आवाज दबी और धीमी, गले में खराश और भाषण से वो जोश गायब जिसके लिए ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई जाने जाते हैं. 86 साल के अली खामेनेई शुक्रवार को 12 दिनों की चुप्पी के बाद जब 'जीत' का दावा करने टीवी पर आए तो उनकी शख्सियत से वो करिश्मा गायब था. जिसे देख ईरान की जनता हुंकार भरती है और तालियां बजाती है.
जंग से पहले खामेनेई जब भी जनता से संवाद करते थे तो ये खुले में होता था. खामेनेई के सामने हजारों की भीड़ होती और वह नारे लगाती, मुट्ठियां भींचती भीड़ को संबोधित करते हुए उनमें जोश भर देते.
लेकिन इस बार वे टीवी पर आए, बैकग्राउंड में एक सामान्य सा पर्दा था और पीछे लटकी थी 1979 में ईरान में इस्लामिक इंकलाब करने वाले अयातुल्लाह खुमैनी की तस्वीर.
चेहरे पर थकान, सत्ता पर कमजोर होती पकड़
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार इससे संकेत मिलता है कि इजरायल से हमले के खतरों को देखते हुए वे अभी भी छिपे हुए हो सकते हैं. क्योंकि इजराइल ने उनकी हत्या की कोशिश की संभावना से इनकार नहीं किया है.
गुरुवार को इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने मीडिया से कहा कि अगर मौका मिलता तो सेना युद्ध के दौरान खामेनेई को मारने से नहीं चूकती.
विश्लेषकों का कहना है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई इजरायल के साथ युद्ध के बाद फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन साढ़े तीन दशक के शासन में इस्लामी गणराज्य पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है.
हाल के वर्षों में ईरान और सेंट्रल एशिया पर अली खामेनेई की पकड़ कमजोर हुई है.
शख्सियत में गिरावट
सबसे पहले तो इजरायल के साथ संघर्ष में तेहरान समर्थक आतंकवादी समूहों हमास और हिजबुल्लाह का लगातार पतन हो रहा है. सीरिया में ईरान के सहयोगी बशर अल-असद की सत्ता चली गई है. इधर देश में आर्थिक संकट और ऊर्जा की कमी है.
ओटावा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थॉमस जुनो कहते हैं, "इस समय शासन पतन के कगार पर नहीं दिखता है, लेकिन यह निश्चित रूप से क्रांति के बाद के शुरुआती वर्षों की तुलना में अधिक कमजोर है."
जूनो ने एएफपी को बताया, "इसलिए सर्वोच्च नेता का अधिकार निश्चित रूप से कमज़ोर हो गया है." "भले ही उनकी स्थिति सुरक्षित है, क्योंकि फिलहाल उनके शासन को कोई सीधी चुनौती मिलने की संभावना नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी विश्वसनीयता खो दी है और इस्लामी गणराज्य के बड़े नुकसान के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं."
गौरतलब है कि 1981 में खामेनेई की हत्या की कोशिश हुई थी. इस हमले में उनकी दाहिनी बांह पैरालिसिस का शिकार हो गई. खामेनेई इसे कभी छिपाने की कोशिश भी नहीं करते.
लेकिन इसके बावजूद ईरान में उत्तराधिकार पर चर्चा करना एक टैबू है. इसके लिए अभी कोई भी स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित नहीं है.
बोस्टन विश्वविद्यालय में विजिटिंग फेलो अर्श अजीजी ने कहा कि खामेनेई अपने टेलीविजन संदेश में "कमजोर और दुर्बल" दिख रहे थे, "जो कि उनकी जोशीली भाषण शैली, जिसे हमलोग जानते हैं, उससे एकदम अलग है.
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि वह एक कमजोर हो गए हैं, अब उनमें अधिकार नहीं रह गए हैं और वे अपने पुराने शख्सियत की छाया मात्र रह गए हैं."
"तेहरान में सत्ता पहले से ही विभिन्न संस्थाओं और गुटों के पास जा रही है और आने वाले समय में उनके उत्तराधिकार की लड़ाई और तेज होगी."
खामेनेई पहले भी कई संकटों से निपट चुके हैं. 2022-23 जब ईरान में सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ प्रदर्शन हुआ तो उन्होंने सख्ती से इसका दमन किया. इस प्रदर्शन में महसा अमिनी का नाम सुर्खियों में रहा है. जिसकी ईरान की मोरल पुलिस ने हत्या कर दी थी.
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सत्ता में किनारे लगा दिए गए खामेनेई?
न्यूयॉर्क टाइम्स और ईरान इंटरनेशनल, जो ईरान के बाहर स्थित फारसी भाषा का एक टेलीविजन चैनल है और जो ईरानी सत्ता की आलोचना करता है, ने कहा है कि खामेनेई युद्ध के दौरान बंकर में रहे. उन्होंने डिजिटल कम्युनिकेशन पूरी तरह से छोड़ दिया था. क्योंकि इसके ट्रैक होने का खतरा था. और उन्होंने पता लगा लिया गया था और उनकी हत्या की जा सकती है.
ईरान इंटरनेशनल ने बताया कि खामेनेई उन वार्ताओं में भी शामिल नहीं थे जिसके कारण युद्धविराम हुआ था. ये वार्ताएं राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने संभाला था, हालांकि इस दावे की कोई पुष्टि नहीं हुई है.
अमेरिका स्थित यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान के नीति निदेशक जेसन ब्रॉडस्की ने कहा कि खामेनेई "कमजोर और थके" लग रहे थे और साथ ही "वास्तविकता से कटे हुए" थे, क्योंकि उन्होंने जोर देकर कहा था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं हुआ है.
जेसन ब्रॉडस्की ने कहा कि, "फिर भी मैं उन सिद्धांतों पर संदेह करता हूं कि खामेनेई को दरकिनार कर दिया गया है."
उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि युद्ध ईरान के राजनीतिक अभिजात्य वर्ग के भीतर इस बात पर बहस को बढ़ावा देगा कि सिस्टम की क्षमताओं का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए, लेकिन अंत में जिम्मेदारी हमेशा खामेनेई पर ही आती है."
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