
भारतीय कार बाजार (Indian Car Market) में किसी ब्रांड और मॉडल की लॉन्चिंग के दौरान जमकर बुकिंग (Booking) होना नई बात नहीं है. हाल ही में पेश की गईं महिंद्रा की स्कॉर्पियो-एन (Scorpio-N) हो या फिर मारुति सुजूकी की ग्रांड विटारा (Grand Vitara). इन कारों को रिकॉर्ड तोड़ बुकिंग मिली. यह आंकड़े निश्चित तौर पर उस ब्रांड की पब्लिसिटी के लिहाज से जरूर ठीक है. लेकिन, बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इस तरह की जबर्दस्त बुकिंग को कामयाब लॉन्च की गारंटी (Success Guarntee) माना जा सकता है? यहां मामला थोड़ा पेचीदा है, जिसे समझने की जरूरत है.
ग्राहकों के रिस्पांस का पता चलता है
बाजार में पेश किसी कार को जबर्दस्त बुकिंग (Booking) मिलने से सबसे बड़ी बात तो यह सामने आती है कि आखिर कंपनी के लॉन्च (Launch) होने वाले उत्पाद को लेकर ग्राहकों में कैसी उत्सुकता है. इसका अंदाजा बुकिंग के दौरान मिलने वाले रेस्पांस और आंकड़ों से लग जाता है. कंपनी के लिए उत्पादन के लिहाज से भी ये खास रहता है. ऐसे में कहा जाए तो बुकिंग का खेल किसी भी कंपनी के लिए मील का पत्थर साबित होता है. ग्राहकों की प्रतिक्रिया पता लगाने के अलावा एक और ज्यादा बुकिंग मिलने से कंपनी को आर्थिक मजबूती भी मिलती है. जो उसे अपने प्रोडक्ट के उत्पादन (Production) में मददगार साबित होती है.
मारुति 800 ने शुरू किया सिलसिला
बुकिंग के जरिए सफलता के झंडे गाड़ने वाली कंपनियों के कई उदाहरण बाजार में मौजूद हैं. वैश्विक स्तर पर टेस्ला (Tesla) से लेकर भारत में मारुति सुजूकी की 800 (Maruti 800) तक इसमें शामिल हैं. भारत में बुकिंग का खेल दरअसल, मारुति 800 के साथ शुरू हुआ, जिसे लॉन्च होने पर एक लाख से ज्यादा बुकिंग मिली थीं. बुकिंग की राशि इतनी थी कि कंपनी ने कार निर्माण के लिए संयंत्र स्थापित करने के लिए जरूरी आधे से ज्यादा निवेश (Investment) जुटा लिया था. जब इसने एसएस80 से एसबी308 में जेनरेशन चेंज का रुख किया, तो बुकिंग का आंकड़ा बढ़कर 1.5 लाख तक पहुंच गया.

बुकिंग ने दी मस्क की टेस्ला को रफ्तार
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla) के लिए भी बुकिंग का खेल फायदे का सौदा साबित हुआ. शुरुआत में विश्व के सबसे अमीर इंसान एलन मस्क (Elon Musk) की टेस्ला चारों खाने चित होती दिख रही थी. उस समय एलन मस्क ने सोलर सेक्टर में भारी निवेश कर डाला था और मॉडल एक्स का उत्पादन लक्ष्य से बहुत कम हो पा रहा था. स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी. लेकिन तभी मॉडल 3 के लिए बुकिंग खुली और सब कुछ बदल गया. 1000 डॉलर की कीमत पर करीब 5 लाख बुकिंग के साथ टेस्ला के खाते में 50 करोड़ डॉलर आ गए और फिर इसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

कामयाबी की कई और कहानियां
बुकिंग की कामयाबी की कई कहानियां आज भी देखने को मिल रही हैं. कोरिया की सिस्टर कंपनीज हुंडई (Hyundai) और किआ (Kia) की एसयूवी (SUV) इनमें शामिल हैं. किआ ने अपनी एसयूवी और नवीनतम पेशकश कैरेंस दोनों में 50,000 बुकिंग का आंकड़ा छुआ. वहीं हुंडई ने क्रेटा के लिए 1.15 लाख बुकिंग लीं. हालांकि, मांग के आपूर्ति से कहीं ज्यादा होने से इस आंकड़े में समय के साथ इजाफा हुआ है.
महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन ने तोड़े रिकॉर्ड
महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन (Mahindra Scorpio-N), जिसने बुकिंग विंडो खुलने के पहले 30 मिनट के भीतर एक लाख से ज्यादा बुकिंग प्राप्त कर ली है. इनमें से 5,000 से ज्यादा कारों की बुकिंग तो पहले मिनट में ही हो गई थी! एक्सयूवी 700 (XUV-700) के लिए करीब दो साल और थार (Thar) के लिए साल भर का लंबा वेटिंग पीरियड बताता है कि खरीदारों को इन ब्रांड्स पर कितना भरोसा है. ग्राहकों को बुकिंग के लिए प्रेरित करने वाला एक संभावित तथ्य यह भी रहा होगा कि कंपनी ने पहली 25,000 बुकिंग के लिए ही इंट्रोडक्ट्री प्राइस की पेशकश की थी. उससे भी रिकॉर्ड संख्या में बुकिंग हासिल करने में मदद मिली है.
जोरदार बुकिंग, फिर भी धड़ाम
बुकिंग की शुरुआत किसी भी नई कार के लॉन्च में मील का पत्थर होती है. लेकिन, ऐसा गारंटेड हो या सभी के साथ हो ऐसा जरूरी नहीं. भारतीय कार बाजार की बात करें तो कई ऐसी बड़ी कंपनियां भी हैं, जिन्हें जोरदार बुकिंग मिली और खाते में रकम भी आई, लेकिन उनके ब्रांड सफल नहीं हो सके. इनमें फिएट ऊनो का नाम ऊपर आता है. इसने मारुति को पीछे छोड़ते हुए लगभग 3 लाख बुकिंग के साथ रिकॉर्ड बनाया था. लॉन्च के लिए बुकिंग से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाने के बावजूद यह सफल नहीं हो सकी. इसके बाद टाटा की नैनो के साथ भी ही हुआ, जिसने 2 लाख से अधिक बुकिंग हासिल की, लेकिन लोगों की बड़ी दिलचस्पी को सफलता में तब्दील ना कर सकी.

बिक्री-मुनाफे की गारंटी नहीं बुकिंग
जहां कुछ कंपनियों को बुकिंग के खेल में फायदा हुआ, तो कुछ कंपनियों को जोरदार बुकिंग के बावजूद सफलता हाथ नहीं लगी. ऐसे में मिले-जुले अनुभव बताते हैं कि बड़ी संख्या में बुकिंग भारी बिक्री और मुनाफे की गारंटी नहीं है. हालांकि कई बार यह सफलता की शानदार कहानियों में तब्दील जरूर हो जाती है और कंपनियों के पास बुकिंग से उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छी-खासी रकम जमा हो जाती है. (इंडिया टुडे हिन्दी के लिए योगेन्द्र प्रताप की रिपोर्ट)