ट. मुंबई जैसी बड़ी सिटी में भी कम से कम दो से तीन एयरपोर्ट की जरूरत है. नवी मुंबई में नया एयरपोर्ट बनने से हवाई यात्रा का बहुत बूस्ट होगा. हम हमेशा मानते हैं कि अगर आप सप्लाई बढ़ाते हैं, तो लोग ज्यादा एयर ट्रैवल करेंगे. जब एयर ट्रैवल बढ़ता है, तो एयरफेयर के दाम भी कम हो जाते हैं. अमेरिका में आप देख ही चुके हैं कि एयर ट्रैवल और ट्रेन ट्रैवल कीमत और सुविधा के हिसाब से लगभग बराबर हो जाता है, खासकर अगर समय पर बुकिंग करें. इसलिए, जब नवी मुंबई एयरपोर्ट पूरी तरह से तैयार होगा और सभी इंफ्रास्ट्रक्चर काम पूरे हो जाएंगे, तो दोनों एयरपोर्ट्स बहुत अच्छे से काम करेंगे. और अब महाराष्ट्र में जो इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, उससे नवी मुंबई पहुंचने में आधे घंटे से ज्यादा समय भी नहीं लगेगा.'
असम में एयरपोर्ट और एनर्जी प्रोजेक्ट्स को लेकर किए गए निवेश पर उन्होंने कहा, 'असम के एयरपोर्ट का भी पूरा एक्सपेंशन प्लान है. इसके अलावा, जैसा कि आपने कहा, हम वहां 3200 मेगावाट का पावर प्लांट लगा रहे हैं. असम की भूमिका उत्तर-पूर्वी भारत के लिए बहुत बड़ी है. वहां से ‘चिकन नेक’ के जरिए पूरे क्षेत्र को जोड़ा जाता है और आसपास के सात अन्य राज्यों- जिन्हें ‘सेवन सिस्टर्स’ कहा जाता है- से कनेक्शन मिलता है. अगर आप देखें, तो गुवाहाटी एयरपोर्ट खुद ही इस पूरे क्षेत्र के लिए एक हब बन सकता है. यहां से पूरे क्षेत्र में यात्रा आसान है और गुवाहाटी के जरिए आप आगे जाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जा सकते हैं. असम खुद ही एक बहुत ही रणनीतिक (strategic) स्थान पर स्थित है. ये ऐसे इलाके हैं, जिनमें हमें काफी समय पहले ही निवेश करना चाहिए था. लेकिन सही समय पर काम शुरू किया गया है.'
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बिहार में क्या संभावनाएं देखता है अडानी ग्रुप?
प्रणव अडानी से बिहार में निवेश को लेकर सवाल पूछा गया कि आखिर उन्हें बिहार में क्या उम्मीदें नजर आती हैं. उन्होंने जवाब दिया, 'मैं व्यक्तिगत रूप से दो बार बिहार के इन्वेस्टर्स समिट में गया हूं. वहां हमने देखा कि इतने सारे अवसर हैं. वहां के युवा बहुत महत्वाकांक्षी हैं. लेकिन अवसर न होने की वजह से उन्हें अलग-अलग शहरों में काम करना पड़ता है. हमें लगता है कि अगर बिहार में ही अवसर दिए जाएं, तो युवा वहीं रहना चाहेंगे. आपने कोविड के समय भी देखा होगा कि बहुत सारे लोग वापस बिहार लौटे यानी अब लोग बिहार में रहना चाहते हैं. और बिहार को विकसित करने से कोई नहीं रोक सकता. एकमात्र जरूरत है उद्योगों के लिए ऊर्जा (फूड फॉर मैन्युफैक्चरिंग यानी एनर्जी). अगर आज ऊर्जा की सुविधा उपलब्ध हो और सरकार इसे समझती है कि यह जरूरी है, तो निवेश और विकास संभव है. हमारी कंपनी ने वहां वस्तलीगंज में एक सीमेंट प्लांट भी लगाया है. इसके अलावा हमने स्मार्ट मीटर और दो-तीन रोड प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए हैं. मैं मानता हूं कि अब बिहार पूरी तरह विकास के रास्ते पर है और तेजी से बदल रहा है.'
उनसे पूछा गया कि आपके ग्रुप पर गवर्नेंस संबंधित कुछ आरोप लगे थे. हालांकि सेबी ने आगे चलकर इस पर क्लीन चिट दी लेकिन उस पूरे विवाद का बिजनेस पर क्या असर पड़ा? प्रणव अडानी ने बताया, 'बिजनेस पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा. असल में, हमने दो गुना अधिक ग्रोथ की है. आप 2023 की बात कर रही हैं और अब 2025 को देखें, तो इन दो वर्षों में ग्रुप और भी ज्यादा बढ़ चुका है. आज हम लगभग 90,000 करोड़ रुपये का ईबिड्टा दर्ज कर रहे हैं. हमने हाल ही में जो घोषणाएं की हैं, उनके अनुसार आने वाले तीन-चार सालों में हमारी खुद की इंटरनल अप्रूवल्स पूरी तरह से सभी एक्सपेंशन प्लान्स को संभाल लेंगी. ग्रोथ की ट्रेजेक्टरी में ये सब तो होता ही रहता है. हमें भरोसा था कि हम इसे सही तरीके से अंजाम देंगे. और जहां तक गवर्नेंस की बात है- पहले भी थी, लेकिन अब और अधिक मजबूत हो गई है. हमारे पास पूरा गवर्नेंस मॉडल है, और अब पारदर्शिता भी बहुत बढ़ गई है. इसलिए आज आप देखेंगे कि ग्रुप वास्तव में काफी तेजी से बढ़ रहा है, उससे कहीं ज्यादा फास्ट स्पीड से, जितना कि पुराने रिपोर्ट के समय था.'
प्रणव अडानी ने बताया, 'दो साल पहले हमारे ग्रुप में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 55,000 लोग काम कर रहे थे. आज इसके मुकाबले लगभग ढाई लाख लोग और उनके परिवार ग्रुप के लिए काम कर रहे हैं. और यह संख्या आगे और बढ़ने वाली है. इससे स्पष्ट होता है कि भारत जो अवसर दे रहा है, वह बहुत बड़ा है. आज देश में इतनी बड़ी संभावनाएं हैं कि कोई भी काम करने के लिए लोगों की आवश्यकता पड़ेगी. जरूर, हमें अलग तरह की स्किलिंग और ट्रेनिंग की जरूरत होगी, लेकिन लोगों की हमेशा जरूरत रहेगी और उन्हें इस विकास में शामिल होना होगा.'
70 घंटे काम करना सही या गलत?
70 घंटे काम करने को लेकर चली बहस के सवाल पर प्रणव अडानी ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा, 'इस विषय पर पहले ही बहुत बातें हो चुकी हैं और काफी विवाद भी हो चुका है. इसलिए मैं इस पर ज्यादा नहीं जाऊंगा. लेकिन हम एक बात मानते हैं कि हर किसी को उतना ही काम करना चाहिए जितना वह तय करता है. इसके लिए कोई सख्त नियम नहीं हो सकते. मैं खुद की बात करूं तो, मैं दिन में 12-14 घंटे ऑफिस में रहता हूं. लेकिन इसके अलावा मेरा फोन सुबह 8 बजे से लेकर रात 12 बजे तक चालू रहता है और लोग मुझसे संपर्क करते रहते हैं. इसे रोक पाना असंभव है. तो अगर आप कॉल को काम मानते हैं, तो यह वर्क फ्रॉम होम का हिस्सा बन जाता है. लेकिन जैसा मैंने कहा, हर किसी के लिए अलग होता है, इसमें कोई सही या गलत नहीं है.'
उनसे गौतम अडानी को लेकर भी सवाल पूछा गया कि क्या वो सच में बहुत सख्त टास्क मास्टर हैं, जैसा आप लोग कहते हैं या घर में अलग और ऑफिस में अलग व्यवहार करते हैं? प्रणव अडानी ने कहा, 'घर पर तो वह बहुत प्यार करते हैं, लेकिन ऑफिस में वह टास्क मास्टर हैं. वह बहुत अनुशासित लीडर हैं और खुद इतने अनुशासित हैं कि वे कहते हैं, 'लीडरशिप आप मुझसे देखकर ही सीख सकते हैं.'
प्रणव अडानी से पूछा गया कि भारत के विकास के अगले दौर में आप अडानी ग्रुप को कहां देख रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया, 'विकसित भारत बनने के लिए 2047 तक लॉजिस्टिक्स कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आज की तारीख में लगभग 8% हमारी GDP लॉजिस्टिक्स पर खर्च होती है (7.98%), जो ग्लोबल स्तर पर ठीक है, लेकिन इसे और बेहतर बनाया जा सकता है. सस्ता और प्रभावी लॉजिस्टिक्स केवल सही कनेक्टिविटी से ही संभव है. और कनेक्टिविटी का मतलब सिर्फ पोर्ट्स नहीं है, बल्कि सड़कों, ICDs, एयरपोर्ट्स और पूरे नेटवर्क की समग्र कनेक्टिविटी है. अगर हम देश के स्तर पर इसे सही ढंग से मैनेज कर सकें, तो विकसित भारत बनने से कोई नहीं रोक सकता. और मैं पूरी तरह विश्वास करता हूं कि भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में 100% संभव है.'
'बेस लोड बिजली थर्मल पावर प्लांट्स से आता है'
कोयला और ग्रीन एनर्जी संतुलन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठने वाले सवालों पर प्रणव अडानी कहते हैं, 'आज कुछ लोग फैशन के लिए कहते हैं कि 'कोयला मत इस्तेमाल करो.' लेकिन सच यह है कि आज भी बेस लोड बिजली थर्मल पावर प्लांट्स से आता है. हमें यह भी समझना होगा कि आज की टेक्नोलॉजी, जिसे हम अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल कहते हैं, इतनी उन्नत है कि इसकी एमिशन लगभग नगण्य है. तो हां, हमें बेस लोड के लिए थर्मल पावर की जरूरत है, लेकिन इसके साथ ही हमें बराबर मात्रा में रिन्यूएबल एनर्जी भी चाहिए. अगर हम रिन्यूएबल एनर्जी की बात करें, तो अडानी ग्रुप इसमें बड़ा रोल निभा रहा है. हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक हम दुनिया की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन कंपनी बनें. उदाहरण के लिए, खावड़ा (कच्छ) के बॉर्डर के पास हम अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के जरिए 30 गीगावाट्स (3000 मेगावाट्स) की रिन्यूएबल क्षमता एक ही लोकेशन पर लगा रहे हैं. इसे समझने के लिए, यह लगभग 520 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है, जो पेरिस के आकार का पांच गुना है. यहां हम सोलर पावर का उत्पादन करेंगे और इसे आप चांद से भी देख सकते हैं. इस तरह सभी प्रोजेक्ट्स को मिलाकर हम 2030 तक लगभग 50 गीगावाट्स का उत्पादन करेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'चुनौतियां तो हर बिजनेस में होती हैं. उदाहरण के लिए, खावड़ा का इलाका शुरू में पूरी तरह बंजर भूमि था, बहुत गर्म और रेगिस्तानी, जहां कोई सामान्य तौर पर काम करना पसंद नहीं करता. ऐसे में इसे उत्पादक भूमि में बदलना एक बड़ा काम है. हर बिजनेस में सप्लाई चेन और अन्य चुनौतियां आती हैं, और हमने कई बिजनेस में इन्हें देखा है. अब हम इसे जीवन का एक हिस्सा मानकर आगे बढ़ रहे हैं.'
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क्या भारत में बिजनेस करना 'ईजी' है?
उनसे पूछा गया, 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस... भारत इजी है बिजनेस के लिए या फिर नहीं है?' प्रणव अडानी ने जवाब दिया, 'हमने पहले भी इस बारे में बात की है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कितना महत्वपूर्ण है, अगर आप मुझसे व्यक्तिगत रूप से पूछें, तो हम भारतीय हैं और हमें इसे उसी संदर्भ में देखना चाहिए. अगर मैं 10-12 साल पहले और आज की तुलना करूं, तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में बहुत बड़ा बदलाव आया है. पिछले 20-25 सालों में चीजें ड्रास्टिकली बेहतर हुई हैं. अब काफी चीजें ऑनलाइन हो गई हैं और हर प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट हो गई है. उदाहरण के लिए, अगर बिहार में कोई कैबिनेट मीटिंग होती है, तो आपको आसानी से ऑनलाइन पता चल जाता है कि क्या हुआ. किसी भी राज्य में क्या हो रहा है, यह सब ऑनलाइन उपलब्ध है. बेशक सुधार की हमेशा गुंजाइश रहती है, लेकिन आज हम पुराने दिनों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर स्थिति में हैं.'
प्रणव अडानी से पूछा गया कि एक ग्लोबली कंपिटिटिव इंडिया में योगदान देना है तो माइंडसेट में किस तरह का बदलाव करना होगा? उन्होंने जवाब दिया, 'हमारे ग्रुप की बात करें तो यह फर्स्ट जनरेशन ग्रुप है. यह कोई ऐसा ग्रुप नहीं है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा हो. इसे फाउंडर और चेयरमैन गौतम अडानी ने शुरू किया. आज की भारत की युवा पीढ़ी बहुत महत्वाकांक्षी है. उनमें कुछ कर दिखाने का जुनून है, और यह जोश हर सेक्टर में दिखाई देता है, जहां हम काम कर रहे हैं. देश के स्तर पर भी हम अलग पैमाने पर स्केल कर रहे हैं. हमारा सबसे बड़ा फायदा यह है कि आज हमारी आधी आबादी 35 साल से कम उम्र की है. आप जानते हैं, यह कितनी बड़ी ताकत है. यही कारण है कि पूरी दुनिया आज भारत की ओर देख रही है. हमारी युवा पीढ़ी में एंटरप्रेन्योरियल माइंडसेट है, यानी नई चीजें शुरू करने की सोच और हौसला है. हमें युवाओं में यह भावना जगानी है कि कुछ नया करें, एंटरप्रेन्योरशिप करें, क्योंकि अवसर यहां बहुत हैं. अगर कोई कहता है कि भारत में अवसर नहीं हैं और बाहर जाना चाहिए, तो वह गलत है. मेरे अनुसार भारत में बहुत अवसर हैं. और बहुत जल्द आप देखेंगे कि रिवर्स माइग्रेशन भारत की तरफ बढ़ेगा. मैं इसमें पूरी तरह आश्वस्त हूं. यह केवल समय की बात है.'
'भारतीय होने के नाते देश के लिए कुछ करने की चाह'
आखिर में लेगसी के सवाल पर प्रणव अडानी ने कहा, 'हमारे लिए एक परिवार के रूप में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमने क्या योगदान दिया, लोगों के जीवन में क्या बदलाव लाए और उनकी मदद कैसे की. यानी, हमारी कोशिश रहती है कि हम लोगों के जीवन में सुधार लाएं और उन्हें प्रगति के अवसर दें. हमारे सभी बिजनेस अब एक उद्देश्य के साथ किए जा रहे हैं. जैसे कि हमने धारावी प्रोजेक्ट की बात की- इसमें संतोष की बात यह है कि वहां के लोग सम्मानपूर्ण जीवन प्राप्त करेंगे. उनके जीवन में बदलाव आएगा और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रगति का रास्ता खुलेगा. हम अब यह देखते हैं कि लोग हमें किस तरह याद रखेंगे, यही वजह है कि हमारे सभी प्रोजेक्ट्स देश के लिए गर्व का कारण हैं. अंततः हम भारतवासियों के रूप में अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. यही हमारी राष्ट्रीय सेवा है और यही हमारी मान्यता है कि हम इसके लिए बने हैं.'