प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को अमेरिका पहुंचे हैं जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. अपने इस पहले स्टेट विजिट के दौरान पीएम मोदी जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और स्टेट डिनर में भी हिस्सा लेंगे. लेकिन इसी बीच अमेरिका में भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं जिस पर व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि जो बाइडेन पीएम मोदी को मानवाधिकार के मुद्दे पर लेक्चर नहीं देंगे.
बुधवार को सुलिवन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जो बाइडेन पीएम मोदी के साथ बातचीत में भारत के कमजोर पड़ते लोकतांत्रिक मूल्यों का मुद्दा उठा सकते हैं लेकिन वो इस मुद्दे पर उन्हें किसी तरह का लेक्चर नहीं देने वाले.
'हम लेक्चर नहीं देते'
उन्होंने कहा, 'जब अमेरिका देखता है कि प्रेस, धार्मिक या अन्य स्वतंत्रता के लिए चुनौतियों खड़ी हो रही हैं तो हम उस पर अपने विचार रखते हैं. लेकिन हम सिर्फ अपने विचार व्यक्त करते हैं, लेक्चर नहीं देते या ऐसा दिखाने की कोशिश नहीं करते कि हमारे देश में वो चुनौतियां नहीं हैं.'
सुलिवन ने आगे कहा, 'आखिरकार, भारत में राजनीति और लोकतांत्रिक संस्थानों के सवाल को भारतीय ही निर्धारित करेंगे. अमेरिका उस पर कुछ नहीं कर सकता.'
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से पीएम मोदी पांच बार अमेरिका जा चुके हैं लेकिन अमेरिका की उनकी यह पहली स्टेट विजिट है. पीएम मोदी राष्ट्रपति बाइडेन और उनकी पत्नी अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के विशेष निमंत्रण पर अमेरिका पहुंचे हैं.
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मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर अमेरिकी संस्थाओं के निशाने पर भारत
अमेरिका में भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर पिछले कुछ सालों से काफी बातें हो रही हैं. मोदी की अमेरिका यात्रा से ठीक पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत पर निशाना साधा था. 15 मई को जारी धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका की वार्षिक रिपोर्ट में भारत में मुस्लिमों, ईसाइयों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों का जिक्र किया गया था. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि वो भारत में लगातार हो रही धार्मिक हिंसा से दुखी हैं.
हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा था कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं.
इससे पहले मई की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी आयोग (UCCIRF) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से भारत को विशेष चिंता वाले देशों की लिस्ट में डालने की सिफारिश की थी. आयोग इस तरह की सिफारिश पहले भी करता रहा है लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आयोग की सिफारिशों को नजरअंदाज किया है.
भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर जो बाइडेन पर अपने साथी डेमोक्रेट्स का भी काफी दबाव है. पीएम मोदी की यात्रा से ठीक एक दिन पहले मंगलवार को 75 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडेन को पत्र लिखकर मांग की है कि वो पीएम मोदी से बातचीत के दौरान मानवाधिकारों का मुद्दा उठाएं.
चीन और रूस को लेकर क्या बोले सुलिवन?
भारत और अमेरिका दोनों ही इंडो-पैसिफिक में चीन की आक्रामकता के जूझ रहे हैं. जब सुलिवन से इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'यह यात्रा चीन को लेकर नहीं है लेकिन सैन्य, प्रौद्योगिकी, आर्थिक क्षेत्र में चीन की भूमिका का सवाल एजेंडे में होगा.'
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति से अमेरिका काफी असहज रहा है. हालांकि, अमेरिका कई मौकों पर यह बात स्वीकार चुका है कि रूसी हथियारों और रूसी तेल पर भारत की निर्भरता को देखते हुए उसकी नीति वाजिब है. सुलिवन ने भी कहा कि पीएम मोदी पश्चिमी देशों की तरह यूक्रेन की मदद नहीं करेंगे क्योंकि भारत रूसी तेल पर निर्भर है.
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