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जासूसी कैमरा, झूठी शिकायत और फर्जी वीडियो... पुलिस को ब्लैकमेल कर वसूली करने वाले गैंग का पर्दाफाश

दिल्ली पुलिस ने राजधानी में दो ऐसे क्राइम सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है, जो कानून-व्यवस्था के बीच घुसकर एक पूरा ब्लैक इकोसिस्टम चला रहे थे. एक गिरोह ट्रैफिक पुलिस वालों को नकली वीडियो से ब्लैकमेल करता था, दूसरा कमर्शियल गाड़ियों को पाबंदियों के दौरान फर्जी स्टिकर बेचकर शहर में बेधड़क दौड़ाता था.

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दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस से करोड़ों रुपए की उगाही करने वाला गैंग बेनकाब. (Photo: X/@CrimeBranchDP)
दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस से करोड़ों रुपए की उगाही करने वाला गैंग बेनकाब. (Photo: X/@CrimeBranchDP)

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी में सक्रिय दो बड़े ऑर्गनाइज़्ड क्राइम सिंडिकेट को ध्वस्त करते हुए बड़ा खुलासा किया है. पुलिस ने बताया कि दोनों सिंडिकेट अलग-अलग तरीके काम करते थे, लेकिन इनके कम्युनिकेशन चैनल और फाइनेंशियल पैटर्न एक-दूसरे से जुड़े हुए थे. इन सिंडिकेट से जुड़े पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. दो की तलाश जारी है.

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पहले सिंडिकेट का किंगपिन राजकुमार उर्फ राजू मीणा है. उसके खिलाफ MCOCA के तहत मामला दर्ज कर दिया गया है. यह नेटवर्क ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को जानबूझकर निशाना बनाता था. ड्राइवरों को नियम तोड़ने भेजा जाता, स्पाई कैमरे से वीडियो रिकॉर्ड किए जाते और एडिट करके पुलिस वालों को ब्लैकमेल किया जाता था. 

पुलिस की जांच में सामने आया कि राजकुमार साल 2015 से यह जबरन वसूली रैकेट चला रहा था. वो कई साथियों को भर्ती कर चुका था. दूसरी ओर, जीशान अली का नेटवर्क राजधानी की ट्रांसपोर्ट लाइनों पर एक समानांतर सिस्टम तैयार कर चुका था. वो हजारों की संख्या में ऐसे स्टिकर बनाता और बेचता था, जिससे पाबंदी वाले घंटों में कमर्शियल गाड़ियां शहर में आ-जा सकती थीं. 

हर महीने स्टिकर का डिजाइन, रंग और फोन नंबर बदला जाता था. ड्राइवरों को सलाह दी जाती थी कि पुलिस के सामने कनेक्शन का हवाला देकर दबदबा दिखाएं. गिरफ्तार आरोपियों में चंदन कुमार चौधरी, दिलीप कुमार और दीना नाथ चौधरी शामिल हैं. चंदन फील्ड में स्टिकर का वितरण और पैसों का लेनदेन संभालता था. दिलीप पुलिस की मूवमेंट की रियल-टाइम अपडेट देता था.

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दीना नाथ ड्राइवरों के लिए एक अलग सोशल मीडिया ग्रुप मैनेज करता था. हर महीने 150 से 200 स्टिकर बेचता था. जांच के दौरान जीशान के ठिकानों पर छापे में पुलिस ने 1200 से 1300 के करीब स्टिकर, दो रबर स्टैम्प, एक लाइसेंसी वेबली पिस्टल, पांच जिंदा कारतूस, एक SUV, एक स्पाई कैमरा, कंप्यूटर और कई मोबाइल फोन बरामद किए है. इनसे सिंडिकेट के संगठित ढांचे की पुष्टि होती है.

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक LGV ड्राइवर ने बदरपुर में रोकने पर फर्जी स्टिकर दिखाकर छूट लेने की कोशिश की थी. सोशल मीडिया ग्रुप की जांच में पूरा सिंडिकेट सामने आया, जो हर गाड़ी से 2 से 5 हजार रुपए मासिक वसूल रहा था. इसके अलावा ट्रैफिक कर्मचारियों पर झूठी शिकायतें दर्ज कराकर उनसे पैसे ऐंठने का काला खेल भी समानांतर चल रहा था.

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