रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की छटपटाहट के बावजूद दोनों पक्षों में संघर्षविराम होता नहीं दिख रहा. बल्कि यूक्रेन युद्ध का दायरा यूरोप में आगे तक बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी है. इसी बीच लिथुआनिया के राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस के सैन्य विमानों ने गुरुवार शाम को थोड़े समय के लिए उनके देश के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया. उन्होंने इसे अपने यूरोपीय संघ और नाटो सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता का खुला उल्लंघन बताया.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने कहा कि इस संबंध में लिथुआनिया का विदेश मंत्रालय राजधानी विलनियस में स्थित रूसी दूतावास के प्रतिनिधियों को तलब करेगा. रूसी राजनयिकों के सामने इस उल्लंघन का विरोध दर्ज कराया जाएगा.
नौसेदा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'यह अंतरराष्ट्रीय कानून और लिथुआनिया की क्षेत्रीय अखंडता का खुला उल्लंघन है. यह एक बार फिर इस बात की पुष्टि करता है कि यूरोप के एयर डिफेंस को मजबूत करना कितना जरूरी है.' रूस ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बाल्टिक देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अपनी सतर्कता बढ़ा रखी है. हाल के हफ्तों में रूसी फाइटर जेट्स ने इन देशों के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है और इनकी सीमा में कई बार रहस्यमयी ड्रोन्स भी दिखे हैं जिससे ये देश चिंतित हैं.
लिथुआनिया समेत बाल्टिक देशों का मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नाटो की रक्षा प्रतिक्रिया क्षमता की परीक्षा ले रहे हैं.
कुछ नेताओं ने पुतिन पर यूरोप में हाइब्रिड युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है. लेकिन रूस इन आरोपों से साफ इनकार करता है. उसका कहना है कि वो नाटो के डिफेंस सिस्टम को टेस्ट नहीं कर रहा है.
लिथुआनियाई सशस्त्र बलों ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम 6 बजे के आसपास दो रूसी सैन्य विमान लगभग 700 मीटर (765 गज) तक लिथुआनिया के हवाई क्षेत्र में घुस गए. SU-30 फाइटर जेट और IL-78 ईंधन भरने वाला विमान लगभग 18 सेकंड बाद वापस लौट गए.
लिथुआनियाई सेना का मानना है कि ये विमान पड़ोसी रूसी एन्क्लेव कैलिनिनग्राद में ईंधन भरने के अभ्यास कर रहे थे.
रूसी जेट्स को अपने क्षेत्र में देख, नाटो की हवाई निगरानी मिशन पर तैनात दो स्पेनिश फाइटर जेट्स तुरंत सक्रिय किए गए और उल्लंघन वाले क्षेत्र की ओर रवाना हुए.
गुरुवार को इससे पहले, राष्ट्रपति नौसेदा ब्रसेल्स में यूरोपीय परिषद के शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे. शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ के नेताओं ने एक योजना को मंजूरी दी जिसका मकसद है कि इस दशक के अंत तक यूरोप अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हो सके. इस योजना का नाम 'रेडिनेस 2030' (Readiness 2030) रखा गया है.
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