बिहार की सियासत में हालिया उठापटक के बाद सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता विरोधी दल चुन लिया गया है. जबकि आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह विरोधी दल के सचेतक होंगे. जानकारी के मुताबिक RJD की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सभापति को पत्र लिखकर राबड़ी देवी और सुनील सिंह को मान्यता देने का अनुरोध किया था. उनके अनुरोध पर बिहार विधान परिषद के सभापति ने राबड़ी देवी को नेता विरोधी दल और आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह को बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता दे दी है.
बिहार में सियासी समीकरण बदल चुके हैं. नीतीश कुमार महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए के संग चले गए हैं. उन्होंने बीजेपी के समर्थन से नई सरकार बनाई है. बता दें कि विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं. इसमें विधानसभा सदस्यों द्वारा 27 जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है, विधान परिषद की एक-तिहाई सीटें हर दो साल के बाद रिक्त होती हैं, जिस पर मतदान कराया जाता है.
इसी क्रम में विधान परिषद की 11 सीटों पर निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को पूरा हो रहा है. इन सभी सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाना है. बता दें कि पूर्व सीएम राबड़ी देवी इससे पहले भी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका संभाल रही थीं. महागठबंधन की सरकार बनने से पहले वह नेता विपक्ष की भूमिका निभा रही थीं.
बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद आरजेडी लगातार उन पर हमलावर है. इसी क्रम में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2022 में गठबंधन करने से पहले पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद और पूर्व सीएम राबड़ी देवी के सामने पिछले विश्वासघातों के लिए माफी मांगी थी. माफी मांगने के बाद नीतीशजी ने मेरे माता-पिता से कहा था कि भाजपा उनकी पार्टी को तोड़ने और उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है. इसके बाद नीतीश कुमार ने भाजपा को छोड़ दिया और 2022 में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए थे.