Kidney Stone Vs Period Pain: अक्सर महिलाएं किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी के दर्द को पीरियड्स के दर्द समझकर नजरअंदाज कर देती हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि दोनों दर्दों में बड़ा फर्क होता है और अगर समय रहते पहचान न हो तो किडनी को नुकसान तक हो सकता है.
पुणे के मणिपाल हॉस्पिटल्स बानेर के नेफ्रोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. सौरभ खिस्ते के मुताबिक, किडनी स्टोन का दर्द आमतौर पर पीठ या कमर के एक तरफ से शुरू होकर नीचे पेट या ग्रोइन (जांघों के पास) तक फैल सकता है. जबकि पीरियड्स का दर्द सिर्फ निचले पेट या पेल्विक एरिया में होता है.
डॉ. खिस्ते बताते हैं कि महिलाओं में हार्मोनल चेंज , ब्लोटिंग (पेट फूलना), मतली और उल्टी जैसी दिक्कतों दोनों स्थितियों में हो सकती हैं. इसी वजह से कई बार महिलाएं किडनी स्टोन के दर्द को पीरियड्स का दर्द समझ लेती हैं.
किडनी स्टोन बनने पर अगर इलाज में देरी हो जाए तो यह पेशाब की नली को ब्लॉक कर सकता है, जिससे तेज दर्द, इंफेक्शन या किडनी डैमेज तक हो सकता है. अगर पेशाब के दौरान जलन, खून आना, बार-बार पेशाब लगना या एक तरफ लगातार दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड से किडनी स्टोन का पता आसानी से लगाया जा सकता है. डॉ. खिस्ते कहते हैं कि इससे यह साफ हो जाता है कि दर्द का कारण गाइनोकॉलॉजिकल प्रॉब्लम (जैसे एंडोमीट्रियोसिस या सिस्ट) है या किडनी स्टोन.
अगर स्टोन छोटा है तो वो दवाइयों और ज्यादा पानी पीने से भी निकल सकता है. लेकिन बड़े स्टोन के लिए मिनिमली इनवेसिव सर्जरी जैसे RIRS, URS या PCNL की जरूरत होती है. इन प्रक्रियाओं में बिना बड़े कट के पथरी को तोड़ा या निकाला जाता है.
किडनी स्टोन से बचाव के लिए सही मात्रा पानी पीना, नमक कम खाना और समय-समय पर किडनी फंक्शन की जांच करवाना जरूरी है. बार-बार यूटीआई होना या ज्यादा प्रोटीन और नमक वाला खाना भी स्टोन बनने की संभावना बढ़ा देता है.
डॉ. खिस्ते ने महिलाओं को सलाह देते हुए कहा कि अपने शरीर में दिखने वाले हर लक्षण को समझना चाहिए और पीरियड्स के दर्द जैसा लगने वाला हर दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए और उसकी समय पर जांच करवानी चाहिए.