'पांच मार्च का चुनाव टला तो सड़कों पर उतरेंगे...', पूर्व PM पुष्पकमल दहल की नेपाल सरकार को दो टूक

नेपाल में सुशीला कार्की ने 12 सितंबर को अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. यह शपथ तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के तीन दिन बाद हुई थी, जिन्हें Gen-Z के नेतृत्व में हुए बड़े जनआंदोलन के बाद पद छोड़ना पड़ा था.

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पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाल सरकार को दी चेतावनी (Photo: PTI) पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाल सरकार को दी चेतावनी (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:44 AM IST

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने शनिवार को चेतावनी दी कि अगर किसी भी कारण से पांच मार्च को होने वाले आम चुनाव को टाला गया तो उनकी पार्टी सड़कों पर उतर आएगी. 

प्रचंड ने कहा कि चुनाव की तारीख को टालने की कोशिशें की जा रही हैं, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि 5 मार्च को निर्धारित चुनाव उसी दिन कराए जाने चाहिए. 

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प्रचंड काठमांडू के भृकुटीमंडप क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी बहाने से चुनाव टालने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी. नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) ने चुनाव की घोषणा के बाद से लगातार देशभर में जनसभाओं के जरिए समय पर चुनाव कराने की मांग की है. उन्होंने दोहराया कि अगर चुनाव टाले गए, तो एनसीपी सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी.

उन्होंने कहा कि आम चुनाव इस समय हमारा राष्ट्रीय एजेंडा बन चुका है, क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि चुनाव टालने से संविधान पटरी से उतर जाएगा इसलिए मैं सभी से अपील करता हूं कि समय पर चुनाव कराने के लिए एकजुट हों. हालांकि, उन्होंने चुनाव टालने की कोशिशों के लिए किसी व्यक्ति या पार्टी का नाम नहीं लिया.

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बता दें कि सीपीएन (माओवादी केंद्र) और सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) समेत 10 वाम दलों ने 5 नवंबर को नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) का गठन किया था, जो 5 मार्च को होने वाले आम चुनाव से कई महीने पहले हुआ.

वहीं, इस बीच नेपाल की प्रधानमंत्री के रूप में अपने 100 दिन पूरे होने पर दिए गए विशेष संबोधन में सुशीला कार्की ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहती हूं कि चुनाव टालने या रद्द करने की अफवाहें पूरी तरह निराधार और भ्रामक हैं. यह सरकार समय पर, निष्पक्ष और भयमुक्त माहौल में चुनाव कराने के अपने संकल्प पर पूरी तरह अडिग है.

सुशीला कार्की ने सितंबर में नेपाल की प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. यह शपथ तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हुई थी, जिन्हें Gen-Z के नेतृत्व में हुए बड़े आंदोलन के बाद पद छोड़ना पड़ा था. कार्की के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 5 मार्च 2026 को नए आम चुनाव कराने की घोषणा की थी.

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