जिस दूध से स्नान, उसी का प्रसाद और भक्तों की भीड़... क्या है हाथरस वाले बाबा का तिलिस्मी रहस्यलोक?

हाथरस में सत्संग (Satsang in hathras) के बाद जिसकी चरणों की धूल पाने के लिए दौड़े 121 लोगों की जान गई, वो सूरजपाल बाबा दूध से स्नान करता था. बाद में उसी दूध का भक्तों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता था, और फिर बाबा की जय-जयकार करने वाले भक्तों को बांटा जाता था.

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सूरजपाल उर्फ भोले बाबा और आगरा में स्थित उसका आलीशान मकान. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा और आगरा में स्थित उसका आलीशान मकान.

अरविंद शर्मा

  • आगरा,
  • 05 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 9:35 PM IST

हाथरस (Hathras) में सत्संग आयोजन के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई. इस घटना से हाथरस में हाहाकार मच गया, भक्त मारे गए, लेकिन अभी तक बाबा का अता-पता नहीं है. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का रहस्यलोक भी पड़ा तिलिस्मी है. सूरजपाल का आगरा में आलीशान घर है.

आगरा में सूरजपाल के मकान के पड़ोस में रहने वाले शख्स का कहना है कि 25 साल पहले बाबा यहां रहते थे. उस समय यहां सामान्य कुटिया थी, जिसमें बाबा एक थाल में बैठकर दूध से नहाते थे और फिर उसी दूध से भक्तों के लिए प्रसाद तैयार कराया जाता था. वो प्रसाद वहां आने वाले महिला-पुरुष भक्तों को बांटा जाता था.

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अब आगरा की वो कुटिया बाबा की आलीशान कोठी बन चुकी है. यहां पर महिलाएं और पुरुष रोजाना पहुंचते हैं और घर के बाहर ही माथा टेकते हैं. बाबा की जय-जयकार करते हैं. यहां रहने के दौरान सूरजपाल ने सत्संग करना शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे भक्तों की संख्या बढ़ती गई और जगह-जगह आश्रम बनते गए.

पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया था सत्संग

भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है. वह उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के बहादुर नगर का मूल निवासी है. सूरज पाल ने साल 1990 के दशक के अंत में एक पुलिसकर्मी के रूप में नौकरी से रिजाइन दे दिया था. इसके बाद बाबा बनकर प्रवचन देना शुरू किया था.

सूरजपाल उर्फ भोले बाबा.

बाबा ने 'सत्संग' (धार्मिक उपदेश) करना शुरू किया तो लोग जुड़ने लगे. सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है. वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आते हैं. बहादुर नगर में आश्रम बनाने के बाद भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों अनुयायी बन गए.

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सूरज पाल का पुराना घर आगरा में है. यहीं से प्रवचनों की शुरुआत हुई थी. यहां घर केदार नगर कॉलोनी में है, जिसमें सूरज पाल 25 साल पहले रहता था. यहां रहने वाले एक शख्स का कहना है कि भोले बाबा ने साल 1999 या 2000 में पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी. इसी के बाद आगरा में केदार नगर के मकान में रहने लगे थे. यहां निरंकारी से जुड़े और सत्संग शुरू किया.

मैनपुरी में स्थित आश्रम में माथा टेकती महिला.

केदार नगर के मकान में दो कमरे थे, जो जीर्ण शीर्ण हो चुके थे. कोरोना काल में इस मकान की स्थिति खराब थी. फिर इसके बाद श्रद्धालुओं ने इसे तैयार कराया. अब ये मकान चमचमा रहा है. यह मकान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. श्रद्धालु यहां रोज पहुंचकर सिर मकान की चौखट पर झुकाते हैं, माथा टेकते हैं. यहां रहने वाले शख्स ने कहा कि भोले बाबा जब इस मकान में रहते थे तो वह थाली में बैठकर दूध से स्नान करते थे, फिर उसी का प्रसाद सबमें बांटा जाता था.

... ये सब इतना रहस्यमयी क्यों?

बाबा सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के बारे में कई बातें सामने आई हैं. बाबा के पास खुद की पिंक आर्मी है. वहीं ब्लैक कैट महिला कमांडो हैं, जो सुरक्षा में रहती हैं. यूपी के मैनपुरी सहित कई जगहों पर आश्रम हैं, जहां भक्त माथा टेकने पहुंचते हैं. बाबा के आश्रम में सीसीटीवी नहीं लगा है और सत्संग में भी बाबा की आर्मी किसी को भी मोबाइल से वीडियो बनाने नहीं देती. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बाबा का सुरक्षा घेरा इतना सख्त क्यों? आश्रम में सीसीटीवी नहीं हैं और मोबाइल के इस्तेमाल पर पाबंदी है, तो ये सब इतना रहस्यमयी क्यों?

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