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फैक्ट चेक: कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने नहीं किया सिखों की पगड़ी उतारने पर 10 साल की सजा का ऐलान

ऐसा कहा जा रहा है कि अब कनाडा में किसी सिख की पगड़ी उतारने वालों को दस साल की सजा भुगतनी होगी. इस कथित आदेश की तारीफ करते हुए कई लोग ट्रूडो का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. 

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि किसी सिख की पगड़ी उतारने पर दस साल की सजा दी जाएगी.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ट्रूडो ने हाल-फिलहाल में ऐसा कोई फरमान नहीं सुनाया है. हालांकि साल 2016 में ट्रूडो सरकार के कार्यकाल के दौरान कनाडा में एक सिख को पीटने पर एक व्यक्ति को दस महीने की सजा सुनाई गई थी.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नाम पर एक बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. ऐसा कहा जा रहा है कि अब कनाडा में किसी सिख की पगड़ी उतारने वालों को दस साल की सजा भुगतनी होगी. इस कथित आदेश की तारीफ करते हुए कई लोग ट्रूडो का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. 

हालांकि इस कथित बयान ने कई लोगों को अचंभे में भी डाल दिया है क्योंकि ट्रूडो सरकार का ऐसा कोई फरमान हाल-फिलहाल में सुनने में नहीं आया है.

एक फेसबुक यूजर ने इस बारे में लिखा, “कनाडा के प्रधानमंत्री का ऐलान, सिक्ख की पगड़ी उतारने वाले को 10 साल की सजा, दिल से शुक्रिया सर जी”. 

इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि जस्टिन ट्रूडो ने हाल-फिलहाल में ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है. हालांकि इतनी बात सच है कि साल 2016 में एक सिख युवक पर नस्लीय हमला करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 10 महीने जेल की सजा सुनाई गई थी. कनाडा में उस वक्त भी जस्टिन ट्रूडो की ही सरकार थी.

कैसे पता लगाई सच्चाई?

कीवर्ड सर्च के जरिये तलाशने पर हमें पता लगा कि साल 2017 और 2018 में भी कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्रूडो के हवाले से ये कथित बयान शेयर किया था. 

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इस बारे में थोड़ी और खोजबीन करने पर हमें ‘द हिंदू’ की 3 जुलाई, 2016 की एक रिपोर्ट मिली. इसमें बताया गया है कि कनाडा के क्यूबेक शहर में चार लोगों ने  सुपिंदर सिंह खेहरा नाम के एक सिख युवक की बेरहमी से पिटाई की थी. साथ ही, उसे फ्रांसीसी भाषा में गालियां भी दी थीं. 

बाद में इस घटना को लेकर खेहरा ने कहा था कि उन्हें, उनके गेहुंए रंग और पगड़ी की वजह से निशाना बनाया गया. हमलावर उनकी पगड़ी की तरफ इशारा करते हुए उनके पास पहुंचे थे. मारपीट के दौरान उनकी पगड़ी खुलकर गिर गई थी.

इस मामले में 22 वर्षीय गैब्रियल रॉयर ट्रेम्ब्ले को दस महीने की सजा सुनाई गई थी. तब जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना की निंदा की थी और कहा था कि कनाडा में इस तरह की नफरत भरी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. साल 2006 में इस घटना को लेकर मीडिया में काफी चर्चा हुई थी.

ट्रूडो ने अगर हाल-फिलहाल में सिखों को लेकर इस तरह का कोई बयान दिया होता, तो हर जगह इसके बारे में खबर छपी होती. लेकिन हमें ऐसी कोई भी खबर नहीं मिली.

साफ है, 6 साल पुरानी एक घटना को अभी का बताते हुए तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. इससे पहले भी जस्टिन ट्रूडो के बारे में झूठी खबरें वायरल हो चुकी हैं. ऐसी ही कुछ खबरों का फैक्ट चेक आप यहां, यहां और यहां पढ़ सकते हैं.

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(इनपुट: यश मित्तल )
 

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