रूस की संसद के निचले सदन स्टेट डूमा ने मंगलवार को भारत के साथ हुए महत्वपूर्ण सैन्य समझौते रेसिप्रोकल सपोर्ट ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट (RELOS) को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है. यह कदम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से पहले उठाया गया है, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर बैठक में शामिल होंगे.
डूमा के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि भारत के साथ रूस के संबंध "रणनीतिक और व्यापक" हैं, और इस समझौते की मंजूरी द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि इससे सैन्य सहयोग में पारस्परिकता बढ़ेगी और दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामंजस्य अधिक सहज होगा.
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यह समझौता 18 फरवरी को मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और उस समय के उप रक्षा मंत्री अलेक्ज़ेंडर फोमिन द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था. RELOS के तहत दोनों देशों के सैन्य जहाज, विमान और सैन्य टुकड़ियां एक-दूसरे के एयरबेस, बंदरगाहों और लॉजिस्टिक सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगी. इसमें ईंधन भरना, मरम्मत, तकनीकी सहायता और आपातकालीन समर्थन शामिल होगा.
पोर्ट कॉल्स और एयरस्पेस के लिए उपयोगी समझौती
सरकारी नोट के अनुसार, यह निर्णय दोनों देशों के लिए कई क्षेत्रों में सहयोग को आसान बनाएगा, विशेषकर संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता और प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के बाद राहत कार्यों में. साथ ही, यह समझौता जहाजों की पोर्ट कॉल्स और एयरस्पेस के पारस्परिक उपयोग को भी सुविधा देगा.
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भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत होगी
रूसी सरकार ने डूमा की वेबसाइट पर जारी नोट में लिखा कि यह समझौता न केवल परिचालन स्तर पर सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को भी नई गति देगा. पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा से कई महत्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है, विशेषकर रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में जहां कई समझौते हो सकते हैं.
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