बिहार की मांझी विधानसभा सीट से जेडीयू के रणधीर कुमार सिंह 9787 वोट से जीत गए. उन्होंने CPIM के डॉ सत्येंद्र यादव को हरा दिया है. डॉ सत्येंद्र यादव को 58668 वोट मिलें हैं. बता दें कि इस सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान हुए थे. चुनावी मैदान में तीन प्रमुख उम्मीदवार थे - सीपीआई (मार्क्सवादी) के डॉ. सत्येंद्र यादव, बाहुबली प्रभुनाम सिंह के बेटे जेडीयू के रणधीर कुमार सिंह और जेएसपी के यदुवंश गिरि. तीनों के बीच मुकाबला बेहद कड़ा माना जा रहा है. अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि किस उम्मीदवार का पलड़ा भारी रहेगा और किसकी किस्मत खुलने वाली है.
मांझी सीट पर 2020 के चुनाव में सीपीआई (एम) के उम्मीदवार डॉ. सत्येंद्र यादव ने जीत हासिल की थी. उन्होंने उस चुनाव में कुल 59,324 वोट पाकर विजय प्राप्त की थी.
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- मांझी से जेडीयू के रणधीर कुमार सिंह 9787 वोट से जीत गए. उन्होंने CPIM के डॉ सत्येंद्र यादव हरा दिया है.
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-रणधीर कुमार सिंह 44990 वोटों के साथ लीड कर रहे हैं. उन्होंने CPIM के डॉ सत्येंद्र यादव 7437 वोटों से पीछे छोड़ा हुआ है.
-24232 से रणधीर कुमार सिंह लीड पर बरकरार है और CPIM के डॉ सत्येंद्र यादव 4883 वोटों से पीछे हैं.
-13236 मतों के साथ रणधीर कुमार सिंह अभी भी नंबर एक पर बने हुए हैं. उन्होंने को CPIM के डॉ सत्येंद्र यादव को 2354 से पछाड़ा हुआ है.
- रणधीर कुमार सिंह 1656+ वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए हैं. उन्हें अब तक 8215 वोट मिले हैं.
-जेडीयू के रणधीर कुमार सिंह 1254 वोट से लीड कर रहे हैं.
-बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के आंकड़ों पर नजर डालें तो मांझी निर्वाचन क्षेत्र में जेडीयू के रणधीर कुमार सिंह आगे चल रहे हैं.
-मांझी सहित बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. शुरुआत पोस्टल बैलेट की गिनती से होगी. थोड़ी ही देर में शुरुआती रुझान आने लगेंगे और कुछ घंटों के भीतर नई विधानसभा की तस्वीर भी स्पष्ट हो जाएगी.
सारण जिले में स्थित मांझी विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी और सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आती है. इस विधानसभा क्षेत्र में जलालपुर प्रखंड पूरी तरह शामिल है, जबकि मांझी प्रखंड की 18 ग्राम पंचायतें और बनियापुर प्रखंड की 3 ग्राम पंचायतें भी इसमें सम्मिलित हैं.
मांझी विधानसभा क्षेत्र जिले के सबसे प्राचीन क्षेत्रों में गिना जाता है और इसने वर्षों में कई राजनीतिक उतार–चढ़ाव देखे हैं. शुरुआती दौर में यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा, जिसमें गिरीश तिवारी और रमेश्वर दत्त शर्मा जैसे नेता प्रमुख रहे. इसके बाद जनता पार्टी, जदयू और स्वतंत्र प्रत्याशियों ने भी अपना प्रभाव दिखाया. वर्ष 2020 में पहली बार इस सीट पर माकपा (CPI-M) ने जीत हासिल की, जब यह सीट राजद–कांग्रेस–वाम दल गठबंधन के हिस्से के रूप में उन्हें मिली थी.