राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ दबाव में बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अमेरिका से भारी मात्रा में मक्का खरीद रही है. हाल ही में ढाका स्थित अमेरिकी दूतावास ने बताया कि अमेरिकी मक्का बांग्लादेश के लिए निकल चुका है. अमेरिकी मक्का के बांग्लादेश पहुंचने की यह खबर देश में विवाद का कारण बन गई और लोग इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
दरअसल, अमेरिका में मक्का की खेती में सुअर के मल से बनी खाद का इस्तेमाल किया जाता है. बांग्लादेश मुस्लिम बहुल देश है और इस्लाम में सुअर और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल या सेवन हराम माना जाता है. ऐसे में अमेरिकी मक्का के आयात को लेकर बांग्लादेशियों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है.
अमेरिकी दूतावास ने अपने पोस्ट में कहा, 'इस महीने अमेरिकी मक्का बांग्लादेश पहुंच रहा है. यह अपने पोषक गुणों के लिए जाना जाता है. मक्का कॉर्नब्रेड और ब्रेकफास्ट सीरियल्स जैसे कई खाद्य पदार्थों में प्रमुख सामग्री है. मक्का का इस्तेमाल पशु आहार के रूप में भी होता है, जिससे मांस, डेयरी और अंडों की सप्लाई जारी रहती है.'
पोस्ट के सामने आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. कई यूजर्स ने यह कहकर पोस्ट का मजाक उड़ाया कि अमेरिकी मक्का की खेती में सुअर के मल से बनी खाद का इस्तेमाल होता है. .यूजर्स कह रहे हैं कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश सुअर के मल में उपजाया मक्का आयात कर रहा है जो इस्लाम में हराम माना जाता है.
कुछ यूजर्स ने इस मुद्दे को अमेरिका की वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक नीतियों से जोड़ते हुए तीखी टिप्पणियां कीं. अब तक अमेरिकी दूतावास ने इस आलोचना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
यह विवाद बांग्लादेश में कुछ साल पहले हुए एक मामले की भी याद दिलाता है, जब मछली और पशु आहार के लिए आयात किए गए मीट एंड बोन मील पाउडर (MBM Powder) में पोर्क (सुअर के मांस) के प्रोडक्ट पाए गए थे. इसके बाद बांग्लादेश ने एमबीएम पाउडर की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मक्का की खेती में भारी मात्रा में उर्वरक की जरूरत होती है और उत्पादन बढ़ाने के लिए अमेरिका में सुअर की खाद का इस्तेमाल आम है. इस साल अमेरिका में रिकॉर्ड स्तर पर मक्का उत्पादन हुआ है और वह बांग्लादेश व भारत जैसे देशों में इसके निर्यात को बढ़ावा दे रहा है. कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक कहा गया है कि अधिक उत्पादन के कारण अमेरिकी किसानों को सड़कों के किनारे मक्का फेंकना पड़ा.
भारत ने अब तक अमेरिकी दबाव के बावजूद मक्का और सोयाबीन के बड़े पैमाने पर आयात का विरोध किया है. भारत का कहना है कि इससे छोटे किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा. हालांकि समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत इथेनॉल उत्पादन के लिए सीमित मात्रा में मक्का आयात की अनुमति दे सकता है.
बांग्लादेश का अमेरिका से मक्का आयात करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बना हुआ है. बांग्लादेश का अमेरिका के साथ करीब 6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है.
इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने बांग्लादेश पर 37 फीसदी तक का टैरिफ लगाया था, जिससे बांग्लादेश के कपड़ा और सूती वस्त्र उद्योग को भारी नुकसान हुआ. बांग्लादेश के कुल निर्यात में टेक्सटाइल सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
बाद में अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र लिखकर टैरिफ घटाने की मांग रखी थी. ट्रंप ने टैरिफ कम करने के बदले में यूनुस से गेहूं, मक्का और सोयाबीन आयात बढ़ाने का वादा मांगा. यूनुस ने वादा किया और ट्रंप ने बांग्लादेशी सामानों पर टैरिफ घटाकर 20 फीसदी कर दिया.
हाल ही में बांग्लादेश ने सरकार-से-सरकार समझौते के तहत करीब 2,20,000 मीट्रिक टन अमेरिकी गेहूं खरीदने को भी मंजूरी दी है.
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