बांग्लादेश में शेख हसीना के विरोधियों को कौन मार रहा… कहीं चुनाव टालने का 'यूनुस गेम' तो नहीं?

बांग्लादेश में एक के बाद एक युवा नेताओं पर हमलों से राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. उस्मान हादी की हत्या के बाद NCP नेता मोतालेब सिकदर को गोली मारी गई. सवाल उठ रहे हैं कि क्या हालात बिगाड़कर चुनाव टालने की साजिश रची जा रही है.

Advertisement
शेख हसीना के विरोधियों की हत्या से यूनुस सरकार पर उठ रहे हैं सवाल (Photo-ITG) शेख हसीना के विरोधियों की हत्या से यूनुस सरकार पर उठ रहे हैं सवाल (Photo-ITG)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST

बांग्लादेश इन दिनों गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. एक के बाद एक युवा नेताओं पर हमले, आगजनी, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने और भारत विरोधी नैरेटिव के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर शेख हसीना के विरोधी नेताओं को कौन मार रहा है और क्या इसके पीछे आम चुनाव टालने की कोई बड़ी साजिश है?

Advertisement

हाल ही में युवा नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद देशभर में जबरदस्त बवाल मचा. ढाका समेत कई शहरों में हिंसा, आगजनी और विरोध प्रदर्शन हुए. इस दौरान एक बार फिर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, यहां तक कि एक हिंदू मजदूर की बेरहमी से लिंचिंग कर हत्या कर दी गई. उस्मान हादी का अंतिम संस्कार शनिवार को हुआ, जहां भारी भीड़ जुटी और भारत विरोधी नारे लगाए गए.

इस घटना के कुछ ही घंटों बाद सोमवार को एक और युवा नेता पर जानलेवा हमला हो गया. इस बार निशाना बने नेशनल सिटिजन्स पार्टी (NCP) से जुड़े नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर. यह हमला दोपहर करीब 12:15 बजे खुलना में हुआ, जब हमलावर घर में घुसे और सिकदर के सिर को निशाना बनाकर गोली चलाई.

मोतालेब सिकदर गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के मुताबिक गोली दिमाग तक नहीं पहुंची, जिससे उनकी जान बच गई, लेकिन हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. सिकदर एनसीपी की श्रमिक इकाई ‘जातीय श्रमिक शक्ति’ के खुलना मंडल के सेंट्रल ऑर्गेनाइज़र थे और आने वाले दिनों में एक बड़ी रैली की तैयारी कर रहे थे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: यूनुस सरकार का नया पैंतरा, अब शेख मुजीबुर की जगह उस्मान हादी के नाम पर ढाका यूनिवर्सिटी का हॉल

हसीना विरोधी नेता निशाने पर

एनसीपी बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना छात्र आंदोलन से उभरे नेता नाहिद इस्लाम ने की थी. नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार का भी हिस्सा रह चुके हैं. आगामी आम चुनावों में एनसीपी करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिससे यह पार्टी तेजी से राजनीतिक ताकत बनकर उभर रही है.

सबसे अहम बात यह है कि उस्मान हादी और मोतालेब सिकदर-दोनों ही शेख हसीना के मुखर विरोधी माने जाते थे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इन हत्याओं और हमलों का मकसद जानबूझकर माहौल बिगाड़ना और चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतारना है?

उस्मान हादी की हत्या के बाद भारत के खिलाफ यह नैरेटिव फैलाया गया कि इसके पीछे भारत का हाथ है, लेकिन बांग्लादेश पुलिस ने ऐसे किसी भी दावे से साफ इनकार किया. पुलिस के मुताबिक हत्या के मुख्य आरोपी फैसल करीम मसूद के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है और जांच में सामने आया है कि वह बांग्लादेश में ही छिपा हो सकता है.

फैसल के खाते से करोड़ों का लेनदेन

ढाका पुलिस और CID की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. आरोपी फैसल करीम मसूद के खातों से 67 लाख टका जब्त किए गए हैं, जबकि 127 करोड़ टका के वित्तीय लेनदेन की जानकारी सामने आई है. CID ने करीब 200 करोड़ टका की अनकैश्ड ट्रांजेक्शन से जुड़ी चेकबुक्स भी बरामद की हैं. इससे साफ है कि हत्या के पीछे बड़ा आर्थिक और संगठित नेटवर्क हो सकता है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'यूनुस सरकार के खिलाफ बोलने पर मिली सजा...', बांग्लादेश में पत्रकार सुशांत दास के घर पर हमला

इन सब घटनाओं के बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शेख हसीना का कहना है कि यूनुस सरकार कट्टरपंथी ताकतों को संरक्षण दे रही है, जिन्होंने भारतीय दूतावास, मीडिया संस्थानों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया है. उनका आरोप है कि सजायाफ्ता आतंकियों को भी रिहा किया गया, जो न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही बिगड़ते रहे तो चुनाव टालने का बहाना तैयार किया जा सकता है, जिसका सबसे बड़ा फायदा अंतरिम सरकार और खुद मोहम्मद यूनुस को होगा. यही वजह है कि अब सवाल उठ रहा है-क्या बांग्लादेश में हिंसा सिर्फ संयोग है या किसी बड़े ‘यूनुस गेम’ का हिस्सा?

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement