यूरोप को ट्रंप पर क्यों नहीं भरोसा? जर्मनी से लेकर फ्रांस तक संशय में, अपनी शर्तों पर कायम जेलेंस्की

अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को लेकर तनाव बढ़ गया है. ट्रंप ने जेलेंस्की पर प्रस्ताव न पढ़ने को लेकर नाराजगी जताई. उनका कहना है कि प्रस्ताव से यूक्रेनी लोग सहमत हैं. हालांकि, जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन सिर्फ "गरिमापूर्ण शांति" स्वीकार करेगा.

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रूस-यू्क्रेन सीमा पर अपने पोस्ट की रक्षा करता यूक्रेनी सैनिक. (Photo: Pixabay) रूस-यू्क्रेन सीमा पर अपने पोस्ट की रक्षा करता यूक्रेनी सैनिक. (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा, "मैं थोड़ा निराश हूं कि राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रस्ताव अभी तक नहीं पढ़ा. रूस इसके लिए तैयार है, लेकिन मैं नहीं जानता कि जेलेंस्की तैयार हैं या नहीं." ट्रंप ने दावा किया कि यूक्रेन की "जनता" प्रस्ताव को पसंद कर रही है, जबकि नेतृत्व संकोच में है. हालांकि, जेलेंस्की का कहना है, "यूक्रेन गरिमामय शांति का हकदार है."

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इसके जवाब में जेलेंस्की ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट संदेश दिया. "यह (शांति प्रक्रिया) पूरी तरह रूस के व्यवहार और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के मजबूत रुख पर निर्भर करता है." उन्होंने कहा कि रूस को युद्ध, हमलों और आतंक के लिए जवाबदेह ठहराना होगा, तभी कोई सार्थक शांति संभव है.

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जेलेंस्की ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत "संरचनात्मक लेकिन आसान नहीं" रही. वे सोमवार (8 दिसंबर) को लंदन में फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों, ब्रिटिश प्रधानमंत्री और जर्मन नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करने वाले हैं, जो आने वाले दिनों में यूरोप की सामूहिक रणनीति तय करेंगी.

यूरोप को ट्रंप पर भरोसा क्यों नहीं?

इस बीच, जबकि जेलेंस्की यूरोपीय नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं और शांति का रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं ट्रंप प्रशासन ने रूस को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. ट्रंप प्रशासन ने अपनी नई विदेशी नीतियों में माना है कि रूस अमेरिका के लिए एक डायरेक्ट खतरा नहीं है. इन घटनाओं को लेकर यूरोपीय नेता मानते हैं कि ट्रंप धोखा दे सकते हैं और उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता.

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यूरोपीय नेताओं का सीक्रेन कॉल लीक

इससे पहले जर्मन मैगजीन में छपी एक लीक फोन कॉल ने इस तनाव को और उजागर कर दिया था. इस कॉल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर फ़्रीडरिख मर्ज़, नाटो महासचिव मार्क रुट, फ़िनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की शामिल थे. इस फोन कॉल के लीक होने से अमेरिका और यूरोप में तनाव बढ़ने की काफी संभावना है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों ने कॉल में कहा कि अमेरिका "यूक्रेन को क्षेत्रीय समझौते के लिए मजबूर कर सकता है", जो जेलेंस्की के लिए "खतरे" जैसा होगा. हालांकि बाद में फ्रेंच राष्ट्रपति कार्यालय ने इन शब्दों के इस्तेमाल से इनकार किया. इसके बावजूद यूरोप के कई नेता अमेरिकी मंशा पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं-विशेषकर तब, जब डोनाल्ड ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ़ और उनके दामाद जेरेड कुशनेर ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पांच घंटे लंबी बैठक की.

कॉल में जर्मन चांसलर ने कहा, "वे (ट्रंप प्रशासन) आपसे और हमसे खेल रहे हैं" जिस पर फिनलैंड के राष्ट्रपति ने समर्थन जताते हुए कहा कि जेलेंस्की को "इन लोगों के साथ अकेला नहीं छोड़ा जा सकता." नाटो प्रमुख मार्क रुट ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करना यूरोप की जिम्मेदारी है.

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