जमीयत उलेमा ए हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे 'बुलडोजर एक्शन' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर गाइडलाइन तय कर दी है. जजमेंट में कहा गया कि बुलडोजर के माध्यम से न्याय किसी भी सभ्य सिस्टम के लिए ठीक नहीं है. इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में चल रहे 'बुलडोजर एक्शन' पर रोक लग गई. ऐसे में आइए जानते हैं ध्वस्तीकरण को लेकर यूपी में आखिर नियम क्या है...?
* उत्तर प्रदेश के प्राधिकरण, यूपी शहरी नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 की धारा 27 (1) के तहत डिमोलिशन (ध्वस्तीकरण) करते हैं.
* इसमें कहा गया है कि जहां कोई विकास शुरू किया गया है या किया जा रहा है या मास्टर प्लान का उल्लंघन कर पूरा किया गया है या अनुमति, अनुमोदन या मंजूरी के बिना ही किया गया है, तो ऐसे में प्राधिकरण का उपाध्यक्ष यह निर्देश दे सकता है कि इस तरह के विकास को हटाने के आदेश की एक प्रति जारी होने की तारीख से कम से कम 15 दिन और 40 दिनों से अधिक की अवधि के भीतर डिमोलिशन कर निर्माण हटा दिया जाएगा.
* किसी आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति तीस दिनों के भीतर उस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण के अध्यक्ष के समक्ष अपील कर सकता है. अपील पर अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा.
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* उत्तर प्रदेश में 1973 से अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट लागू है. इस कानून में बताया गया है कि किस मकान को तोड़ा या हटाया जा सकता है? मकान ढहाने से पहले क्या प्रक्रिया होती है? जिसका घर तोड़ा जा रहा है, वो क्या कर सकता है? ये सब इस कानून की धारा 27 में बताया गया है.
* धारा 27 कहती है कि कोई भी मकान या घर या विकास कार्य मास्टर प्लान का उल्लंघन कर या मंजूरी के बिना या किसी शर्त का उल्लंघन कर किया गया हो या किया जा रहा हो तो प्रशासन उसको ध्वस्त करने या हटाने का आदेश दे सकता है.
अब ये काम कैसे होगा?
तो होगा ये कि प्रशासन बुलडोजर चलाकर उस मकान को ढहा दे या उसका कुछ हिस्सा हटा दे या फिर अगर कहीं खुदाई वगैरह हुई हो, तो उसे दोबारा भर दे या फिर उस काम को करवाने वाला खुद ही हटा दे.
* एक बार किसी मकान, घर या अवैध इमारत को ढहाने या गिराने का आदेश पारित हो जाता है तो ये काम 15 दिन से लेकर 40 दिन के भीतर पूरा हो जाना चाहिए.
* कानून में ये भी लिखा है कि इस पूरी कार्रवाई का खर्च मालिक या उससे लिया जाएगा जो ये काम कर रहा है. इस वसूली को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती.
मालिक के पास क्या विकल्प है?
* कोई भी कार्रवाई एकतरफा नहीं हो सकती. जिस इमारत या मकान या विकास कार्य को गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो उसके मालिक या उस काम को जो कर रहा हो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है.
* आदेश जारी होने के 30 दिन के भीतर संपत्ति का मालिक प्राधिकरण के चेयरमैन के सामने अपील कर सकता है. चेयरमैन उस सुनवाई के बाद आदेश में कुछ संशोधन कर सकते हैं या फिर रद्द कर सकते हैं. हर हाल में चेयरमैन का फैसला ही आखिरी माना जाएगा.
आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को अपने फैसले में कहा कि बुलडोजर एक्शन का मनमाना रवैया बर्दाश्त नही होगा. अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते. अगर किसी मामले में आरोपी एक है तो घर तोड़कर पूरे परिवार को सजा क्यों दी जाए? पूरे परिवार से उनका घर नहीं छीना जा सकता. सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं है.
कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर दिशानिर्देशों का जिक्र करते हुए कहा है कि बुलडोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए. नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा. नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए. यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पा भी होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने विशेषज्ञों के सुझावों पर विचार किया है. हमने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया है.जरूरी है कि कानून का राज होना चाहिए. बुलडोजर एक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता. गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिलना चाहिए.
कुमार अभिषेक