'गाजा में किन देशों के सैनिक कदम रखेंगे, ये हम तय करेंगे..', नेतन्याहू ने अमेरिका के सामने खींची लकीर

अमेरिका की मध्यस्थता से 10 अक्टूबर को इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम लागू हुआ था. ट्रंप की 20 सूत्रीय योजना के तहत यह सीजफायर लागू हुआ था.

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नेतन्याहू ने अमेरिकी के सामने खींच दी लकीर (Photo: PTI) नेतन्याहू ने अमेरिकी के सामने खींच दी लकीर (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:20 PM IST

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि इजरायल यह तय करेगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के तहत गाजा में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय बलों में किन-किन देशों के सैनिकों को अनुमति दी जाएगी.

नेतन्याहू ने अपनी कैबिनेट को बताया कि हमारी सुरक्षा हमारे हाथों में हैं. यह इजरायल तय करेगा कि कौन से अंतरराष्ट्रीय बल हमारे लिए अस्वीकार्य हैं. उन्होंने हालांकि कहा कि अमेरिका, इजरायल के रुख का समर्थन करता है. लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से अरब या अन्य मुल्क अपने सैनिकों को भेजने के लिए प्रतिबद्ध होंगे. वहीं, ट्रंप सरकार ने अमेरिकी सैनिकों को भेजने से इनकार किया है. कहा जा रहा है कि इस अतंरराष्ट्रीय बल में मिस्र, इंडोनेशिया और खाड़ी अरब देशों के सैनिक शामिल हो सकते हैं.

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बता दें कि इजरायल गाजा के सभी प्रवेश मार्गों पर नियंत्रण रखता है, जिसे उसने हमास के खिलाफ युद्ध के दौरान सात अक्टूबर, 2023 को हुए सीमा पार हमले के बाद से घेर रखा है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू ने गाजा में युद्ध के दौरान इज़रायल-तुर्की संबंधों में आई खटास के बाद, गाजा बल में तुर्की की किसी भी भूमिका का विरोध किया है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने गाजा में इजरायल के हवाई और जमीनी अभियान की आलोचना की है.

नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि इजरायल अपनी सुरक्षा नीतियों में स्वतंत्र है और इस विचार को खारिज किया कि अमेरिका उसकी नीतियों को नियंत्रित करता है. उन्होंने इजरायल और अमेरिका के बीच संबंधों को साझेदारी के रूप में वर्णित किया.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय बल में उन देशों को शामिल करना होगा जिनके साथ इजरायल सहज हो, लेकिन उन्होंने तुर्की के बारे में विशेष रूप से कोई टिप्पणी नहीं की. रूबियो ने कहा कि गाजा के भविष्य के शासन के लिए इजरायल और साझेदार देशों के बीच सहमति की आवश्यकता होगी, जिसमें हमास को शामिल नहीं किया जाएगा.

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