Mumbai Shipping Fraud: मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने शुरुआती जांच पूरी होने के बाद एक बड़े शिपिंग फ्रॉड और चीटिंग केस को दर्ज किया है. यह केस मुंबई की एक शिपिंग कंपनी को करोड़ों रुपए का चूना लगाने से जुड़ा है. शिकायत में कहा गया है कि कुछ भारतीय और विदेशी कंपनियों ने मिलकर यह धोखाधड़ी अंजाम दी है. जांच में सामने आया कि यह पूरा रैकेट बेहद प्लानिंग और इंटरनेशनल नेटवर्क के साथ चलाया जा रहा था.
18.33 करोड़ की धोखाधड़ी!
EOW ने इस केस में कुल ₹18.33 करोड़ से ज्यादा की कथित धोखाधड़ी दर्ज की है. केस में संदीप बख्शी, विकास खान, अली खान समेत ALX Shipping Agencies India Pvt. Ltd. और दुबई की Aladdin Express DMCC को आरोपी बनाया गया है. ALX शिपिंग, ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स की सब्सिडियरी बताई जाती है. आरोप है कि सीनियर अधिकारियों ने मिलकर इस आर्थिक अपराध की साज़िश रची और शिकायतकर्ता से भारी रकम हड़प ली.
इंटरनेशनल कंपनियों की मिलीभगत
जांच में पता चला कि सिर्फ भारतीय नहीं, बल्कि इंटरनेशनल कंपनियां भी इस फ्रॉड में शामिल थीं. इनमें अलादीन एक्सप्रेस DMCC का नाम प्रमुख है. वहीं ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स और हचिसन पोर्ट जैसी कंपनियों का संदिग्ध भूमिका में होना भी जांच में सामने आया है. अधिकारियों विकास खान और अली खान पर आरोप है कि उन्होंने इस पूरे फ्रॉड को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई.
गंभीर धाराओं में केस दर्ज, EOW को जांच
यह अपराध घाटकोपर पुलिस स्टेशन में BNS की सेक्शन 316(2), 316(5), 318(4), 61(2) के तहत दर्ज किया गया. बाद में इसे आगे की गहन जांच के लिए EOW को ट्रांसफर किया गया है. यह सभी धाराएं गंभीर आर्थिक अपराध और आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी हुई हैं. पुलिस के मुताबिक, केस की जटिलता और रकम की भारी मात्रा को देखते हुए इसे EOW को दिया गया है.
शिकायतकर्ता ने बताई ठगी की कहानी
इस मामले में शिकायतकर्ता विशाल पंकज मेहता (45), डायरेक्टर, Rushabh Sealink and Logistics Pvt. Ltd. ने EOW में यह मामला दर्ज कराया है. उन्होंने बताया कि धोखाधड़ी 22 अप्रैल 2025 से जारी है. यह मामला कुर्ला (वेस्ट) स्थित आर्ट गिल्ड हाउस के ऑफिस में सामने आया। शिकायत के आधार पर बड़ी कंपनियों के CEO और डायरेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.
लाखों डॉलर वसूलकर निजी इस्तेमाल
शिकायत में दावा किया गया है कि आरोपी अधिकारियों को पहले से पता था कि कई पोर्ट अथॉरिटीज़ के पास उनके लाखों डॉलर के बकाया थे. इसके बावजूद उन्होंने जहाज से जुड़े भुगतान के नाम पर शिकायतकर्ता से कई बार बड़ी रकम वसूली. आरोप है कि यह पूरी राशि धोखाधड़ी के जरिए ली गई और बाद में उसे निजी जरूरतों और अनधिकृत कामों में खर्च कर दिया गया. जांच एजेंसियों के मुताबिक ठगी की रकम और बढ़ सकती है.
फर्जी ऑर्डर और झूठे वादे
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपियों ने कई मौकों पर फर्जी और भ्रामक कंटेनर रिलीज़ ऑर्डर जारी किए. साथ ही शिकायतकर्ता को भारी मुनाफे का लालच देकर कई बिजनेस एग्रीमेंट भी करवाए. लेकिन बाद में वे अपने कमिटमेंट से पीछे हट गए. इसी वजह से शिकायतकर्ता को ₹18,33,45,544 का भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. सूत्रों का कहना है कि आगे जांच में यह राशि और बढ़ सकती है.
मनी ट्रेल की जांच
इस केस में घरेलू और विदेशी दोनों तरह की कंपनियां शामिल हैं, इसलिए पुलिस अब मनी ट्रेल का पता लगा रही है. जांच में यह देखा जा रहा है कि क्या शिकायतकर्ता से ली गई रकम विदेश भेजी गई और किन-किन अकाउंट में पहुंची. अधिकारी यह भी जांच रहे हैं कि इस फ्रॉड में और कितने लोग शामिल हैं और क्या कोई बड़ा नेटवर्क इसके पीछे काम कर रहा था.
मनी लॉन्ड्रिंग केस भी संभव
शुरुआती जांच 1 अक्टूबर को शुरू हुई थी और हाल ही में इसे पूरा करने के बाद FIR दर्ज की गई है. शिकायतकर्ता ने कहा कि इस केस में रकम बढ़ सकती है और हचिसन पोर्ट सहित कई और अधिकारियों की भूमिका सामने आ सकती है. चूंकि मामला विदेशी संस्थाओं से जुड़ा है, इसलिए इस पर आगे चलकर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी शुरू की जा सकती है. आज तक / इंडिया टुडे की टीम ने इस मामले की FIR भी एक्सेस कर ली है.