पहले से ही अस्थिर मध्य-पूर्व में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान से अस्थिरता और बढ़ने की आशंका है. ट्रंप ने बुधवार को कहा कि अमेरिका मध्य-पूर्व से अपने कुछ सैनिकों को निकाल रहा है क्योंकि आने वाले समय में क्षेत्र खतरनाक होने वाला है. ट्रंप ने यह घोषणा ऐसे वक्त में की है जब ईरान-अमेरिका परमाणु समझौता बेपटरी होता दिख रहा है और ईरान पर इजरायल के हमले का खतरा बढ़ गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी और इराकी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अमेरिका ईराक स्थित अपने दूतावास का आंशिक रूप से खाली कर रहा है और सुरक्षा स्थिति को देखते हुए आसपास के सभी इलाकों से सेना के परिवार वालों को मिडिल ईस्ट से निकलने के लिए कह रहा है.
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है इजरायल
पिछले महीने अमेरिका को एक खुफिया जानकारी मिली थी कि इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की तैयारी कर रहा है. सीएनएन ने अमेरिकी अधिकारियों से हवाले से यह खुलासा किया था जिसमें कहा गया था कि अगर अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता असफल रहता है और ईरान यूरेनियम संवर्धन की अपनी जिद नहीं छोड़ता तो इजरायल ईरान पर हमला कर सकता है.
यह खुफिया जानकारी अब वास्तविक लगने लगी है क्योंकि अमेरिका ने ईरान के आसपास के इलाकों से अपने सैनिकों और राजनयिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है.
पश्चिमी देशों को शक है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने पर काम कर रहा है लेकिन ईरान इस बात से साफ इनकार करता है. ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल और केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए है.
अप्रैल के महीने में ही ट्रंप ने ईरान को धमकी देते हुए कहा था कि अगर ईरान ने परमाणु समझौता नहीं किया तो, 'बमबारी होगी और ऐसा बमबारी होगी जैसा ईरान ने पहले कभी नहीं देखा होगा.'
इस धमकी के बाद अब ट्रंप अपने सैनिकों और रायनजिकों को मध्य-पूर्व से धीरे-धीरे निकालने लगे हैं. लेकिन अमेरिका के लिए मध्य-पूर्व से निकल पाना क्या इतना आसान है? यह क्षेत्र अमेरिकी विदेश नीति का अहम हिस्सा रहा है जहां अमेरिका ने अपने हजारों सैनिक तैनात किए हैं और अरबों डॉलर का निवेश किया है.
मध्य-पूर्व में कहां-कहां हैं अमेरिकी सैनिक?
अमेरिका ने दशकों से मध्य-पूर्व में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और उसका सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अल-उदैद एयर बेस कतर में है जो 1996 में बना था.
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2024 तक मध्य-पूर्व में लगभग 40,000 अमेरिकी सैनिक तैनात थे. कतर के अलावा बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में भी हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं.
अमेरिका ने सीरिया के उत्तर-पूर्व में एक सैन्य बेस पर लगभग 2,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है. वहीं, इराक में 2,500 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. इराक में तैनात अमेरिकी सैनिक इस्लामिक स्टेट के आतंकियों और स्थानीय विद्रोहियों से लड़ रहे हैं.
जॉर्डन में भी अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं जो देश की सेना के साथ मिलकर कई तरह के अभ्यास में हिस्सा लेते हैं और उन्हें आधुनिक तरीके से ट्रेन करते हैं.
मध्य-पूर्व में एयरक्राफ्ट को ले जाने वाले दो अमेरिकी कैरियर जहाज भी तैनात हैं. हर कैरियर जहाज एक बार में हजारों सैनिकों और दर्जनों एयरक्राफ्ट्स को ढो सकता है.
मध्य-पूर्व में अमेरिका का कितना निवेश है?
मध्य-पूर्व में अमेरिका ने भारी निवेश कर रखा है, खासकर अपने तीन सबसे मजबूत सहयोगियों- सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)में.
सबसे पहले बात कर लेते हैं सऊदी अरब में अमेरिका के निवेश की- अमेरिका के वाणिज्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में सऊदी अरब में अमेरिका का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 11.3 अरब डॉलर था.
कतर में भी अमेरिका ने भारी-भरकम निवेश कर रखा है. 2023 में अमेरिका का कतर में कुल FDI 2.5 अरब डॉलर था. कतर में अमेरिका का निवेश ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल, कंस्ट्रक्शन, इंजिनियरिंग और सूचना तकनीक के क्षेत्र में है.
वहीं, यूएई की बात करें तो, 2023 में यूएई में अमेरिका का कुल FDI 16.1 अरब डॉलर था. यह निवेश मैन्यूफेक्चरिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस, कंस्ट्रक्शन, होलसेल और रिटेल व्यापारिक क्षेत्रों में किया गया है.
खाड़ी देशों का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता भी अमेरिका
अमेरिका मध्य-पूर्व के खाड़ी देशों का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता भी है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार सऊदी अरब है. 2020- 2024 के बीच सऊदी अरब ने कुल अमेरिकी हथियार निर्यात का 12% खरीदा था. सऊदी अरब अपने कुछ हथियार आयात का 74% अमेरिका से खरीदता है.
कतर भी अमेरिका से अपने सबसे अधिक हथियार खरीदता है. मार्च में कतर ने अमेरिका से 2 अरब डॉलर के हथियारों की डील की थी जिसमें लॉन्ग रेंज के सर्विलांस ड्रोन, सैकड़ों मिसाइल और बम शामिल थे.
अमेरिका और यूएई के रक्षा संबंध भी काफी मजबूत है. यूएई अपने हथियार आयात का 42% हिस्सा अमेरिका से लेता है.
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