फ्रीजर में पड़ी बेजान निर्वस्त्र लड़की की एक भयावह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इसे शेयर करने वालों का दावा है कि इस लड़की का नाम काजल है, जो असम में ‘लव जिहाद’ का शिकार हो गई. दावा किया जा रहा है कि काजल, शम्मी उर्फ शाबीर मियां के साथ रिलेशनशिप में थी. शम्मी ने अपने सात मुस्लिम दोस्तों के साथ पहले उसके साथ बलात्कार किया, फिर बेहोशी की हालत में उसे जिंदा फ्रिज में बंद कर दिया जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद गफ्फार मियां नाम के शख्स ने अपने दोस्तों के साथ आठ दिन तक फ्रिज में पड़े काजल के शव के साथ बलात्कार किया.
वायरल वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “असम में एक और श्रद्धा हुई डीपफ्रीज में पैक लिव इन रिलेशनशिप में रह रही काजल को शम्मी उर्फ शाबीर मियाँ ने पहले तो 7 मुस्लिम लडकों से रेप करवाया फिर जिंदा ही बेहोशी की हालत में फ्रीज में पैक कर दिया जिससे ठंड से उसकी मौत हो गई. हवानियत की हद तो उस समय पार हो गई जब गफ्फार मियां और उसके साथी 8 दिन से रोज फ्रीज से लडकी के शव को निकालकर मरी हुई के साथ रेप करते थे बाद में फिर से फ्रीज में पैक कर देते थे.”

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल तस्वीर एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है और इसका भारत से कोई संबंध नहीं है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
अगर वाकई में असम में ऐसी घटना हुई होती, तो इस पर जरूर मीडिया में खबरें छपतीं. लेकिन, हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये मार्च 2010 में प्रकाशित पुर्तगाली ब्लॉग में मिली . ब्लॉग में बताया गया है कि ये तस्वीर ब्राजील के साओ पाउलो शहर के ओसास्को इलाके में हुई एक हत्या की घटना की है. ब्लॉग के मुताबिक, इस लड़की के बॉयफ्रेंड ने ही इसकी हत्या कर दी थी.
इसके बाद, कीवर्ड सर्च करने पर हमें कई पुर्तगाली न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें इसे जनवरी 2010 की घटना बताया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 45 वर्षीय जोस लोपेज दा सिल्वा नाम के एक शख्स को अपनी 28 वर्षीय गर्लफ्रेंड कटियाना डी सूजा मौरा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जोस ने अपनी गर्लफ्रेंड की हत्या कर उसकी लाश को अपने घर में रखे फ्रीजर में छुपा दिया था.
ब्राजील के सार्वजनिक सुरक्षा सचिवालय के मुताबिक, इस महिला की लाश जमी हुई मिली थी. कुछ रिपोर्ट्स में जानकारी दी गई है कि करीब तीन महीने तक लड़की की लाश फ्रीजर में पड़ी रही.
ये तस्वीर पहले भी वायरल हुई थी. तब इस मामले पर असम पुलिस ने स्पष्टीकरण भी दिया था कि ये घटना असम की नहीं है और इसे लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही है.
साफ है, एक दशक से भी पुरानी ब्राजील की घटना की तस्वीर को भारत का बताते हुए सांप्रदायिक एंगल देकर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है.