OBC Reservation से सियासी संजीवनी की तलाश... सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक सपा ने छेड़ी मुहिम

उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर आक्रमक रुख अपना रखा है, क्योंकि बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए उसके हाथ एक बड़ा मुद्दा लगा है. सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सपा ओबीसी मुद्दे पर फ्रंटफुट पर खड़ी नजर आ रही है, क्योंकि उसे लगता है कि उसे दोबारा से सत्ता के दहलीज तक पहुंचा सकती है?

Advertisement
सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है. सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सपा ने लड़ाई छेड़ रखी है. बीजेपी को घेरने के लिए सपा सूबे के गांव-गांव और घर-घर जाकर बीजेपी को आरक्षण विरोधी कठघरे में खड़ा करने की हर कोशिश कर रही है. इतना ही नहीं ओबीसी के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए सपा ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है और याचिका दायर कर मांग की है कि बिना आरक्षण के किसी भी कीमत पर निकाय चुनाव न कराया जाए. 

Advertisement

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची सपा

सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राजपाल कश्यप ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है. मांग की गई है कि संविधान में दिए गए अधिकारों का किसी भी कीमत पर हनन नहीं होना चाहिए. संविधान का हवाला देते हुए अपील की गई है कि ओबीसी आरक्षण का पालन किए बिना किसी भी सूरत में निकाय चुनाव न कराया जाए, क्योंकि इससे पिछड़े वर्ग के लोगों के हितों की अनदेखी होगी. इस तरह से आरक्षण को बचाने के लिए समाजवादी पार्टी सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई तक लड़ रही है. 

आरक्षण के मुद्दे पर सपा आक्रमक

मैनपुरी उपचुनाव में मिली जीत के बाद से सपा के हौसले बुलंद है और अब उसके हाथों ओबीसी आरक्षण का मुद्दा लग गया है. आरक्षण का मुद्दा ऐसा है, जो सपा को बीजेपी को घेरने का मौका मिल गया है. हाईकोर्ट से निकाय चुनाव पर फैसला आते ही ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सपा आक्रमक रुख अपनाकर बीजेपी के चिंता में डाल रखा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर शिवपाल यादव सहित पूरी समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक मोर्चा खोल रखा है. आरक्षण के मुद्दे अखिलेश और उनकी पार्टी फ्रंटफुट पर खड़ी हुई नजर आ रही थी. 

Advertisement

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रेस कॉफ्रेंस कर यह तक कह दिया था कि बीजेपी ने अभी तो पिछड़े वर्ग के आरक्षण का हक छीना है और बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के द्वारा दिए गए दलितों के आरक्षण को भी छीन लेगी. बीजेपी सरकार बाबा साहब के दिए संविधान को भी खत्म करने की साजिश कर रही है. इस तरह सपा योगी सरकार को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़ा कर रही है और सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने तो यह भी कहा है कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर हर प्रदेशवासी के दरवाजे पर जाएगी और उन्हें बताएगी कि किस तरह से संविधान के अधिकारों खत्म करने की साजिश रची जा रही है. सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जल्द ही गांव-गांव यात्रा निकाली जाएगी. 

बीजेपी का आधार ओबीसी पर टिका है

बता दें कि यूपी में बीजेपी ओबीसी समुदाय के सहारे सत्ता के वनवास खत्म करने में सफल रही थी. 2017-2017 विधानसभा और 2014-2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ओबीसी जातियों के दम पर जीत दर्ज कर सकी है. पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में भी पिछड़े और अति पिछड़े वोट बैंक को ही सियासी आधार मानकर क्लीन स्वीप का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में कोर्ट के निर्णय ने बीजेपी के लिए सियासी चिंता बढ़ा दी है तो सपा के लिए राजनीतिक संजीवनी की तरह है. 

Advertisement

निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला आते ही सूबे में बीजेपी के ओबीसी चेहरा डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकर मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी डैमेज कन्ट्रोल में जुट गए. ये तीनों ही नेता सरकार और संगठन की तरफ से ओबीसी समुदाय की आवाज बनकर खड़े हो गए और साफ कर दिया है कि प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव नहीं होंगे. इसके बावजूद सपा इसे लेकर बीजेपी को घेरने में जुटी है, क्योंकि उसे पता है कि बिना ओबीसी का विश्वास जीते उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो सकती है. 

यूपी की सियासत में ओबीसी की ताकत

उत्तर प्रदेश की सियासत मंडल कमीशन के बाद ओबीसी समुदाय के इर्द-गिर्द सिमट गई है. सूबे की सभी पार्टियां ओबीसी को केंद्र में रखते हुए अपनी राजनीतिक एजेंडा सेट कर रही हैं. यूपी में सबसे बड़ा वोटबैंक पिछड़ा वर्ग का है. 52 फीसदी पिछड़ा वर्ग की आबादी है, जिसमें 43 फीसदी गैर-यादव बिरादरी का है. ओबीसी की 79 जातियां हैं, जिनमें सबसे ज्यादा यादव और दूसरे नंबर कुर्मी समुदाय की है. बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी के सहारे यूपी में अपनी जगह बनाई है और सपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा है. 

अखिलेश यादव को लगता है कि यही मौका है जब बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े कर पिछड़े वर्ग के विश्वास को दोबारा से जीत सकते हैं. हाईकोर्ट का फैसला आते ही सपा ने मोर्चा खोल रखा है और बीजेपी को ओबीसी विरोधी बताने में जुटी है, जिसके लिए सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक मशकक्त कर रही हैं. यूपी में बीजेपी का सारा सियासी आधार ओबीसी पर ही टिका है और वो खिसका तो सत्ता की राह मुश्किल हो जाएगी. इसीलिए सपा आक्रमक है और किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है? 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement