कौन है मुल्ला हसन अखुंद जिन्हें मिलने जा रही अफगानिस्तान की कमान

अमीरुल मोमिनीन शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद मुल्ला हसन अखुंद का नाम रईस-ए-जम्हूर, या रईस-उल-वज़ारा के लिए प्रस्तावित किया था.

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अफगान में जल्द सरकार बनाएगा तालिबान (सांकेतिक फोटो) अफगान में जल्द सरकार बनाएगा तालिबान (सांकेतिक फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगान के प्रमुख होंगे
  • मुल्ला बरादर की जगह उनपर भरोसा जताया गया है

तालिबान ने अफगानिस्तान पर लगभग पूरी तरह कब्जा कर लिया है और अब जल्द ही सरकार बनाने वाला है. इस बीच बड़ा बदलाव यह हुआ है कि पहले खबर थीं कि मुल्ला बरादर तालिबान की सरकार का चेहरा होंगे, लेकिन अब खबरें हैं कि मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद (Mullah Mohammad Hasan Akhund) को अफगानिस्तान की कमान मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक, इसी हफ्ते तालिबान सरकार का गठन कर सकता है.

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जानकारी के मुताबिक, अमीरुल मोमिनीन शेख शेख हैबतुल्ला अखुंजादा ने खुद मुल्ला हसन अखुंद का नाम रईस-ए-जम्हूर, या रईस-उल-वज़ारा के लिए प्रस्तावित किया था. वहीं मुल्ला बरादर और मुल्ला अबदुस सलाम उनके डिप्टी के तौर पर काम करेंगे. शेख हैबतुल्ला अखुंजादा खुद अफगान के सुप्रीम लीडर होंगे.

रहबारी शूरा के मुखिया हैं मुल्ला हसन अखुंद

मुल्ला हसन अखुंद फिलहाल रहबारी शूरा (लीडरशिप काउंसिल) के मुखिया हैं. रहबारी शूरा तालिबान की सबसे शक्तिशाली निर्णय लेने वाली संस्था है. मुल्ला हसन अखुंद का जन्म उसी कंधार में हुआ है जिससे तालिबान की भी शुरुआत हुई थी. सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करने वाले लोगों में मुल्ला हसन शामिल थे. हसन का नाम संयुक्‍त राष्‍ट्र की आतंकी सूची में भी शामिल है.

जानकारी के मुताबिक, मुल्ला हसन करीब 20 साल से शेख हैबतुल्ला अखुंजादा के करीबी रहे हैं. इसी वफादारी का इनाम उन्‍हें मिलने जा रहा है. शेख हैबतुल्ला अखुंजादा अफगान के सुप्रीम लीडर होंगे.

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तालिबान के ही अन्य नेता बताते हैं कि मुल्ला हसन पिछले 20 सालों से रहबारी शूरा की तरह काम देख रहे हैं. इसलिए तालिबान लड़के उनकी काफी इज्जत भी करते हैं.  बताया जाता है कि फिलहाल के वत्त में मुल्ला हसन को उनके चरित्र और भक्ति भाव के लिए ही जाना जाता है. साथ ही वह मिलिट्री बैकग्राउंड से ना होकर धार्मिक नेता के तौर पर ज्यादा मशहूर हैं.

सरकार का प्रमुख बनाने के पीछे यह भी वजह हो सकती है कि तालिबान की पिछली सरकारों में भी मुल्ला हसन अहम पदों पर रहे. मुल्ला मोहम्मद रब्बानी अखुंद जब अफगान के प्रधानमंत्री थे तब मुल्ला हसन को पहले विदेश मंत्री और फिर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर तक बनाया गया था.

 

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