एक जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने देशभर में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू करने का फैसला किया. इस फैसले के बाद सरकार की ओर से इस टैक्स प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए. आम लोगों से जुड़े प्रोडक्ट को 28 फीसदी के हाई टैक्स स्लैब से बाहर कर 5, 12 या 18 फीसदी के टैक्स स्लैब में लाया गया. वहीं सैनेटरी पैड जैसे कई ऐसे प्रोडक्ट भी थे जिन्हें टैक्स स्लैब से बाहर कर दिया गया.
इसके अलावा छोटे-बड़े कारोबारियों को भी अलग-अलग मोर्चे पर राहत दी गई. अब
सरकार की ओर से जीएसटी से संबंधित एक और बड़ा फैसला लिया गया है. इस फैसले
के बाद एक खास सुविधा छीन ली जाएगी. आइए जानते हैं कि क्या है वो खास
सुविधा और इसके छिन जाने से किसको नुकसान होगा.
क्या है वो फैसला
दरअसल, केंद्र सरकार तकनीकी मदद से ऐसा सिस्टम बना रही है, जो लगातार छह माह तक जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले कारोबारियों को ई-वे बिल जेनरेट नहीं करने देगा. ऐसे में जीएसटी रिटर्न दाखिल न करना कारोबारियों को महंगा पड़ सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया है कि जल्द से जल्द नई आईटी प्रणाली को लाया जाएगा. इस प्रणाली के तहत 6 माह तक रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले कारोबारियों से ई-वे बिल बनाने की सुविधा छीन ली जाएगी. इसकी अधिसूचना जल्द ही जारी कर दी जाएगी.
इस फैसले का फायदा
सरकार के फैसले से जीएसटी की चोरी रोकने में मदद मिलेगी. हाल ही में जो आंकड़े आए थे उनमें बताया गया कि अप्रैल-दिसंबर अवधि में केंद्रीय टैक्स ऑफिसर्स ने जीएसटी चोरी या नियम उल्लंघन के 3,626 मामले पाए हैं. इन मामलों के जरिए कुल 15,278.18 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला उजागर हुआ. बता दें कि टैक्स चोरी को रोकने के लिए ही एक अप्रैल 2018 को ई-वे बिल की सुविधा शुरू की गई थी.
क्या है ई-वे बिल
दरअसल, ई-वे बिल एक ऐसा दस्तावेज है जो छोटे-बड़े कारोबारियों के लिए जरूरी होता है. अगर किसी प्रोडक्ट का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा. यह नियम उन सभी उत्पादों पर लागू होगा जिनकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा है. आसान भाषा में समझें तो 50 हजार रुपये से ज्यादा के सामान को राज्य से बाहर भेजने या राज्य में ही दूसरे सप्लायर को देने की जानकारी सरकार को देनी होती है. ई-वे बिल हासिल करने के लिए आप ewaybillgst.gov.in पर जा सकते हैं.
सुविधा छीन जाने का नुकसान
ई-वे बिल की सुविधा छीन जाने की स्थिति में कारोबारियों को नुकसान यह होगा कि उन्हें 50 हजार रुपये से ज्यादा के प्रोडक्ट को राज्य या राज्य से बाहर भेजने में परेशानी होगी. सरकार की नजर में यह कारोबार का अवैध तरीका होगा.