ऑपरेशन सिंदूर को हुए आधा साल गुजर गया है. अब पाकिस्तान ने भारत के जवाबी हमले में चूर-चूर हो चुके आतंकी ठिकाने 'मरकज सैयदना बिलाल' को फिर से बनाने की घोषणा की है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद के शावाली रोड पर स्थित 'मरकज सैयदना बिलाल' पहुंचे पाकिस्तान के संघीय मंत्री और उनके कथित कश्मीर कमेटी के अध्यक्ष राणा मुहम्मद कासिम नून ने 6 महीने बाद इंडियन स्ट्राइक में हुए नुकसान का जायजा लिया.
यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार किसी पाकिस्तानी संघीय मंत्री का एक तबाह आतंकी कैंप का खुला दौरा है. आज तक/इंडिया टुडे को पाकिस्तानी मंत्री के दौरे की तस्वीरें मिली हैं. कासिम नून के साथ प्रशासनिक अधिकारी और पीएमएल-एन के स्थानीय नेता भी शामिल थे.
मरकज सैयदना बिलाल पहुंचे पाकिस्तान के मंत्री कासिम नून ने घोषणा की कि शहबाज शरीफ सरकार जल्द ही जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को फिर से बनाएगी. सूत्रों के अनुसार इस महीने के अंदर ही यहां पुनर्निर्माण कार्य शुरू हो सकता है.
सैयदना बिलाल टेरर कैंप अपने आतंकी मोहम्मद हसन खान का ऑपरेशनल बेस था. ये वही सैयदना बिलाल कैंप है जो 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के हमले में मारा गया था. मोहम्मद हसन खान पाक अधिकृत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा है. असगर खान इस बेस कैंप से अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. इस दौरान उसके साथ जैश का आतंकी आशिक नेगरू भी साथ थी. आशिक नेगरू 2019 पुलवामा आतंकी हमले से जुड़ा है.
खुफिया सूत्रों ने आज तक/इंडिया टुडे को बताया कि यह कदम अक्टूबर में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान की टेरर को सपोर्ट करने की साजिशों को दर्शाता है.
इस दौरे में पाकिस्तान के मंत्री कासिम नून ने खूब प्रोपगैंडाबाजी की. उन्होंने भारत के स्ट्राइक में ध्वस्त हुए इस कैंप को मजहबी और शैक्षणिक संस्थान के रूप में पेश किया गया.
पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में स्थित सैयदना बिलाल कैंप 7 मई को हुए भारतीय हवाई हमलों में नष्ट हुए जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ आतंकी शिविरों में से एक था.
पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था. इनमें मरकज़ तैयबा (लाहौर), मरकज सुभानअल्लाह (बहावलपुर), सरजाल और महमोना जोया (सियालकोट), सवाई नाला और सैयदना बिलाल ( मुजफ्फराबाद), गुलपुर और अब्बास (कोटली) और भिंबर शामिल था.
सुबोध कुमार