पुतिन ने यूरोपीय नेताओं को कहा 'पिग्लेट्स', बोले- शांति वार्ता पटरी से उतरी तो यूक्रेन पर करेंगे कब्जा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय नेताओं को पिग्लेट्स कहकर आलोचना की और चेतावनी दी कि अगर कीव और उसके पश्चिमी समर्थक शांति वार्ता में सहयोग नहीं करेंगे तो रूस यूक्रेन के और क्षेत्र जब्त कर लेगा. पुतिन ने कहा कि नाटो झूठी अफवाहें फैला रहा है और सैन्य कार्रवाई ही अंतिम विकल्प होगी.

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पुतिन ने की यूरोपियो नेताओं की आलोचना. (Photo: Press Office of President of Russian Dederation) पुतिन ने की यूरोपियो नेताओं की आलोचना. (Photo: Press Office of President of Russian Dederation)

aajtak.in

  • मॉस्को,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:25 AM IST

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को यूरोपीय नेताओं को पिग्लेट्स (सूअर के बच्चे) कहकर मजाक उड़ाया और चेतावनी दी कि अगर कीव और उसके पश्चिमी समर्थक अमेरिका समर्थित शांति प्रस्तावों पर बातचीत नहीं करेंगे तो मॉस्को बलपूर्वक यूक्रेन के और क्षेत्र जब्त कर लेगा. उन्होंने ये टिप्पणी रक्षा मंत्रालय की सालाना बैठक में की है.

रक्षा मंत्रालय की वार्षिक बैठक में बोलते हुए व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय नेताओं को 'पिग्लेट्स' कहकर उनकी कड़ी आलोचना की.उन्होंने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे रूस के खिलाफ डर का माहौल जानबूझकर पैदा कर रहे हैं.

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झूठी अफवाह फैला रहे हैं NATO देश

पुतिन ने कहा, 'ये झूठ है, बकवास है. नाटो देशों पर हमले की झूठी अफवाह फैला रहे हैं. रूस का यूरोपीय देशों पर हमले का कोई इरादा नहीं, लेकिन ये जानबूझकर किया जा रहा है.'

तो करेंगे सैन्य कार्रवाई

उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर बातचीत से ठोस समाधान नहीं निकला, तो सैन्य कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता होगी. रूसी सेनाएं सभी मोर्चों पर आगे बढ़ रही हैं और रूस कूटनीति या सैन्य साधनों के माध्यम से अपनी ऐतिहासिक भूमि की मुक्ति हासिल करेगा, क्योंकि युद्ध को खत्म करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयास अभी रुके हुए हैं.

अमेरिका ने इस संघर्ष को समाप्त करने के प्रस्तावों पर रूस, यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं के साथ अलग-अलग वार्ताएं की हैं, लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिली है. कीव और उसके यूरोपीय सहयोगी किसी भी ऐसे समझौते को लेकर गहरी चिंता में हैं, जिसमें यूक्रेन को क्षेत्रीय रियायत देनी पड़ें, जबकि यूक्रेन ने ठोस सुरक्षा गारंटी पर जोर दिया है.

पुतिन ने साफ कर दिया है कि रूस पश्चिमी दबाव की परवाह किए बिना आगे बढ़ने के लिए तैयार है.

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यूक्रेन के 19% क्षेत्र पर कब्जा

रॉयटर्स के मुताबिक, रूस फिलहाल यूक्रेन के करीब 19 फीसदी क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है, जिसमें 2014 में क्रीमिया को मिलाकर डोनबास का ज्यादातर हिस्सा, खेरसॉन और ज़ापोरिज़िया के बड़े इलाके और अन्य क्षेत्रों के छोटे हिस्से शामिल हैं.

मॉस्को का दावा है कि ये क्षेत्र अब रूस का हिस्सा हैं, लेकिन यूक्रेन इसे पूरी तरह खारिज करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ज्यादातर हिस्सा इसे मान्यता नहीं देता है.

2026 तेज होंगे हमले

रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव ने युद्ध को लेकर भविष्य की रणनीतिक योजना साझा की. उन्होंने बताया कि रूस साल 2026 में अपने सैन्य हमलों की गति को और अधिक बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. आधिकारिक स्लाइडों के अनुसार, रूस 2025 में अपनी कुल जीडीपी का 5.1 प्रतिशत हिस्सा इस सैन्य अभियान पर खर्च कर रहा है.

वहीं, बेलौसोव ने भी यूरोपीय देशों पर आरोप लगाया कि वे शांति प्रयासों को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही हैं और नाटो के साथ संभावित युद्ध की चर्चा कर रही हैं.

जेलेंस्की की पश्चिमी देशों से अपील

उधर, पुतिन के कड़े रुख के जवाब में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपने सहयोगियों से एकजुट होने और समर्थन दिखाने को कहा.

उन्होंने यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से पहले अपने संबोधन में कहा कि रूस को ये महसूस होना चाहिए कि युद्ध जारी रखना उसके लिए निरर्थक है. जेलेंस्की ने फिर से मांग की कि रूस की फ्रीज की गई लगभग 250 अरब डॉलर की संप्रभु संपत्ति का इस्तेमाल यूक्रेन के लिए कर्ज के तौर पर किया जाए.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन को मजबूत समर्थन मिलने पर ही रूस की हिम्मत टूटेगी. यूरोपीय संघ की सरकारों ने पिछले सप्ताह इन संपत्तियों को अनिश्चित काल तक जमा रखने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि, कुछ सदस्य देशों को संभावित कानूनी जोखिमों के बारे में चिंता बनी हुई है.

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रूस पर नए प्रतिबंधों की तैयारी

वहीं, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर मॉस्को शांति समझौता ठुकराता है तो अमेरिका रूस के एनर्जी सेक्टर पर नई प्रतिबंध लगा सकता है. इसमें रूस की शैडो फ्लीट से जुड़े जहाजों और ऑयल एक्सपोर्ट में मदद करने वाले ट्रेडर्स को टारगेट किया जा सकता है.

बता दें कि यूक्रेन युद्ध अब अपने चौथे साल में प्रवेश कर चुका है, लेकिन शांति का कोई स्पष्ट रास्ता नजर नहीं आ रहा है. अमेरिका लगातार रूस, यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं के साथ अलग-अलग बातचीत कर रहा है. सबसे बड़ी अड़चन क्षेत्रीय रियायतों को लेकर है, क्योंकि यूक्रेन अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है और पुतिन इसे अपनी ऐतिहासिक भूमि बता रहे हैं.

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