न्यूयॉर्क सिटी ने इतिहास रच दिया. अमीरों के इस शहर ने जोहरान ममदानी को अपना मेयर चुना है. 34 वर्षीय ममदानी न सिर्फ मुस्लिम और सबसे युवा मेयर बने, बल्कि 1892 के बाद पहली बार किसी डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट उम्मीदवार ने यह पद जीता.
यह जीत न्यूयॉर्क की बदलती राजनीतिक सोच और सामाजिक विविधता का प्रतीक मानी जा रही है. उनकी जीत को पारंपरिक राजनीति के खिलाफ जनसमर्थन और आम लोगों के मुद्दों पर आधारित एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जहां महंगाई, घरों का किराया और समानता जैसे मुद्दे सबसे आगे हैं.
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जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्यूओमो को हराकर बड़ी जीत हासिल की है. 97% वोटों की गिनती के बाद ममदानी को कुल 10.3 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं, जो बाकी दो उम्मीदवारों - क्यूओमो और रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा के वोटों से भी ज्यादा हैं.
न्यूयॉर्क की धार्मिक-राजनीतिक तस्वीर
न्यूयॉर्क सिटी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए जानी जाती है. यहां ईसाई, यहूदी, मुस्लिम, बौद्ध, हिंदू और कई अन्य समुदाय रहते हैं. यहां करीब 48% लोग ईसाई हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा कैथोलिक (27%) और प्रोटेस्टेंट (19%) हैं. यहूदी समुदाय करीब 11% है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 9% (करीब 10 लाख) बताई जाती है. हिंदू और बौद्ध समुदाय प्रत्येक करीब 2% हैं. वहीं, लगभग 25% लोग किसी धर्म से नहीं जुड़ते या खुद को नास्तिक बताते हैं. गौरतलब है कि यहां धार्मिक समूहों के लिए कोई आधिकारिक डेटा मौजूद नहीं है.
शहर में मुस्लिम आबादी भले ही अल्पसंख्यक हो, लेकिन क्वींस जैसे इलाकों में उनकी सक्रिय भागीदारी है. राजनीतिक रूप से यह शहर डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है, लगभग 70-75% वोटर डेमोक्रेट्स को समर्थन देते हैं, जबकि रिपब्लिकन की हिस्सेदारी 20-25% के बीच है.
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अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन काउंसिल (CAIR) के अनुमान के मुताबिक, न्यूयॉर्क सिटी में करीब 10 लाख मुस्लिमों में से लगभग 3.5 लाख लोग वोटर रजिस्टर हैं. हालांकि, 2021 के मेयर चुनाव में इनमें से सिर्फ करीब 12% ने वोट डाला था, लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है. मुस्लिम और दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों की वोटिंग में काफी बढ़ोतरी हुई है. बताया जाता है कि, 2025 की मेयर प्राइमरी में 2021 की तुलना में उनकी वोटिंग करीब 60% ज्यादा रही.
ममदानी का तरक्की-पसंद एजेंडा
क्वींस के रहने वाले 34 वर्षीय जोहरान ममदानी ने डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट प्लेटफॉर्म पर चुनाव लड़ा. उनका फोकस कामकाजी और हाशिए पर खड़े लोगों के लिए अफोर्डेबल लाइफ और सामाजिक न्याय पर रहा. खासतौर पर उनका फोकस किराए को फ्रीज करना ताकि आम लोगों के लिए घर सस्ते हों.
फ्री बस ट्रांजिट जैसी पब्लिक सर्विस को बढ़ाना. सिटी-संचालित ग्रॉसरी स्टोर्स बनाना ताकि खाने की चीजें सस्ती मिल सकें. इनके अलावा, हेल्थ इनिशिएटिव्स और बेघर लोगों के पुनर्वास के साथ-साथ ममदानी ने पूंजीवाद के बढ़ते प्रभाव और कॉरपोरेट वर्ग की मोनोपॉली को भी चुनौती दी.
महंगाई और बेघरों के लिए फिक्रमंद...
न्यूयॉर्क सिटी में बेघर लोगों की संख्या 70,000 से अधिक है, जो बताया जाता है कि पूरे अमेरिका में सबसे बड़ी है. बीते दशक में किराए और कॉस्ट ऑफ लिविंग्स कई गुना बढ़ चुकी है. ममदानी ने इन आर्थिक संकटों को अपनी कैंपेन का केंद्र बनाया. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स ने उनके प्रस्तावों को "आशावादी" बताया है - जैसे कि रियल एस्टेट के दबदबे वाले शहर में किराया फ्रीज करना या सरकारी खर्चे पर ग्रॉसरी स्टोर चलाना - ममदानी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.
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पूंजीवाद और असमानता पर मुखर ममदानी
न्यूयॉर्क दुनिया की आर्थिक राजधानी है, जिसे कॉरपोरेट्स और अरबपतियों का गढ़ माना जाता है. इसकी वजह से शहर में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई गहरी है और ममदानी ने अपने कैंपेन में इसी असमानता को निशाना बनाया और कहा कि शहर की नीतियां "कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सबके लिए" बननी चाहिए. उन्होंने इकोनॉमिक इक्विटी और वर्किंग क्लास एम्पावरमेंट को अपना मूल संदेश बनाया.
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ममदानी को किससे मिला कितना वोट?
एक विविधता वाले शहर में ममदानी ने हर समुदाय को जोड़ने वाली रणनीति अपनाई. एशियाई (खासतौर पर दक्षिण एशियाई) वोटरों में उन्हें लगभग 58% समर्थन मिला. 36% श्वेत वोटरों ने भी उन्हें वोट दिया. हिस्पैनिक समुदाय से 30% वोट मिले. इनके अलावा, ममदानी ने ब्लैक वोटर्स में भी अपनी पकड़ बनाई. उनका फोकस, युवा, प्रोग्रेसिव्स और कामकाजी वर्ग पर था, जिन्होंने उन्हें बड़ी ताकत दी. सोशल मीडिया और ग्राउंड-लेवल कैंपेनिंग ने उनकी उम्मीदवारी को और मजबूत किया.
ट्रंप के समर्थक उम्मीदवार को पटखनी
न्यूयॉर्क शहर के मेयर चुनाव में ममदानी ने न सिर्फ रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा को हराया, बल्कि पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्यूओमो को भी मात दी, जो निर्दलीय मैदान में थे लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन हासिल था. क्यूओमो की पुरानी राजनीतिक छवि और स्कैंडल्स ने उन्हें कमजोर किया, जबकि ममदानी ने युवाओं और बदलाव चाहने वाले मतदाताओं लामबंद करने में कामयाबी हासिल की.
इस्लामोफोबिया के बीच ममदानी की जीत के असल मायने
इन सब के इतर, ममदानी की सफलता एक बड़ी कहानी का हिस्सा है. उस कहानी का, जिसमें शहर के मुस्लिम समुदाय ने 9/11 के बाद अपने लिए नई राह बनाई. उस खतरनाक माहौल और बढ़ती इस्लामोफोबिया का सामना करते हुए ममदानी ने शहर में अपनी राजनीतिक ताकत बनाना शुरू किया.
भारतीय मूल के ममदानी ने लोकल लेवल पर राजनीतिक संस्थाएं खड़ी कीं और एक ऐसी राजनीति अपनाई जो उनकी पहचान को स्वीकार करती है, लेकिन उससे आगे जाकर समाज में बराबरी और न्याय की बात करती है. कई सालों की इस शांत लेकिन लगातार चलती कोशिश का नतीजा है - जोहरान ममदानी, जो आज इस आंदोलन की सबसे मजबूत और सफल पहचान बन गए हैं.
एम. नूरूद्दीन