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'असम में काफी वक्त पहले ज्यादा निवेश करना चाहिए था', जानें- ऐसा क्यों बोले प्रणव अडानी

अडानी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव अडानी ने असम में निवेश की आवश्यकता और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने असम को देश के रणनीतिक क्षेत्र के रूप में रेखांकित करते हुए गुवाहाटी एयरपोर्ट के विस्तार और 3200 मेगावॉट पावर प्लांट की योजना का उल्लेख किया.

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एजेंडा आजतक के मंच पर अडानी ग्रुप के मैनेजिंग डाइरेक्टर  मैनेजिंग डाइरेक्टर (Agro and Oil & Gas) प्रणव अडानी ने सवालों के जवाब दिए
एजेंडा आजतक के मंच पर अडानी ग्रुप के मैनेजिंग डाइरेक्टर मैनेजिंग डाइरेक्टर (Agro and Oil & Gas) प्रणव अडानी ने सवालों के जवाब दिए

अडानी ग्रुप के मैनेजिंग डाइरेक्टर (Agro and Oil & Gas) प्रणव अडानी ने गुरुवार को आजतक के खास कार्यक्रम एजेंडा आजतक में शिरकत की. उन्होंने इस दौरान कई सवालों के जवाब दिए, साथ ही देश के विकास और इंन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर भविष्य की योजनाओं का रोडमैप भी बताया. इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में देश के पूर्वी राज्य असम को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने बताया कि असम में पहले से ही बेहतर निवेश करने चाहिए थे, लेकिन इसमें देरी हुई है. उन्होंने इसे देश के महत्वपूर्ण क्षेत्र के तौर पर रेखांकित किया.

'असम की भूमिका काफी बड़ी'
प्रणव अडानी ने असम के भू-भाग की जरूरत पर बात करते हुए कहा कि, 'असम के एयरपोर्ट पर भी विकास और विस्तार की योजना जारी है,  लेकिन इसके अलावा, वहां 3200 मेगावॉट का पावर प्लांट हम लगा रहे हैं. असल में असम की जो भूमिका पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए है, वह बहुत बड़ी है. क्योंकि वहां का हिस्सा ‘चिकन नेक’ कहलाता है, इसलिए महत्व रखता है, उसके बाद सातों राज्य—जिन्हें ‘सेवन सिस्टर्स’ कहा जाता है वह भी उसी कनेक्शन से जुड़े हुए हैं.' 

उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि 'वास्तव में, अगर आप देखें तो गुवाहाटी एयरपोर्ट खुद पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा हब बन सकता है. वहां से पूरा नॉर्थ ईस्ट ट्रैवल किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे हम दुबई होकर दुनिया के दूसरे देशों में जाते हैं. असम खुद में एक तरीके से बेहद रणनीतिक लोकेशन पर स्थित है. और आप जानते हैं, ये वे क्षेत्र हैं जिनमें हमें एक देश के रूप में बहुत पहले ही अधिक निवेश करना चाहिए था.'

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भविष्य से हैं आशाएं- प्रणव अडानी
इससे पहले बातचीत के सिलसिले में प्रणव अडानी ने यह भी कहा कि, 'आने वाले साल 2026 को बहुत आशा के साथ देखते हैं. जिस तरह हम अब 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं और अगले पांच से छह वर्षों में 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की दिशा में चल रहे हैं, उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर इस पूरी भारतीय ग्रोथ स्टोरी का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है.'

'खासतौर पर जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात आती है, चाहे वह सड़कें हों, एयरपोर्ट हों, पोर्ट्स हों, ऊर्जा क्षेत्र हो, यूटिलिटीज हों, या फिर अर्बन सस्टेनेबल लिविंग, ये सभी बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू हैं. मेरा मानना है कि आने वाले 2026–27 में सरकार का बड़ा फोकस इन्हीं पर रहने वाला है. इसलिए हम इसे लेकर काफी आशावादी हैं.'

आसान बिजनेस नहीं है इंफ्रास्ट्रक्चर
उन्होंने कहा कि, 'इंफ्रास्ट्रक्चर आसान बिजनेस नहीं है. क्योंकि इसमें बहुत लंबा जेस्टेशन पीरियड होता है. यह कोई ऐसा व्यवसाय नहीं है जिसमें आज आपने पैसा लगाया और एक या दो साल में रिटर्न मिल जाए. शुरुआती कुछ वर्षों तक आपको लगातार निवेश करना पड़ता है, लंबी अवधि की सोच रखनी होती है. लेकिन यही वे क्षेत्र हैं जहां अवसर भी मौजूद हैं. क्योंकि अगर आप 25 साल, 50 साल की अवधि में बिजनेस की संभावनाओं को देखें, तो आज जिन एयरपोर्ट्स को हम विकसित कर रहे हैं, हम उन्हें अगले 50 साल को ध्यान में रखकर बना रहे हैं. यही बात बिजली और ऊर्जा उत्पादन के व्यवसाय पर भी लागू होती है.'

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