बेंगलुरु में आयुर्वेदिक इलाज के नाम पर की गई 48 लाख रुपए की ठगी ने लोगों को चौंका दिया है. एक ऐसा गिरोह, जो सड़क किनारे टेंट लगाकर बीमारियों का इलाज करने का दावा करता था, असल में भारी-भरकम पैसे ऐंठने वाला ठग नेटवर्क निकला. पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों विजय प्रधान चितोदिया और मनोज सिंह चितोदिया को गिरफ्तार किया है. दोनों महाराष्ट्र के सांगली जिले के मिराज तालुक के हैं.
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, आरोपियों के पास से 17 तरह की आयुर्वेदिक दवाएं, 19.50 लाख रुपए कैश और एक टेम्पो ट्रैवलर जब्त किया गया है. केवल दवाओं की कुल कीमत 23.50 लाख रुपए आंकी गई है. पुलिस की जांच में सामने आया कि यह गिरोह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना समेत कई राज्यों में इसी तरह की ट्रैवलिंग क्लिनिक बनाकर लोगों को लूट रहा था. कई लोगों को शिकार बना चुका था.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब 22 नवंबर को बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड के रहने वाले पीड़ित ने ज्ञानभारती पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. उसने बताया कि शादी के बाद से ही उसे सेक्सुअल हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें थीं. वो यौन क्षमता बढ़ाना चाहता था. इसके इलाज की तलाश में वो एक कॉलेज के पास सड़क किनारे लगे टेंट में पहुंचा, जहां यूरोलॉजिकल बीमारियों की दवाएं बेचने का दावा किया जा रहा था.
टेंट में मौजूद व्यक्ति ने पीड़ित को भरोसा दिलाया कि उनके गुरुजी के पास बेहद प्रीमियम आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जो गंभीर और निजी समस्याओं का इलाज कर देती हैं. कुछ ही मिनटों में गुरुजी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने दवा की कीमत 1 से 2 लाख रुपए प्रति ग्राम बताकर ऐसा भ्रम खड़ा किया कि पीड़ित ने 48 लाख रुपए तक दे दिए. दावा था कि यह दुर्लभ औषधि उसकी सारी निजी दिक्कत पूरी तरह ठीक कर देगी.
इस दवा खाने के बाद पीड़ित की हालत उल्टे बिगड़ गई. उसे एहसास हुआ कि उसके साथ बड़ा धोखा हुआ है. पीड़ित की शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत केस दर्ज किया और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. जांच में पता चला कि विजय प्रधान चितोदिया खुद को गुरुजी बताता था और घूम-घूमकर टेंटों लगाकर लोगों को लूटने का काम करता था. उसे 27 नवंबर को तेलंगाना के महबूबनगर में दबोचा गया.
पुलिस की पूछताछ में उसने जुर्म कबूल कर लिया. उसने अपने साथी मनोज का नाम बताया, जिसको 1 दिसंबर को साइबराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया. यह गिरोह पिछले काफी समय से राज्य-दर-राज्य घूमकर कमजोर और परेशान लोगों को निशाना बना रहा था. सड़क किनारे टेंट, सफेद कपड़े, आयुर्वेद का दावा और गुरुजी की एक्टिंग, इसी पैटर्न से लोगों की बचत पर हाथ साफ कर देते थे.