ट्रंप ने कसा शिकंजा तो पुतिन ने और बढ़ा दी छूट! भारत के लिए सस्ता हुआ रूसी तेल, लेकिन...

अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत और चीन ने रूसी तेल की खरीद सीमित कर दी है. इसे देखते हुए रूस ने तेल की कीमतें घटा दी हैं. इस बीच रूस से इतर बाकी देशों से आनेवाले तेल की कीमतें बढ़ गई हैं.

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ट्रंप के प्रतिबंधों के बाद पुतिन ने रूसी तेल पर छूट बढ़ा दी है (File Photo: Reuters) ट्रंप के प्रतिबंधों के बाद पुतिन ने रूसी तेल पर छूट बढ़ा दी है (File Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST

रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिबंधों ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. रूसी तेल के दो सबसे बड़े खरीददार भारत और चीन ने ट्रंप की तरफ से प्रतिबंधित रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल से तेल खरीद सीमित कर दी है. इस बीच खबर है कि रूस ने अपने तेल की कीमतों में कटौती कर दी है.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स को इंडस्ट्री के जानकार सूत्रों ने जानकारी दी है कि रूस ने भारत और चीन को तेल पर दी जानेवाली छूट बढ़ा दी है. रूस के प्रमुख यूराल क्रूड (Urals crude) की कीमत में दिसंबर डिलीवरी के लिए ब्रेंट की तुलना में लगभग 4 डॉलर प्रति बैरल की छूट आ गई है. करीब एक साल में यूराल क्रूड कभी इतना सस्ता नहीं रहा. रूस ने अपने क्रूड पर छूट पिछले सप्ताह की तुलना में 2 डॉलर और बढ़ा दी है.

हालांकि यह छूट 2022 में पश्चिमी देशों की तरफ से रूसी तेल पर लगाए प्रतिबंधों के बाद की तुलना में कम है, जब यह लगभग 8 डॉलर प्रति बैरल थी. 

अमेरिका ने हाल ही में रूसी तेल कंपनियों लुकोइल (Lukoil) और रोसनेफ्ट (Rosneft) पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और 21 नवंबर तक इन कंपनियों के साथ सभी लेन-देन समाप्त करने की समयसीमा तय की है.

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इसके बाद प्रमुख भारतीय रिफाइनर- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), मेंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL), एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी (HMEL) और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दिसंबर डिलीवरी के लिए रूसी तेल के ऑर्डर रोक दिए हैं. ये पांचों कंपनियां मिलकर भारत के रूसी तेल आयात का लगभग 65% हिस्सा खरीदती हैं.

एशियाई बाजार में रूसी तेल सस्ता तो बाकी तेल हुआ महंगा

अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद चीन की सरकारी तेल कंपनियों ने भी समुद्री रास्ते से आने वाले रूसी तेल की खरीद निलंबित कर दी है. इससे चीनी बंदरगाहों पर ESPO ब्लेंड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट आई है. भारत और चीन का रूसी तेल खरीद सीमित करना रूस के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है.

सूत्रों के अनुसार अब एशियाई बाजार दो हिस्सों में बंट गया है- गैर-प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं से आने वाला तेल प्रीमियम पर बिक रहा है, जबकि प्रतिबंधित कंपनियों या जहाजों से जुड़ा तेल भारी छूट पर बेचा जा रहा है.

भारत में रूसी तेल की कुल मांग में तेज गिरावट देखी जा रही है और दिसंबर में आयात में बड़ी कमी की संभावना है. रूसी तेल बिक्री में यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं और अमेरिका लगातार भारत व चीन पर रूसी आयात घटाने का दबाव बना रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ती छूट रूस की वित्तीय स्थिति को और कमजोर कर सकती है.

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फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी तेल लगातार पश्चिमी देशों के निशाने पर है. ट्रंप का आरोप है कि भारत और चीन रूस से तेल खरीद कर यूक्रेन में चल रहे युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं. भारत, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ भूमिका में है, का कहना है कि रूस से तेल खरीद राष्ट्रीय हित में ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए है. 

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