'भारत के सामने अमेरिकी स्ट्रैटेजी फेल, ट्रंप के कॉल इस कारण नहीं उठा रहे PM मोदी...', अमेरिकन एक्सपर्ट ने समझाया

भारत-अमेरिका संबंधों पर जर्मन अखबार ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ट्रंप भारत के बाजार में अमेरिकी दिग्गज कृषि कंपनियों की एंट्री चाहते हैं. लेकिन भारत अमेरिकी कंपनियों को निर्बाध प्रवेश नहीं दे सकता है. इस मनाही के बाद ट्रंप की भड़ास निकल रही है.

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17 जून को PM मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर आखिरी बातचीत हुई थी. (Photo: PTI) 17 जून को PM मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर आखिरी बातचीत हुई थी. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन के लेख में ट्रंप की ओर से पीएम मोदी को चार बार कॉल करने की कोशिश से जुड़े दावे की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है. अखबार का दावा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से चार बार पीएम मोदी से फोन पर बातचीत की कोशिश की गई. अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन (FAZ) ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारों ही बार ट्रंप से बात करने से मना कर दिया. इस अखबार के दावे पर अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, हालांकि सूत्रों ने खारिज किया है.

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जर्मन अखबार एफएजेड ने भारत-अमेरिका संबंधों के आयाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए विवाद पर विस्तार से टिप्पणी की है. इसके अनुसार जिस शर्मनाक तरीके से अमेरिकी राष्ट्रपति उपमहाद्वीप को अपनी अर्थव्यवस्था खोलने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं, वह भारतीय सरकार के मुखिया को अतीत के एक कड़वे अनुभव की याद दिलाता है. 

पहले 'महान नेता' बताया फिर 'मृत अर्थव्यवस्था' कहा

फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन ने लिखा है कि फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में अपने अतिथि की "महान नेता" कहकर प्रशंसा की और मोदी को "हमारी साथ-साथ यात्रा" पर एक फोटोबुक भेंट की. अब ट्रंप ने अपना सुर बदल दिया है और इस गौरवशाली देश को "मृत अर्थव्यवस्था" कहा है. ट्रंप की भड़ास दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में अमेरिकी एग्रीकल्चर कंपनियों को एंट्री नहीं देने से साफ दिख रही है. 

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इस लेख के अनुसार इस बात के संकेत हैं कि प्रधानमंत्री ट्रंप से नाराज हैं. फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन की सूचनाओं के अनुसार हाल के सप्ताहों में ट्रंप ने चार बार भारत के प्रधानमंत्री से बात करने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने इनकार कर दिया. 

ट्रंप के टेलिफोन जाल में फंसना नहीं चाहते PM मोदी

एफएजेड का मानना है कि इस घटनाक्रम में हैरानी की बात यह है कि ट्रंप ने मोदी को मनाने के लिए कई कोशिशें की हैं. लेकिन भारत का अभी भी बातचीत से इनकार करना उनके गुस्से की गहराई को दर्शाता है. लेकिन भारत का ये व्यवहार उसकी कूटनीतिक सावधानी को भी दिखाता है.

ट्रंप ने इससे पहले अमेरिका और वियतनाम के बीच एक ट्रेड डील की घोषणा की थी. इस व्यापार समझौते के लिए अमेरिका और वियतनाम के प्रतिनिधिमंडलों के बीच सावधानीपूर्वक बातचीत की गई थी. इस दौरान ट्रंप ने वियतनाम के नेता टो लाम के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी. लेकिन किसी समझौते पर पहुंचने से पहले ही ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घोषणा कर दी थी कि उन्होंने एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर ली है. भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ट्रंप के इस जाल में नहीं फंसना चाहते हैं. 

अमेरिकी एक्सपर्ट ने ट्रंप पर बड़ी घोषणा कर दी

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न्यूयॉर्क में काम करने वाले पॉलिसी एक्सपर्ट मार्क फ्रेजियर कहते हैं कि अमेरिकी की रणनीति काम नहीं कर रही है. न्यूयॉर्क स्थित इंडिया चाइना इंस्टीट्यूट के सह-निदेशक मार्क फ्रेजियर ने इस अखबार में लिखा है, "इंडो-पैसिफिक अलाइनमेंट की अमेरिकी अवधारणा जिसमें अमेरिका के हाथों चीन को कंट्रोल करने में भारत सेंट्रल रोल निभाने वाला था, अब ध्वस्त हो रही है. 

मार्क फ्रेजियर का मानना है कि भारत कभी भी चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ जाने का कमिटमेंट नहीं देना चाहता था. 

भारत की इकोनॉमी पर कमेंट करते हुए अखबार में कहा गया है कि भारत के कुल निर्यात का 20 फीसदी हिस्सा अमेरिका को जाता है. मुख्यत कपड़े, रत्न और ऑटो पार्ट्स. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की बजाय प्रति वर्ष केवल 5.5 प्रतिशत की दर से ही बढ़ सकती है. हालांकि घरेलू स्तर पर पीएम मोदी के के लिए चुनौतियां होंगी क्योंकि भारत में ट्रंप के प्रति भावनाएं तेजी से बदल रही हैं.

48 अरब डॉलर के सौदे पर पड़ेगा असर

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर आखिरी बार बातचीत 17 जून को हुई थी. इस बातचीत की जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी थी. 

वहीं आज से यानी कि 27 अगस्त से भारत से अमेरिका को होने वाले चुनिंदा निर्यातों पर 50 फीसदी का टैरिफ लागू हो गया है. इन निर्यातों पर 25 फीसदी टैरिफ 7 अगस्त से ही लागू है. अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. अमेरिका के इस कदम से भारत से अमेरिका को होने वाले 48 अरब ड़ॉलर पर सीधा असर पड़ेगा. 
 

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