कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित कर रहे हैं. सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि वे किसी भावना से नहीं, सिर्फ और सिर्फ कानून से चलने वाले हैं. इस मामले में सुनवाई से पहले ही कोर्ट ने बकायदा कुरान की एक कॉपी मंगवाई और फिर उसी के आधार पर सुनवाई शुरू की.
अधिवक्ता कामत ने कहा कि एक आवश्यक प्रथा क्या होती है, यह केवल धर्म के विश्वासों पर निर्धारित किया जाना चाहिए न कि धर्मनिरपेक्ष धारणाओं पर. अधिवक्ता कामत ने हिजाब को लेकर पवित्र कुरान के कुछ अंश भी पढ़े.
न्यायमूर्ति दीक्षित ने सुनवाई के दौरान केरल एचसी के फैसले में उल्लिखित हदीस का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या उस हदीस का अर्थ यह है कि चेहरा नहीं दिखाया जा सकता है.
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अधिवक्ता कामत ने कहा कि यही तो व्याख्या प्रतीत होती है. कामत ने भी केरल एचसी के फैसले में उल्लिखित एक अन्य हदीस का संदर्भ दिया जो सिर को ढंकने और लंबी पोशाक नहीं पहनने के लिए सजा का प्रावधान करता है.
कामत ने केरल एचसी के फैसले के पैरा 29 को भी संदर्भित किया, जिसमें कहा गया है कि सिर को नहीं ढंकना और लंबी बाजू की पोशाक नहीं पहनना "हराम" है. केरल HC के फैसले का हवाला देने के बाद अधिवक्ता कामत ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना के समर्थन में एक और फैसले का हवाला दिया.
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एडवोकेट कामत ने कहा कि जब ये अपील लंबित थी तो सीबीएसई एक अन्य अधिसूचना के साथ सामने आई. जिसमें कहा गया कि अगर आपने धार्मिक पोशाक पहनी है तो एक घंटे पहले आकर तलाशी लेने की इजाजत दें और याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए विरोध नहीं किया कि यह ठीक है.
बता दें कि कर्नाटक में इस समय कई स्कूल-कॉलेजों में हिजाब को लेकर बवाल चल रहा है. एक तरफ मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई छात्र भगवा स्कॉफ पहनकर विरोध दिखा रहे हैं.