'पाकिस्तान को बेचे 2 अरब डॉलर के हथियार...', विदेश मंत्रालय के बाद अब सेना ने ट्रंप को दिखाया आईना

भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने 1971 के अखबार की क्लिप सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा है कि 1954 से 1971 तक अमेरिका ने पाकिस्तान को दो अरब डॉलर के हथियारों की सप्लाई की है.

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भारतीय सेना ने डोनाल्ड ट्रंप को दिखाया आईना (Photo: PTI) भारतीय सेना ने डोनाल्ड ट्रंप को दिखाया आईना (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर मचे घमासान के बीच भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने 1971 के अखबार की एक पुरानी क्लिप शेयर की है. भारतीय सेना ने यह क्लिप शेयर कर ट्रंप को आईना दिखाने की कोशिश की है.

भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने पांच अगस्त 1971 के अखबार की क्लिप सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा है कि 1954 से लेकर 1971 तक अमेरिका ने पाकिस्तान को दो अरब डॉलर के हथियारों की सप्लाई की है. 

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भारतीय सेना ने इस पोस्ट को This Day That Year कैप्शन के साथ शेयर किया. साथ में हैशटैग KnowFacts का इस्तेमाल किया गया. इस क्लिपिंग में बताया गया है कि कैसे अमेरिका 1971 के युद्ध की तैयारी के लिए दशकों से पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई कर रहा था. आज का दिन, युद्ध की तैयारी का वह साल- पांच अगस्त 1971.

इस रिपोर्ट में चीन की मदद का भी जिक्र कर बताया गया है कि बीजिंग की तरफ से भी युद्ध से पहले पाकिस्तान को मदद पहुंचाई गई थी. उस समय यह आर्टिकल तत्कालीन रक्षा मंत्री के राज्यसभा में दिए गए बयान के आधार पर प्रकाशित हुआ था.

विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप को दिखाया था आईना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है और फिर उस तेल का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है. ट्रंप के इन आरोपों के बाद भारत सरकार ने प्रखर प्रतिक्रिया दी थी.

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विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा भारत की आलोचना पर कड़ा जवाब दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा था कि भारत पर निशाना साधना न सिर्फ गलत है, बल्कि खुद इन देशों की कथनी और करनी में फर्क भी उजागर करता है.

जायसवाल ने कहा था कि भारत को रूस से तेल आयात शुरू करने के लिए बाध्य होना पड़ा, क्योंकि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं ने अपनी आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी थी. उस समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रह सके. 

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