60 हजार की टेंट कैपेसिटी, 80 हजार लोगों की परमिशन और 2.5 लाख की भीड़... हाथरस हादसे पर नया खुलासा

हाथरस हादसे (Hathras stampede) को लेकर नया खुलासा हुआ है. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में टेंट लगाने वाले मालिक राज कपूर का कहना है कि 60 हजार की कैपेसिटी वाला टेंट लगवाया गया था, जबकि परमिशन 80 हजार लोगों की ली गई थी, इसके बाद 2.5 लाख की भीड़ जुटा ली गई.

Advertisement
सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची थी भगदड़. सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची थी भगदड़.

संतोष शर्मा

  • हाथरस,
  • 06 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

Hathras Stampede News: हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के लिए टेंट लगाने वाले राज कपूर ने बदइंतजामी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. टेंट लगाने वाले राज कपूर ने आजतक से बातचीत में बाबा की कमेटी की मनमानी के कई राज खोले हैं. टेंट मालिक ने कहा कि सत्संग आयोजित करने वाली कमेटी ने 80, 000 लोगों की परमिशन ली थी, लेकिन सत्संग में टेंट सिर्फ 60,000 लोगों की क्षमता का लगवाया था. जितने लोगों के लिए प्रशासन से परमिशन ली, उससे कम क्षमता का टेंट लगवाने के बाद ढाई लाख की भीड़ जुटा ली थी.

Advertisement

टेंट मालिक राज कपूर का कहना है कि 300 फीट लंबा और 300 फीट चौड़ा टेंट लगाया था. इसका ठेका 4 लाख 70,000 रुपये में दिया गया था. अभी तक 1 लाख 70,000 रुपये का Payment नहीं हुआ है.

यह भी पढ़ें: हाथरस पहुंचा तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग... सत्संग में भगदड़ के बाद दिल्ली भाग गया था मुख्य आरोपी

टेंट मालिक राज कपूर का कहना है कि मौके पर सिर्फ 20 से 25 पुलिस वाले मौजूद थे, जो सड़क पर ट्रैफिक देख रहे थे. सत्संग के दौरान कोई भी आयोजन पंडाल में मोबाइल नहीं ले जा सकता था, इस पर पाबंदी रहती थी. वीडियो बनाने पर भी पूरी तरह से पाबंदी रहती थी. अगर कोई वीडियो बनाता था, तो सेवादार सख्ती से मना करते थे.

टेंट मालिक ने बताया कि बीते नवंबर से अब तक बदायूं, मैनपुरी, भोगांव, धौलपुर, ग्वालियर, मैनपुरी बिछवा के बाद हाथरस के मुगलगढी में सत्संग होना था. बाबा के हर सत्संग में क्षमता से अधिक भीड़ पहुंचती थी. हर जिले के लिए बाबा ने अलग कमेटी बना रखी है. हर आयोजन का पेमेंट कमेटी ही करती है.

Advertisement
मैनपुरी में स्थित आश्रम में माथा टेकती महिला.

पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया था सत्संग

भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है. वह उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के बहादुर नगर का मूल निवासी है. सूरज पाल ने साल 1990 के दशक के अंत में एक पुलिसकर्मी के रूप में नौकरी से रिजाइन दे दिया था. इसके बाद बाबा बनकर प्रवचन देना शुरू किया था.

यह भी पढ़ें: जिस दूध से स्नान, "जिस दूध से स्नान, उसी का प्रसाद और भक्तों की भीड़... क्या है हाथरस वाले बाबा का तिलिस्मी रहस्यलोक?

बाबा ने 'सत्संग' (धार्मिक उपदेश) करना शुरू किया तो लोग जुड़ने लगे. सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है. वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आते हैं. बहादुर नगर में आश्रम बनाने के बाद भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों अनुयायी बन गए.

सूरजपाल उर्फ भोले बाबा.

सूरज पाल का पुराना घर आगरा में है. यहीं से प्रवचनों की शुरुआत हुई थी. यहां घर केदार नगर कॉलोनी में है, जिसमें सूरज पाल 25 साल पहले रहता था. यहां रहने वाले एक शख्स का कहना है कि भोले बाबा ने साल 1999 या 2000 में पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी. इसी के बाद आगरा में केदार नगर के मकान में रहने लगे थे. यहां निरंकारी से जुड़े और सत्संग शुरू किया.

Advertisement

... ये सब इतना रहस्यमयी क्यों?

बाबा सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के बारे में कई बातें सामने आई हैं. बाबा के पास खुद की पिंक आर्मी है. वहीं ब्लैक कैट महिला कमांडो हैं, जो सुरक्षा में रहती हैं. यूपी के मैनपुरी सहित कई जगहों पर आश्रम हैं, जहां भक्त माथा टेकने पहुंचते हैं.

बाबा के आश्रम में सीसीटीवी नहीं लगा है और सत्संग में भी बाबा की आर्मी किसी को भी मोबाइल से वीडियो बनाने नहीं देती. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बाबा का सुरक्षा घेरा इतना सख्त क्यों? आश्रम में सीसीटीवी नहीं हैं और मोबाइल के इस्तेमाल पर पाबंदी है, तो ये सब इतना रहस्यमयी क्यों?

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement