ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन लंबे चले युद्ध के बाद सीजफायर का ऐलान हो गया है. अमेरिका के प्रस्ताव पर कतर की मध्यस्थता में दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हुए और अब ईरान की मीडिया ने भी कह दिया है कि सीजफायर की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि, ईरानी मीडिया में सीजफायर को लेकर ज्यादा सकारात्मक बातें देखने को नहीं मिल रही है और ऐसा कहा जा रहा है कि यह सीजफायर ईरान पर थोपा गया है. ईरानी मीडिया और वहां के नेता कह रहे हैं कि सीजफायर की शुरुआत से पहले तक ईरानी मिसाइलें इजरायल में बम बरसाती रहीं.
मंगलवार तड़के जब ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर लिखा कि दोनों पक्ष सीजफायर के लिए पूरी तरह से राजी हो गए हैं तो ईरान से इससे साफ इनकार कर दिया. ईरान संसद के प्रवक्ता महदी मोहम्मदी ने एक्स पर लिखा, 'अमेरिका और ट्रंप झूठ बोल रहे हैं. वो चाहते हैं कि ईरान अपनी सुरक्षा कम कर दे जिससे वो तनाव को और बढ़ा सकें.'
सीजफायर को लेकर पहले तो ईरान की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन बाद में ईरानी मीडिया ने खबर दी कि सीजफायर की शुरुआत हो चुकी है.
इसके बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'इजराइल को उसके आक्रमण की सजा देने के लिए हमारे शक्तिशाली सैनिकों का सैन्य अभियान आखिरी क्षण सुबह 4 बजे तक जारी रहा. सभी ईरानियों के साथ-साथ मैं अपने बहादुर सशस्त्र बलों को धन्यवाद देता हूं जो अपने खून के आखिरी बूंद तक हमारे प्यारे देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं और जिन्होंने दुश्मन के किसी भी हमले का आखिरी सांस तक जवाब दिया है.'
सीजफायर से पहले ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें बरसाईं
ईरान की मीडिया में सीजफायर को जीत की तरह सेलिब्रेट किया जा रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि सीजफायर की शुरुआत के आखिरी पलों तक ईरान इजरायल पर बमबारी करता रहा और इजरायल, अमेरिका को बता दिया गया कि ईरान की सेना कितनी ताकतवर है. ईरान के अखबार Mehrnews की एक रिपोर्ट में लिखा गया, 'सीजफायर की शुरुआत से एक घंटे पहले ईरान ने इजरायल पर पांच चरणों में 20 मिसाइलों से हमला किया.'
अखबार ने एक और रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान और इजरायल दोनों से 'भीख' मांग रहे हैं कि वो सीजफायर का उल्लंघन न करें.
ईरान की वीरता और साहस ने ट्रंप के घमंड को तोड़ दिया
ईरान के प्रमुख अखबार 'तेहरान टाइम्स' में सीजफायर को लेकर एक रिपोर्ट छपी है जिसमें कहा गया है कि ईरान की वीरता और साहस ने ट्रंप का घमंड तोड़ दिया है.
अखबार ने लिखा, 'डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार की सुबह फोर्डो, नतांज और इस्फहान में ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला करने का दावा किया था. लेकिन उनकी शेखी एक दिन से ज्यादा नहीं चली. ईरान ने उनके घमंड को चूर-चूर कर दिया. ट्रंप समझते हैं कि वो अपने समय के तीसमार खान हैं और ईरान उनके अवैध हमलों और धमकियों के आगे झुक जाएगा. मीडिया में वो लगातार अमेरिका के बी-2 बमवर्षक विमान दिखा रहे हैं लेकिन इससे ईरानियों को डर नहीं लगता. युद्ध में जीत इच्छाशक्ति की होती है न कि आधुनिक हथियारों की.'
अखबार ने आगे लिखा कि ईरान का इतिहास वीरता, पराक्रम और गौरव से भरा है, लेकिन ट्रंप और उनकी सुरक्षा टीम इस बात को नहीं जानती है.
अखबार ने अफगानिस्तान मामले को लेकर ट्रंप की खिल्ली उड़ाने की भी कोशिश की. अखबार ने लिखा, 'ट्रंप ने अपने ने अफगानिस्तान पर 10 टन का बम गिराया लेकिन फिर उन्हें तालिबान की शर्तों पर सहमत होकर देश से बेइज्जत होकर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. ट्रंप यह समझ नहीं पा रहे हैं कि ईरानी अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हैं. यहां तक कि जो लोग ईरानी शासन के विरोधी हैं और आलोचना की वजह से जेल में हैं, वो भी अमेरिका के थोपे गए युद्ध के खिलाफ हैं.'
ईरान के लोग सोशल मीडिया पर मना रहे जश्न
सीजफायर के बाद ईरान के लोग सोशल मीडिया पर कई तरह के वीडियो शेयर कर जश्न मना रहे हैं. कई लोग इजरायली हमले में तबाह इमारतों और मस्जिदों के वीडियो शेयर कर नेतन्याहू की आलोचना कर रहे हैं.
ईरानी लोगों का कहना है कि युद्ध में ईरान ने अमेरिका और इजरायल को धूल चटा दी है और जीत उसकी हुई है.
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