भारत के खिलाफ ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी अमेरिका के व्यावसायिक हितों से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे ट्रंप का घोर निजी स्वार्थ है. अमेरिकी प्रशासन के दिग्गज कूटनीतिज्ञों ने अब ट्रंप की मंशा पर साफ साफ बोलना शुरू कर दिया है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने एक इंटरव्यू में एक इंटरव्यू में कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में अपने परिवार के व्यापारिक सौदों को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ संबंधों की बलि चढ़ा दी.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वकील सुलिवन एक यूट्यूब चैनल पर इंटरव्यू दे रहे थे. इस दौरान सुलिवन ने कहा, "दशकों से दोतरफा सहयोग के आधार पर अमेरिका ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया है, एक ऐसा देश जिसके साथ हमें प्रौद्योगिकी, प्रतिभा, अर्थशास्त्र और चीन के रणनीतिक झुकाव का मुकाबला करने के मामले में एकजुट होना चाहिए. इस मोर्चे पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई."
पारिवारिक लोभ ने इंडिया-अमेरिका के संबंधों खत्म कर दिया
उन्होंने आगे कहा, "अब मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा ट्रंप परिवार के साथ व्यापारिक सौदे करने की इच्छा के कारण ट्रंप ने भारत के साथ संबंधों को दरकिनार कर दिया है. यह एक बड़ा रणनीतिक झटका है क्योंकि एक मजबूत भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे हितों की रक्षा करता है."
बता दें कि इस्लामाबाद ने न केवल ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया, बल्कि उनके परिवार और करीबी लोगों को अपनी नई पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल में भी शामिल किया है.
पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद ही ट्रंप के परिवार द्वारा समर्थित वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. सुलिवन सहित कई विशेषज्ञों ने ट्रंप परिवार के पाकिस्तानी बिजनेस में शामिल होने को उनके पाकिस्तान झुकाव से जोड़कर देखा है.
भारत के साथ ट्रंप के संबंधों को बिगाड़ने पर सुलिवन ने कहा, "अगर हमारे सहयोगी यह निष्कर्ष निकालते हैं कि वे किसी भी तरह, किसी भी रूप में हम पर भरोसा नहीं कर सकते, तो यह अमेरिकी लोगों के दीर्घकालिक हित में नहीं है."
सुलिवन ने कहा, "भारत के साथ जो हो रहा है, उसका दुनिया भर में हमारे सभी संबंधों और साझेदारियों पर सीधा और व्यापक प्रभाव पड़ेगा."
ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम की वजह समझिए
बता दें कि पाकिस्तान ने 26 अप्रैल को वर्ल्ड लिबर्टी फ़ाइनेंशियल (WLF ) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. वर्ल्ड लिबर्टी फ़ाइनेंशियल एक ऐसी कंपनी है जिसमें ट्रंप के परिवार, जिसमें उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, और दामाद जेरेड कुशनर शामिल हैं, की 60% हिस्सेदारी है. WLF के होमपेज पर अमेरिकी राष्ट्रपति के एक भव्य चित्र के साथ "डोनाल्ड जे ट्रंप से प्रेरित" शब्द को प्रमुखता से दिखाया गया है.
वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल एक विकेन्द्रीकृत वित्तीय परियोजना और एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी है जिसकी स्थापना 2024 में हुई थी.
यह सौदा पाकिस्तान सरकार द्वारा क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन को कानूनी बनाने के संकेत के तुरंत बाद हुआ है. इस डील के बाद इस कंपनी के लिए पाकिस्तान में पैसे कमाने के रास्ते खुल जाएंगे.
विनाशकारी टैरिफ नीति से दशकों का प्रयास ध्वस्त
अमेरिका के ही एक और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने एक बार फिर से ट्रंप की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि ट्रंप की नीतियों ने भारत को एक बार फिर से रूस के पाले में जाने को मजबूर किया है. उन्होंने कहा है कि पश्चिम ने दशकों तक भारत को सोवियत संघ/रूस के साथ शीत युद्ध के लगाव से दूर करने की कोशिश की है और चीन से पैदा होने वाले खतरे के प्रति भारत को आगाह किया है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से दशकों के प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है. "
जारी है नवारो की तीखी टिप्पणियां
इस बीच ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की भारत के खिलाफ तीखी टिप्पणियां जारी हैं. नवारो ने सोमवार को कहा था भारत में ब्राह्मण तेल से मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने अब कहा है कि, "यह देखकर शर्म आती है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता मोदी, दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाह पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मेल-मिलाप कर रहे हैं. इसका कोई मतलब नहीं है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या सोच रहे हैं, खासकर तब जब भारत दशकों से चीन के साथ शीत युद्ध और कभी-कभी हॉट वॉर में उलझा हुआ है."
नवारो ने कहा कि, 'पुतिन भारत को कच्चा तेल पर छूट देते हैं. भारत इसे रिफाइन करता है और यूरोप, एशिया और अफ्रीका को महंगे दामों पर बेचते हैं. यह मुनाफ़ाखोरी के अलावा और कुछ नहीं है. भारत इस बात पर अड़ा नहीं रह सकता कि उसे अपनी गाड़ियां चलाने या अपने घरों को ठंडा रखने के लिए किसी तरह इस तेल की जरूरत है. यह झूठ है. यह बिल्कुल झूठ है.'
राष्ट्रपति ट्रंप ऐसा नहीं होने देंगे
अमेरिका के इस संरक्षणवादी अर्थशास्त्री को अब इस की चिढ़ है कि भारत अन्य देशों पर बात करने के लिए आगे नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि भारत पर 27 अगस्त से अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है. नवारो ने सोमवार को कहा, "समस्या यह है कि भारत सचमुच टैरिफ का महाराजा है. दुनिया के किसी भी बड़े देश की तुलना में भारत में सबसे ज़्यादा टैरिफ हैं और वह इस बात से इनकार करता है. वह सबको यह बताने की कोशिश करता है कि यह सच नहीं है, और यह स्पष्ट रूप से सच है. इसलिए, उन्हें हमारे साथ बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने जापान, कोरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और यूरोपीय संघ की तरह ऐसा नहीं किया है. उन्हें बस यही लगता है कि वे हमारे साथ अपनी मनमानी जारी रख सकते हैं. राष्ट्रपति ट्रम्प ऐसा नहीं होने देंगे."
ट्रंप ने फिर किया ट्वीट
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक बार फिर से एक ट्वीट किया है. ट्रंप ने दावा किया है कि भारत टैरिफ घटाने को तैयार है लेकिन इसमें देरी हो गई है. ट्रंप ने लिखा, "भारत ने अपने टैरिफ को पूरी तरह से कम करने की पेशकश की है, लेकिन इसमें देर हो रही है. उन्हें ऐसा सालों पहले कर देना चाहिए था."
ट्रंप ने तकलीफ जताते हुए कहा कि भारत अपना ज्यादातर तेल और मिलिट्री उपकरण रूस से खरीदता है, अमेरिका से बहुत कम खरीदता है. ट्रंप ने कहा कि वह लोगों को सोचने के लिए कुछ आसान तथ्य पेश कर रहे हैं. भारत की ओर से अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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