चीन फिर छुरा घोंपने की तैयारी में, कैसे रोकेगा भारत?

चीन अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए भारत से सटी विवादित सीमा पर एक नए हाईवे के निर्माण की योजना पर काम कर रहा है. चीन का यह कदम भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. जी695 नाम का यह हाईवे दक्षिणी तिब्बत के कोना काउंटी, कांबा काउंटी और नेपाल सीमा के पास गईरोंग काउंटी से होकर गुजरेगा. ये इलाके एलएसी के पास हैं.

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(Image credit: Instagram/xi.jinping_cn) (Image credit: Instagram/xi.jinping_cn)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
  • भारत से सटी सीमा पर चीन की हाईवे बनाने की योजना
  • यह जी695 हाईवे चीन की रणनीति का हिस्सा

भारत से सटी विवादित सीमा पर चीन एक नए हाईवे के निर्माण की योजना पर काम कर रहा है. चीन ने अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए यह फैसला किया है.लेकिन चीन का यह कदम भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.

यह हाईवे तिब्बत की लुन्जे काउंटी से चीन के शिनजियांग के माजा तक होगा. दरअसल, चीन की प्रस्तावित 345 निर्माणाधीन योजनाओं के तहत इस हाईवे को बनाया जाएगा. चीन दरअसल अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिश कर रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश के जरिए उपभोक्ता खर्च को बढ़ाना चाहता है.

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पिछले हफ्ते जारी इस योजना के तहत जी695 (G695) नाम का यह हाईवे दक्षिणी तिब्बत के कोना काउंटी, कांबा काउंटी और नेपाल सीमा के पास गईरोंग काउंटी से होकर गुजरेगा. ये इलाके एलएसी सीमा के पास हैं.

यह तिब्बत, नेपाल और भारत के बीच बुरांग काउंटी से भी होकर गुजरेगा. इसके साथ ही यह नगारी प्रांत के जांडा काउंटी से भी होकर गुजरेगा, जिसके कुछ हिस्से भारत में हैं.

इस नए हाईवे की जानकारियां अभी स्पष्ट नहीं हो पाई हैं लेकिन हाईवे के एक बार पूरा होने पर यह एलएसी पर देपसांग प्लेन्स (Depsang Plains), गलवान वैली (Galwan Valley) और हॉट स्प्रिंग्स (Hot Springs) जैसे कुछ विवादित क्षेत्रों तक पहुंच सकती है.

जेएनयू में चाइना स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि नई सड़क का निर्माण कर चीन सीमावर्ती इलाकों पर अपने लॉजिस्टिक बिल्डअप को बढ़ाना चाहता है.

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उन्होंने कहा, चीन की मंशा दूरदराज के इलाकों पर नियंत्रण करने की भी है ताकि किसी भी तरह की प्रतिकूल स्थिति में उनकी सेनाओं की आवाजाही आसान हो सके.

कोंडापल्ली ने कहा, चीन ने 1980 की शुरुआत से ही तिब्बत, शिनजियांग और सीमार्ती इलाकों में व्यापक तौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण शुरू कर दिया था. इनमें से कई का चीन के रणनीतिक उद्देश्यों की तुलना में आर्थिक महत्व कम भी रहा है.

बीते एक दशक में चीन ने इस तरह के प्रयासों को तेज कर दिया है. वह लगातार सीमावर्ती इलाकों पर हाईवे का निर्माण कर रहा है.

इनमें जी219 हाईवे (G219 Highway) भी शामिल है, जो मूल रूप से शिनजियांग के येचेंग को तिब्बत के लहात्से से जोड़ता है. लेकिन अब इस हाईवे का पश्चिमी से लेकर दक्षिणी सीमा तक विस्तार किया जा रहा है.

वहीं, 2016 में चीन ने शिनजियांग और तिब्बत में जी216 हाईवे (G 216 Highway) को अपग्रेड करना शुरू किया था. 

चीन का मानना है कि ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर सिर्फ आर्थिक विस्तार के लिए ही नहीं बल्कि गरीबी हटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी जरूरी है.

कोंडापल्ली ने बताया कि चीन की ये नई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं भारत के लिए चिंता बढ़ा सकती हैं.

चीन ने हालांकि अभी हाईवे निर्माण की पुष्टि नहीं की है लेकिन कहा है कि अपनी जमीन पर निर्माणाधीन गतिविधियां उनकी संप्रभुता के दायरे में हैं.

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बता दें कि दो साल पहले एलएसी पर गलवान घाटी में चीन और भारत की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के चार जवानों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद भारत, चीन संबंधों में खटास और बढ़ गई थी. 

इसके बाद दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ताएं हुईं. इसी कड़ी में रविवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच नए दौर की वार्ता हुई, जो बेनतीजा रही. सोमवार देर शाम दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे एलएसी के पश्चिमी सेक्टर में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हैं.

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