कोडीन कफ सिरप की तस्करी अब केवल नशे का कारोबार नहीं, बल्कि टेरर फंडिंग का जरिया बन चुकी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में खुलासा हुआ है कि पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों से बांग्लादेश भेजी जा रही सिरप की काली कमाई का इस्तेमाल कट्टरपंथी संगठन कर रहे हैं.
प्रवर्तन निदेशालय पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों से बांग्लादेश में हो रही कोडीन कफ सिरप की तस्करी में टेरर फंडिंग मॉड्यूल की जांच कर रहा है. शुरुआती तफ्तीश के बाद तस्करी के सरगना शुभम जायसवाल और उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल के घर से मिले दस्तावेजों ने दुबई स्थित बड़े हवाला ऑपरेटर से संबंध उजागर किए हैं. एजेंसी को संदेह है कि भारत से बांग्लादेश भेजी जा रही सिरप की बेतहाशा कमाई का लेनदेन हवाला के जरिए किया गया. पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने पिछले चार वर्षों में जिन रूटों पर कार्रवाई की थी, वही रूट अब शुभम जायसवाल के रैकेट में भी सामने आए हैं.
ED की जांच के घेरे में आए शुभम जायसवाल के खातों की जांच से पता चला है कि काली कमाई का लेनदेन दुबई में बैठे हवाला ऑपरेटर के जरिए हो रहा था. आशंका है कि शुभम ने इसी हवाला ऑपरेटर की मदद से दुबई में संपत्तियां खरीदी हैं. दस्तावेजों से मिले सुरागों के आधार पर एजेंसी अब मनी ट्रेल का पीछा कर रही है ताकि सिंडिकेट के संरक्षण दाताओं तक पहुंचा जा सके. तस्करी का यह पैसा हवाला नेटवर्क के जरिए कई देशों में घूम रहा है.
कट्टरपंथी संगठनों और टेरर फंडिंग का जाल
तस्करी के इस खेल में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि बांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठन भी इसमें शामिल हैं. ये संगठन कोडीन मिक्स कफ सिरप की तस्करी खाड़ी देशों में कर रहे हैं और उससे होने वाली आय का उपयोग टेरर फंडिंग के लिए किया जा रहा है. सिलीगुड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम और असम के बॉर्डर पर सक्रिय इस सिंडिकेट के तार अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े हैं, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं.
50 रुपये की बोतल, 1800 में बिक्री
मुनाफे का गणित इतना बड़ा है कि करीब 50 रुपये की लागत वाली 100ml कफ सिरप की बोतल बांग्लादेश बॉर्डर तक पहुंचते-पहुंचते 1000 रुपये और बांग्लादेश के भीतर 1800 रुपये तक बिकती है. फर्जी फर्मों और फर्जी बिलों के सहारे हो रही इस तस्करी में कमाई कई सौ गुना है. भारी मुनाफे के कारण ही इसका लेनदेन बैंकिंग चैनलों के बजाय हवाला ऑपरेटरों के जरिए किया जा रहा है, जिनके संबंध कट्टरपंथी संगठनों से पाए गए हैं.
संतोष शर्मा