
पाकिस्तान का कराची, दशकों पुराने गैंग वॉर्स से दहला जा रहा है. ऐसे-ऐसे गैंग जिनकी आपसी लड़ाइयां हजारों लोगों की जान ले चुकी हैं. ऐसे रहस्यमयी गैंगस्टर्स जिनका नाम लेना भी कराची में ईशनिंदा से भी बड़ा गुनाह हो. ऐसी हत्याएं कि डेड बॉडी देखकर शैतान की भी रूह कांप जाए.
एक पुलिस ऑफिसर इस दलदल को साफ करने उतरता है. जिन गैंगस्टर्स का नाम लेने की बजाय लोग मौत चुनना ज्यादा पसंद करते थे, उनकी लाशों पर मक्खियां मंडरा रही हैं. कुछ खतरनाक गैंगस्टर अरेस्ट भी होते हैं. इस ऑफिसर पर भी हमले हो रहे हैं. पर वो बिना एक भी खरोंच लगे बच निकल रहा है. आखिरकार, एक सुसाइड बॉम्बर अपने मकसद में कामयाब होता है. इस ऑफिसर की गाड़ी के परखच्चे 20 मीटर दूर जाकर गिरते हैं.
प्लॉट ट्विस्ट— पाकिस्तान दावा करता है कि उसने भारतीय नेवी के एक एक्स ऑफिसर को अरेस्ट किया है. दावा है कि ये भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ का जासूस है. भारत ऐसे किसी भी दावे से इनकार करता है. उस व्यक्ति का तथाकथित 'कन्फेशन' वीडियो आता है. उसका दावा है कि कराची वाले उस ऑफिसर की हत्या रॉ ने स्पॉन्सर की थी. उस ऑफिसर ने जिन खूंखार गैंगस्टर्स को पकड़ा, उनमें से एक बड़ा नाम बयान देता है. उसका दावा है कि उसके नेटवर्क ने इस तथाकथित जासूस के साथ 'कोलेबोरेशन' किया है.
पाकिस्तानी जनता शॉक है कि ये क्या हुआ! भारतीय जनता हैरान है कि पाकिस्तान के घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब देने वाली तथाकथित 'कॉन्स्पिरेसी थ्योरी' सच है क्या?! इन बातों को थ्योरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि आरोप पाकिस्तान के हैं. इनकार भारत का है. खबरें सिर्फ दोनों देशों में ही नहीं, इंटरनेशनल मीडिया में भी हैं. मगर पक्के फैक्ट्स किसी के पास नहीं हैं. और जहां फैक्ट्स गायब मिलें, फिक्शन वो जगह भर ही देता है.
2024 में रिटायर्ड कर्नल अजय के रैना ने किताब लिखी 'अननोन गनमेन'. उसमें, पाकिस्तान में घुसकर ऐसे ही ऑपरेशन्स करते भारत की कहानी थी. अब बॉलीवुड फिल्म 'धुरंधर' ऐसी ही कहानी लेकर आ रही है. डायरेक्टर आदित्य धर की ये फिल्म है तो फिक्शन ही. पर उनका दावा है कि ये रियल घटनाओं से प्रेरित है. 'धुरंधर' का ट्रेलर आ चुका है और 'प्रेरणा' का उनका ये दावा काफी क्लियर दिख रहा है. ट्रेलर में दिख रहे किरदार, कराची से जुड़े उन गैंगस्टर्स, उस ऑफिसर और कुछ घटनाओं से बहुत ज्यादा मेल खाते हैं. कहानी में गोता लगाने से पहले ये ट्रेलर देख लें:
कराची के गैंग वॉर का बैकग्राउंड
पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है कराची. 1947 से, भारत से अलग होकर पाकिस्तान बनने से पहले ये सिंध प्रांत की राजधानी हुआ करता था. कराची हमेशा से इंडस्ट्रियल और फाइनेंशियल एक्टिविटी का सेंटर था. पाकिस्तान बना, तो भारत से गए मुस्लिम भी यहां बसे. उत्तर प्रदेश से, राजस्थान से, मध्य प्रदेश से... इन्हें वहां मुहाजिर कहा गया. इन्होंने व्यापार और बाजार पर अपनी पकड़ बनानी शुरू की. इलाके में पुश्तैनी जमे हुए सिंधियों को इससे दिक्कत होने लगी.
फिर पाकिस्तान से बांग्लादेश कटा तो वहां से बिहारी और बंगाली भी आए. इसी तरह आगे चलकर पश्तून भी आए, अफगान रिफ्यूजी भी. कुछ अरबी भी, कश्मीरी भी, बोहरा और इस्माइली भी. कराची बड़ा शहर था, तो दूसरे इलाकों से भी लोग आकर बसने लगे. कराची हलवा पाकिस्तानी डिश नहीं है, मगर इतने मिक्स समुदायों से कराची की पॉलिटिक्स का हलवा जरूर बन गया. और इस हलवे की दुकान बना कराची का ल्यारी इलाका.
अलग-अलग समुदायों में झड़पें रोज की बात थीं, इसलिए मॉब कल्चर आम हो गया. हर समुदाय को राजनीति में भी अपना हिस्सा चाहिए था. मुहाजिरों के हित के लिए पार्टी बनी मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM). जबकि पाकिस्तान की बड़ी पार्टियों में से एक पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP), सिंधियों और बलोचों के हितों का ध्यान रखती थी. ल्यारी इस पार्टी का गढ़ था. कराची के सबसे कम विकसित इलाकों में से एक ल्यारी 80s तक आते-आते कर्रे गैंग वॉर का सेंटर बन चुका था. 'धुरंधर' के ट्रेलर में एक फ्रेम है. बैग टांगे रणवीर सिंह एक इलाके में दाखिल हो रहे हैं और वहां लिखा है— वेलकम टू ल्यारी.'

अक्षय खन्ना- रहमान डकैत
ल्यारी में ड्रग्स का तगड़ा धंधा करने वाले दादल डकैत के यहां 1980 में बेटा हुआ- सरदार अब्दुल रहमान बलोच. बचपन से ही इस लड़के के तेवर दिखने लगे थे. गैंगस्टरबाजी में पिता की हत्या हो गई, तो रहमान ने एक और बड़े गैंगस्टर, हाजी लालू को जॉइन कर लिया. इसी हाजी लालू का सगा बेटा अरशद पप्पू, आगे चलकर रहमान का राइवल बना. 13 साल की उम्र में रहमान अपना पहला मर्डर कर चुका था. 15 की उम्र में उसने अपनी मां की हत्या कर दी थी. शक था कि उसकी मां का अफेयर चल रहा है, राइवल गैंग के किसी आदमी के साथ. हत्या के बाद जेल गए रहमान को नई पहचान मिली— रहमान डकैत.
यहीं से एक ऐसे मिथक का भी जन्म हुआ जिससे डरते सब थे, लेकिन नाम कोई नहीं लेता था. 2001 में उसने ऐसा गैंग वॉर लीड किया जिसने ल्यारी को ठप्प कर दिया था. आगे चलकर रहमान के पॉलिटिकल एम्बिशन जागने लगे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि रहमान के पिता के ज़माने से ही गैंगस्टर्स को पॉलिटिकल सपोर्ट मिलता था. खुद रहमान को PPP सपोर्ट करने लगी. रहमान को बस PPP का वोट बैंक बचाए रखना था, फिर वो ल्यारी में जो चाहे करे.
अपनी मनमानी करता रहमान इतना खतरनाक हो गया कि PPP को उससे पिंड छुड़ाना पड़ा. 2008 में तो उसने पीपल्स अमन कमिटी नाम का मिलिटेंट ग्रुप शुरू कर दिया. उसके खतरे को देखते हुए 2009 में उसे वांटेड क्रिमिनल घोषित किया गया. उसी साल रहमान एक पुलिस शूटआउट में मारा गया. ये ऑपरेशन पाकिस्तान सीआईडी के एसपी चौधरी असलम लीड कर रहे थे. उसके बाद पीपल्स अमन कमेटी की कमान संभाली उसके कजिन भाई, उजैर बलोच ने. इसे भी एसपी चौधरी 2003 में ही अरेस्ट कर चुके थे. मगर पॉलिटिकल कनेक्शंस की वजह से वो बेल लेने में कामयाब हो गया.

उजैर के किस्सों में पुलिसवालों और आम लोगों की हत्याएं आम हैं. रहमान डकैत गैंग के राइवल अरशद पप्पू और यासिर अराफात को, उजैर की गैंग ने 2013 में किडनैप किया और टॉर्चर करके गला काट दिया. बताया जाता है कि उजैर और उसका साथी बाबा लाडला, अपने राइवल्स के कटे हुए सिरों से फुटबॉल खेलते दिखे थे. उन्होंने दोनों डेड बॉडीज को शहर भर में घुमाया. फिर जला दिया और राख सीवर में बहा दी. चौंकिए मत, ल्यारी के गैंग वॉर्स में इस तरह के कई किस्से काफी मिलते हैं. 'धुरंधर' में अक्षय खन्ना तो रहमान डकैत बने हैं. उजैर का किरदार है या नहीं, ये फिल्म बताएगी.
संजय दत्त- एसपी चौधरी असलम
जनवरी 2014 की शाम, पाकिस्तान का कराची शहर एक धमाके से थर्रा गया था. एक सुसाइड बॉम्बर ने, सामने से आ रही एक गाड़ी में अपनी कार दे मारी. उस गाड़ी के परखच्चे 20 मीटर दूर जाकर गिरे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान ने ली, जिसपर पाकिस्तान में तब बैन था.
कराची ने इससे पहले भी बम धमाके, आतंकी हमले काफी देखे थे. मगर ये अलग इसलिए था कि सुसाइड बॉम्बर ने जो गाड़ी उड़ाई, उसमें पाकिस्तान सीआईडी के एसपी चौधरी असलम थे. उनके साथ दो और पुलिस अधिकारी भी इस हमले में मारे गए थे. कराची के लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि असलम चौधरी आत्मघाती हमले में मारे गए. क्योंकि इससे पहले भी उन्हें मारने की तमाम कोशिशें नाकाम हो चुकी थीं.
2012 में तो एक सुसाइड बॉम्बर ने उनके घर के दरवाजे में टक्कर मारते हुए अपना ट्रक उड़ा लिया था. मगर चौधरी बिना एक भी खरोंच लगे बच निकले थे. एनकाउंटर स्पेशलिट कहे जाने वाले चौधरी, कराची के आम लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं थे. उन्होंने कराची में दशकों से चले आ रहे क्राइम सिंडिकेट और गैंग वॉर के धागे खोल दिए थे. उन्होंने ऐसे गैंगस्टर्स का एनकाउंटर किया था जिनके नाम से कराची कांपता था. सफेद कुर्ते पहनने वाले असलम का, एक हाथ में गन और दूसरे में सिगरेट पकड़े नजर आना आम था. 'धुरंधर' के ट्रेलर में संजय दत्त की एंट्री भी ऐसी ही है.

अर्जुन रामपाल- मेजर इकबाल
'धुरंधर' के करीब 4 मिनट लंबे ट्रेलर में अकेले अर्जुन रामपाल को लगभग सवा मिनट का स्क्रीन टाइम मिला है. वो मेजर इकबाल नाम का किरदार निभा रहे हैं. मगर रियल लाइफ में इस नाम का रहस्य बहुत तगड़ा है. एक मेजर इकबाल का जिक्र 2008 के मुंबई हमलों के आरोपी डेविड हेडली ने भी किया था. डेविड ने मेजर इकबाल को अपना हैंडलर बताया था. मगर पाकिस्तान ने कहा था कि इस नाम का कोई ऑफिसर आईएसआई में है ही नहीं.
इस नाम के किसी आईएसआई अधिकारी, या इस नाम का इस्तेमाल करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी अवेलेबल नहीं है. संभव है कि किसी आतंकी ने ये फेक नाम रखा हो. हालांकि, अर्जुन रामपाल का लुक एक अन्य कुख्यात आतंकी इलयास कश्मीरी जैसा जरूर है. 1971 में जिया उल हक के भाषण के दौरान वो अपनी उम्र 6 साल बता रहा है. ये 1964 में जन्मे इलयास से काफी मैच होती है. लेकिन किरदार की बाकी डिटेल्स इलयास से मैच नहीं करतीं.

वो कभी आईएसआई में नहीं रहा, मेजर होना तो दूर की बात है. उसका लाहौर से कोई खास कनेक्शन नहीं रहा, वो पीओके (PoK) में ज्यादा एक्टिव रहा है. जबकि 'धुरंधर' के ट्रेलर में रामपाल का एक बड़ा सीन लाहौर में नजर आ रहा है. ये हमें पीछे दिख रही दुकानों के बोर्ड से पता चला.
यानी अर्जुन रामपाल का किरदार एक रहस्य है, जिसका खुलासा फिल्म में होगा. चांस ये भी है कि जिस मेजर इकबाल का रियलिटी में कोई चेहरा नहीं मिलता, उसे फिक्शन और कई आतंकियों की कहानी से जोड़कर 'धुरंधर' में एक चेहरा मिला हो. राइटिंग में ये भी एक कलाकारी होती है. और आदित्य धर की राइटिंग पर इतना भरोसा तो किया ही जा सकता है. 'धुरंधर' में जहां संजय दत्त, अक्षय खन्ना के किरदार और प्लॉट्स रियलिटी बेस्ड हैं. वहीं प्लॉट का दूसरा हिस्सा रियलिटी के आसपास वाला फिक्शन है.
भारत का पाकिस्तान पर 'डिफेंसिव ऑफेंस'
अब बात उस थ्योरी की जिसका भारतीयों में बहुत फैसिनेशन रहा है— राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के पाकिस्तानी एडवेंचर! पीएम मोदी ने 2014 के एक बयान में कहा था कि 'पाकिस्तान ने कश्मीर में भारत के खिलाफ एक प्रॉक्सी-वॉर छेड़ रखा है.' प्रॉक्सी-वॉर यानी सीधा सेनाओं का युद्ध नहीं, पर्दे के पीछे आतंकी हमलों-घुसपैठियों के जरिए युद्ध जैसे हालात पैदा करना.
2016 में पाकिस्तान पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे एक्शन इस प्रॉक्सी-वॉर का काउंटर माने जाते हैं. ये तो बड़ी घटनाएं हैं. मगर ऐसा 'माना जाता है' कि डोभाल साहब ने कई अन्य तरीकों से इस प्रॉक्सी-वॉर को काउंटर किया है. वजह खुद उनके ही बयान हैं. जैसे— 'डिफेंसिव ऑफेंस' (रक्षात्मक आक्रमण) की बात हो या आतंकी नेटवर्क्स को 'सोर्स' पर ही क्षति पहुंचाने की. 'धुरंधर' में आर माधवन का किरदार अजय सान्याल, बहुत ज्यादा अजित डोभाल से प्रेरित है.

पाकिस्तान ने भी कई बार उनपर और भारत पर ऐसे 'ऑपरेशन्स' चलाने के आरोप लगाए हैं. लेकिन कभी सबूत नहीं दिए. ऐसा कुछ हो रहा है या नहीं, इसपर कभी भारत ने भी कुछ नहीं कहा. कहें भी क्यों... एक तो मैटर इंटरनेशनल कूटनीति का है. और भई, सबूत दिखाना उसका काम है न जिसने आरोप लगाया... (ऐसा जावेद अख्तर साहब ने कहीं कहा है!) पर एक चीज जरूर है जिसे पाकिस्तान बार-बार भारत के इस काउंटर-प्रॉक्सी वॉर का सबूत बताता रहा है.
कुलभूषण जाधव केस
2016 में पाकिस्तान ने दावा किया कि उन्होंने बलोचिस्तान से, कुलभूषण जाधव नाम के एक भारतीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. वो इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ का जासूस है और भारतीय नेवी का एक्स ऑफिसर है. भारत ने जवाब में कहा कि जाधव 2001 में नेवी से रिटायर हो चुके थे. वो ईरान में अपना बिजनेस कर रहे थे, जहां से पाकिस्तान ने उन्हें गैरकानूनी रूप से किडनैप किया. और अब पाकिस्तान उन्हें जबरदस्ती भारतीय जासूस साबित करने पर तुला है.
2017 में पाकिस्तान ने जाधव का एक तथाकथित 'कन्फेशन वीडियो' शेयर किया. इसी में उन्होंने कहा कि असलम की हत्या को रॉ ने स्पॉन्सर किया है. उसी साल पुलिस की हिरासत में उजैर बलोच (वो रहमान डकैत का कजिन) ने भी कन्फेशन में कहा कि उसके नेटवर्क ने जाधव के साथ कोलेबोरेट किया है. कुलभूषण जाधव का केस लगातार खबरों में रहा. पाकिस्तान के दावों से भारत इनकार करता रहा, जाधव के वीडियोज को 'डॉक्टर्ड' बताता रहा. पर इन खबरों ने पूरे मामले को बहुत दिलचस्प बना दिया. रिटायरमेंट के बाद से जाधव की लाइफ के बारे में कोई जानकारी अवेलेबल नहीं थी.
पाकिस्तानी जमीन पर उगे आतंकवाद से त्रस्त भारतीय जनता ने अबतक थ्योरी में ही अजित डोभाल की काउंटर-प्रॉक्सी-वॉर के बारे में सुना था. कुलभूषण जाधव का केस इस फैसिनेशन को दमदार फिक्शन से भरने लगा. अब सवाल है कि 'धुरंधर' में जाधव का किरदार कहां है? फिल्म राइटिंग की समझ कहती है कि जाधव का किरदार सीधे तौर पर फिल्म में नहीं होगा. मगर कोई किरदार उन्हीं के जैसी कहानी का पैरेलल हो सकता है.
'धुरंधर' रणवीर सिंह का धमाका
आप कह सकते हैं कि 'धुरंधर' के ट्रेलर की तरह हमने भी रणवीर को लास्ट में थोड़ा सा ही टाइम दिया है. लेकिन बात समझिए... ऐसा जरूरी भी था! रणवीर सिंह के किरदार का नाम ट्रेलर में नहीं रिवील किया गया है. मगर उनका लुक, भारतीय सेना के शहीद मेजर मोहित शर्मा की एक तस्वीर से बहुत मैच करता है. 2004 में मेजर शर्मा, इफ्तिखार भट्ट नाम से, आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन जॉइन करने में कामयाब रहे थे.

उन्होंने इंडियन आर्मी से अपने भाई का बदला लेने के झूठी कहानी गढ़ी और आतंकियों का भरोसा जीतने में कामयाब रहे. दो बड़े आतंकियों अबू तोरारा और अबू सब्जार को गोली मारकर, उनके हथियार लेकर मोहित वापस आर्मी कैंप लौट आए. लेकिन उनका ये अंडर-कवर ऑपरेशन भारतीय कश्मीर की जमीन पर ही हुआ था. उन्होंने एलओसी पार नहीं की थी. इसलिए 'धुरंधर' में कराची पहुंचे नजर आ रहे रणवीर,मेजर मोहित शर्मा का किरदार निभा रहे हैं, ये नहीं कहा जा सकता.
'धुरंधर' में रणवीर किसी रियल व्यक्ति से ज्यादा एक आईडिया का चेहरा हैं. वो आईडिया जिसकी थ्योरी इंडियन जनता को बहुत फैसिनेट करती है. जिस आईडिया को अजित डोभाल के दिमाग की उपज माना जाता है, फिल्म में रणवीर उसका फिजिकल चेहरा हैं. जो पाकिस्तान की जमीन पर खड़ा होकर, उसे अंदर से खोखला कर रहा है.
जहां कराची के गैंग-वॉर के किरदार फिल्म में रियलिटी से इंस्पायर्ड हैं, वहीं रणवीर का किरदार फैक्ट्स के बहुत करीब वाला फिक्शन है. और फिक्शनल कहानी को कोई फिल्म जितना रियल ट्रीट कर पाती है, उतनी दमदार हो जाती है. इसलिए 'धुरंधर' के मेकर्स का ये प्लान समझ आता है कि रणवीर के किरदार का फाइनल रिवील उन्होंने फिल्म के लिए ही बचा रखा है.
उनका गेटअप इंडियन मेजर मोहित शर्मा जैसा होना, भारत के उस हीरो को एक ट्रिब्यूट की तरह है. ये भी हो सकता है कि फिल्म में रणवीर का नाम कुछ ऐसा हो जो मेजर मोहित शर्मा के नाम की याद दिलाए. ये भारत के एक शहीद हीरो को एक परफेक्ट ट्रिब्यूट होगा. और ये सब बड़े पर्दे पर आप 5 दिसंबर को देखेंगे, जब 'धुरंधर' थिएटर्स में रिलीज होगी.