जापान में नए नेता के चुनाव के लिए आज मतदान, मुश्किल में पीएम इशिबा का गठबंधन

जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, एलडीपी और उसके लंबे समय के सहयोगी कोमीतो को हार का सामना करना पड़ सकता है. अगर जनमत सर्वेक्षणों की बात सही साबित होती है तो बहुमत खोने की वजह से प्रधानमंत्री इशिबा को छोटे दलों के साथ सत्ता-साझा करने के लिए बातचीत करने पर मजबूर होना पड़ेगा, जो कि अभी एक महीने पहले ही सत्ता में आए हैं.

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जापान के पीएम शिगेरू इशिबा जापान के पीएम शिगेरू इशिबा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST

जापान के मतदाता आज प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की सरकार के भाग्य का फैसला करेंगे. इस चुनाव में उनके गठबंधन पर संकट मंडरा रहा है. फंडिंग घोटाला और बढ़ती महंगाई को लेकर लोग इशिबा सरकार के खिलाफ नाराज बताए जा रहे हैं, जिससे उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) का एक दशक का प्रभुत्व समाप्त हो सकता है.

जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, एलडीपी और उसके लंबे समय के सहयोगी कोमीतो को हार का सामना करना पड़ सकता है और गठबंधन संभवतः अपना संसदीय बहुमत खो सकता है. जापान इन दिनों बढ़ती महंगाई और पड़ोसी चीन के साथ बढ़ते तनावपूर्ण संबंधों से जूझ रहा है.

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अगर जनमत सर्वेक्षणों की बात सही साबित होती है तो बहुमत खोने की वजह से इशिबा को छोटे दलों के साथ सत्ता-साझा करने के लिए बातचीत करने पर मजबूर होना पड़ेगा, जो कि अभी एक महीने पहले ही सत्ता में आए हैं. इससे कुछ नीतिगत क्षेत्रों में अनिश्चितता आएगी, हालांकि किसी भी सर्वेक्षण में एलडीपी के सत्ता से बाहर होने का पूर्वानुमान नहीं लगाया गया है.

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जापान के लिए बढ़ेंगी चुनौतियां
सियासी नतीजों से बाजार में उथल-पुथल मचा सकती है जो बैंक ऑफ जापान के लिए सिरदर्द बन सकती है. अगर इशिबा ऐसे भागीदार को चुनते हैं जो केंद्रीय बैंक द्वारा की ब्याज दरों में वृद्धि करने के दौरान लगभग शून्य ब्याज दरों को बनाए रखने का पक्षधर हैं, तो जापान की मुश्किलें और बढ़ सकती है.

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कांडा यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में जापानी राजनीति के विशेषज्ञ जेफरी हॉल कहते हैं, "नेता के तौर पर वे (शिगेरू इशिबा) काफी कमजोर हो जाएंगे, उनकी पार्टी उन नीतियों में कमजोर हो जाएगी जिन पर वह विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करना चाहती है. गठबंधन सहयोगी लाने से उन्हें उस पार्टी के साथ कुछ समझौते करने पड़ेंगे, चाहे वह कोई भी पार्टी हो." 

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क्या कहते हैं सर्वे
सर्वे के मुताबिक, एलडीपी निचले सदन में अपनी 247 सीटों में से 50 सीटें खो सकती है और कोमिटो की सीटों की संख्या 30 से नीचे जा सकती है. गठबंधन को बहुमत के लिए आवश्यक 233 से कम सीटें मिलने की उम्मीद है. सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि एलडीपी संसद में सबसे बड़ी ताकत बनी रहेगी, लेकिन उसे दूसरे  संसद में दूसरे नंबर विपक्षी पार्टी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी से नुकसान झेलना पड़ सकता है. इसी दल ने 2009 में एलडीपी को सत्ता से हटा दिया था. अनुमान है कि सीडीपीजे 140 सीटें जीत सकती है.

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