चार दिवसीय यात्रा पर सोमवार को भारत आईं यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमीन झारपोवा (Emine Dzhaparova) ने भारत-रूस संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यूक्रेन भारत को निर्देश देने की स्थिति में नहीं है लेकिन भारत को ऊर्जा के साथ-साथ सैन्य संसाधनों को लेकर व्यावहारिक होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अकेले रूस पर निर्भर रहना भारत के लिए भारी पड़ सकता है क्योंकि रूस इसे ब्लैकमेलिंग के उपकरण की तरह इस्तेमाल करता है.
झापरोवा ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम), संजय वर्मा से मुलाकात के बाद मीडिया से बात की जहां उनसे भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल किया गया.
जवाब में उन्होंने कहा, 'हम दूसरे देशों के साथ आर्थिक संबंधों को लेकर भारत को निर्देश देने की स्थिति में नहीं हैं. हमारा मानना है कि ऊर्जा के साथ-साथ सैन्य संसाधनों में भी विविधता लाने की जरूरत है. हमने देखा है कि अगर आप रूस पर निर्भर हो गए तो वो इसे ब्लैकमेल इंस्ट्रूमेंट की तरह इस्तेमाल करेंगे.'
पीएम मोदी की तारीफ
झापरोवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि 'मोदी की लोकतंत्र, संवाद और विविधता की नीति' और 'यह युद्ध का युग नहीं है- इसको रणनीतिक रूप से अमल में लाना बेहद महत्वपूर्ण है.'
उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का जिक्र करते हुए कहा कि उनका देश अपने पड़ोसी रूस की तरफ से बिना कारण शुरू किए गए युद्ध का शिकार है.
सच्चे विश्वगुरु के लिए यूक्रेन का समर्थन ही एकमात्र विकल्प
भारत आने के बाद झापरोवा ने अपने एक ट्वीट में लिखा, 'संतों और गुरुओं को जन्म देने वाली भूमि की यात्रा करके खुशी हुई. आज भारत विश्वगुरु, वैश्विक शिक्षक और मध्यस्थ बनना चाहता है. हमारे मामले में, निर्दोष पीड़ितों के खिलाफ एक हमलावर की बहुत स्पष्ट तस्वीर है. सच्चे विश्वगुरु के लिए यूक्रेन का समर्थन ही एकमात्र सही विकल्प है.'
यूक्रेनी मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, पीएम मोदी से फोन पर बात कर उन्हें अपने देश बुलाना चाहते हैं.
पीएम मोदी इससे पहले भी जेलेंस्की से फोन पर बात कर चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत में दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई थी जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता और भारत शांति के किसी भी प्रयास में योगदान देने के लिए तैयार है.
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