इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में मुंबई में होने वाले जलभराव और सड़कों की खस्ताहालत जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. महाराष्ट्र सीएम के चीफ एडवाइजर, इन्वेस्टमेंट एंड स्ट्रेटजी कौस्तुभ धावसे ने शहर की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए शहर के भविष्य और विकास को लेकर कहा -' हमारी सरकार मुंबई को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. हमारे सामने कई तरह के चैलेंज भी हैं, लेकिन हमारे पास अच्छा मौका भी है, हम शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रहे हैं.' उन्होंने मुंबई में दिखाई दे रहे बदलावों और जलभराव की समस्या का कारण जलवायु परिवर्तन (Climate Change) बताया.
कौस्तुभ ने आगे कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने पर काम कर रही है. धावसे ने मुंबई के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह देश की आर्थिक राजधानी (Economic City) है और ग्लोबल सिटी बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही है.
मुंबई डूब रही है या उठ रही है? इस सवाल के जवाब में, सूचना प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मामलों के कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने शहर की प्रगति को लेकर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि ' मुंबई प्रगति कर रहा है और लगातार आगे बढ़ रहा है." उन्होंने सुरक्षा के मोर्चे पर सुधार का हवाला देते हुए बताया कि मुंबई में सड़क हादसों की संख्या में लगातार कमी आई है, जिसका एक कारण शहर भर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे हैं.
शेलार ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले मुंबई के लिए कोई विज़न नहीं था, लेकिन देवेंद्र फडणवीस के शासनकाल में शहर में लगातार बदलाव हो रहे हैं और विकास के कार्यों को गति मिली है. शेलार का मानना है कि मुंबई चुनौतियों को पार करते हुए सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और विकास के हर मोर्चे पर आगे बढ़ रही है.
मुंबई में होने वाली दिक्कतों के लिए कौन जिम्मेदार है? इस सवाल के जवाब में बांद्रा ईस्ट के विधायक वरुण सरदेसाई कहते हैं- 'शहर के विकास और रखरखाव के लिए 20 से ज़्यादा सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं. इतनी अधिक एजेंसियों के शामिल होने से कोई भी एक इकाई किसी विशेष समस्या के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं बन पाती, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है.'
समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए, उन्होंने 'एक मुंबई के लिए एक प्लानिंग एजेंसी' की स्थापना का प्रस्ताव रखा. उनका मानना है कि एक केंद्रीकृत एजेंसी ही सभी कार्यों में बेहतर समन्वय और नियंत्रण स्थापित कर सकती है. सरदेसाई ने जोर दिया कि मुंबई जैसे एक ग्लोबल सिटी के लिए हमारे पास कम से कम 20 साल का एक दीर्घकालिक विज़न और प्लान होना चाहिए. ऐसी दूरगामी योजना की कमी के कारण शहर हर साल मौसम-संबंधी और ढांचागत चुनौतियों का सामना करता है.
पूर्व आई.टी. प्रोफेसर और मुंबई फर्स्ट के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्य कवि आर्य का मानना है कि भले ही मुंबई में मेट्रो और कोस्टल रोड की बात हो रही है, लेकिन हमारी प्राथमिकता लोगों के लिए इस शहर को रहने लायक बनाने की होनी चाहिए.
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